हालात

लेह में अब कैसे हैं हालात? कड़े प्रतिबंध जारी, बाजार-स्कूल बंद, सार्वजनिक आयोजन और रैलियों पर पूरी तरह रोक

हिंसा के बाद दूसरे दिन भी लेह में दुकानें बंद रहीं। सड़कों पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है। प्रशासन ने एहतियातन स्कूल और कॉलेजों को बंद रखने का आदेश दिया है। हालात पर नजर बनाए रखने के लिए पूरे जिले में कड़ी चौकसी बरती जा रही है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

लद्दाख की राजधानी लेह में 24 सितंबर को हुई हिंसा के बाद हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं। लेह में जिला प्रशासन ने धारा 163 के तहत कड़े प्रतिबंध लागू किए हैं। इसके तहत लेह में 5 या उससे अधिक लोगों के एक जगह पर जमा होने, किसी भी प्रकार की रैली या जुलूस निकालने पर रोक है।

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बंद रहे बाजार

हिंसा के बाद दूसरे दिन भी लेह में दुकानें बंद रहीं। सड़कों पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है। प्रशासन ने एहतियातन स्कूल और कॉलेजों को बंद रखने का आदेश दिया है। हालात पर नजर बनाए रखने के लिए पूरे जिले में कड़ी चौकसी बरती जा रही है।

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उपराज्यपाल का बयान

लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने कहा, "हिंसा में लगभग 90 लोग घायल हुए थे, जिनमें से 19 का अब भी इलाज चल रहा है। कुछ को हल्की तो कुछ को गंभीर चोटें आईं। हालात को सामान्य करने के प्रयास जारी हैं।" 

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भीड़ में बाहर से आए लोग शामिल थे और उन्होंने सीआरपीएफ और पुलिस की गाड़ियों को जलाने की कोशिश की।

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सोनम वांगचुक का सरकार पर आरोप

लद्दाख के जाने-माने पर्यावरणविद् और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक ने अपने ऊपर लगे आरोपों को "विच हंटिंग" बताया। उन्होंने कहा कि लेह में हुई हिंसा के एक दिन बाद गृह मंत्रालय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर उन्हें जिम्मेदार ठहराया।

उन्होंने कहा, "CBI ने हमें नोटिस भेजा है कि हमारे संस्थान ने FCRA के बिना विदेशी फंडिंग ली। हमने FCRA इसलिए नहीं लिया, क्योंकि हमें विदेश से फंड नहीं चाहिए। लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने हमारे ‘पैसिव सोलर हीटेड बिल्डिंग’ प्रोजेक्ट को अफगानिस्तान ले जाने के लिए फीस दी। इसी तरह स्विट्जरलैंड और इटली की संस्थाओं ने भी तकनीकी सहयोग के लिए फीस दी थी, जो टैक्स के साथ लिया गया था। अब हमें आयकर विभाग के नोटिस भी मिल रहे हैं। कल की घटनाओं के बाद सरकार ने पूरा ठीकरा मुझ पर फोड़ दिया है।"

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लेह में हुए हिंसक प्रदर्शन

लेह में हाल के दिनों में लद्दाख को छठी अनुसूची की संवैधानिक सुरक्षा और पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर प्रदर्शन तेज हो गए थे। 24 सितंबर को हुए हिंसक प्रदर्शन के दौरान 4 लोगों की जान चली गई और दर्जनों लोग घायल हो गए।

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