विचार

60 साल बनाम 6 सालः विरासत को नकारना राजनीतिक अवसरवाद है या फिर अज्ञानता

बीजेपी नेताओं समेत मीडिया का एक तबका अभियान के तहत कांग्रेस के 60 साल के शासन में हुई प्रगति को नकारता रहा है। लेकिन सवाल खड़े करने वाले भूल रहे हैं कि आजादी के बाद उतनी मुश्किल घड़ी से निकालकर देश को प्रगति की राह पर बढ़ाने का काम कांग्रेस ने ही किया।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

साल 2014 में जबसे नरेंद्र मोदी केंद्र की सत्ता में आए हैं, बीजेपी नेताओं, आम लोगों और मीडिया के एक तबके के लिए भारत की किसी भी समस्या के लिए ‘60 साल के कांग्रेस शासन’ को दोषी ठहराना एक शगल बन गया है। इस अभियान के अगुआ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह रहे हैं, लेकिन शाह ने हाल में ‘अनडूइंग 60 ईयर्स इन जस्ट 6’ (60 साल की गलतियों को केवल 6 साल में दुरुस्त करना) शीर्षक से लेख लिखकर इस मामले में मोदी को भी पीछे छोड़ दिया है।

हैरत की बात यह है कि अमित शाह के इस लेख के तथ्य सरकार के अपने ही आंकड़ों से मेल नहीं खाते, बल्कि कहा जा सकता है कि इसके ठीक उलट हैं। यह लेख उसी दिन प्रकाशित हुआ जब सरकार ने स्वीकार किया कि पिछली तिमाही के दौरान 3.1 फीसदी की जीडीपी वृद्धि दर 11 वर्षों में न्यूनतम है। यह वाकई अजीब सी बात है। 2014 से पहले की उपब्धियों को दरकिनार करना दरअसल देश के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक इतिहास के प्रति अज्ञानता है।

***

Published: 05 Jun 2020, 7:08 PM IST

कांग्रेस शासन काल पर सवाल उठाने का सिलसिला नरेंद्र मोदी ने 2014 में लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान शुरू किया था। तब इस अभियान पर पानी की तरह पैसा बहाया गया और लोगों का एक तबका इस झांसे में आ भी गया। तब से बीजेपी नेताओं समेत आम लोगों और मीडिया का एक तबका न केवल भारत की सबसे पुरानी पार्टी की छवि को धूमिल करने में जुटा है, बल्कि देश में उन 60 साल के दौरान हुई प्रगति को भी नकार रहा है।

बीएसपी नेता मायावती जैसे विपक्षी नेताओं को भी लगने लगा है कि कांग्रेस के 60 वर्षों के शासन और उसकी नीतियों पर हल्ला बोलने का यह माकूल समय है। अमित शाह के दस्तखत वाले लेख के छपने से मुश्किल से एक सप्ताह पहले मायावती ने ट्वीट करके आरोप लगाया कि प्रवासी मजदूरों की तकलीफों की असली दोषी तो कांग्रेसी नीतियां हैं, जो सत्ता में उसके लंबे समय तक रहने के दौरान “रोजगार के मौके पैदा न कर सकीं”। उनके मुताबिक अगर कांग्रेस सरकारों ने राज्य में लोगों की आजीविका का उचित “इंतजाम” किया होता तो लोगों को काम के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता।

Published: 05 Jun 2020, 7:08 PM IST

लेकिन क्या उनके आरोप सही हैं और क्या बीजेपी की 60 साल बनाम 6 साल की व्याख्या में कोई दम है? आजादी के बाद कांग्रेस तकरीबन 55 साल तक केंद्र की सत्ता में रही। आइए पड़ताल करें कि इस बयान में कितनी सचाई है कि “कांग्रेस शासन के 60 वर्षों” ने देश को बर्बाद कर दिया।

एक देश के तौर पर भारत अब भी बहुत कम उम्र का है, केवल 73 साल का। 1947 से पहले यह सैकड़ों छोटे-छोटे राजे-रजवाड़ों वाला एक भौगोलिक क्षेत्र था। 1947 के बाद ही इन राजे-रजवाड़ों को मिलाकर भारत नाम के देश का निर्माण हुआ। अंग्रेज उपनिवेशवादियों ने लंबे समय तक भारत के संसाधनों का दोहन किया और इन राजे-रजवाड़ों में से ज्यादातर अंग्रेजों से समझौता कर ऐशो-आराम की जिंदगी में मशगूल रहे। जब भारत औपनिवेशिक शासन से आजाद हुआ तो नई सरकार को एकदम शून्य से शुरुआत करनी थी।

***

Published: 05 Jun 2020, 7:08 PM IST

आजाद भारत की पहली जनगणना 1951 में हुई और उसके आंकड़े बताते हैं कि तब देश की आबादी 35.9 करोड़ थी, जिसमें से करीब 75 फीसदी गरीब थे, जबकि आज 1.3 अरब की आबादी में 21.9 फीसदी ही गरीब हैं। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है, जिसे आलोचक और अभियान चलाने वाले नजरअंदाज कर दे रहे हैं। गरीबी में यह कमी धीरे-धीरे तमाम सरकारों के लगातार प्रयासों के कारण आ पाई। अगर विभिन्न राज्य सरकारों ने इस दिशा में संतोषजनक काम किया होता तो यह आंकड़ा और नीचे होता।

सच्चाई तो यह है कि नीति आयोग के हालिया आंकड़े बताते हैं कि ऐसे तमाम बड़े राज्य हैं, जहां लंबे समय से कांग्रेस सत्ता में नहीं रही और गरीबी दूर करने में वे बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सके। उत्तर प्रदेश और बिहार में कांग्रेस पिछले तीस सालों से सत्ता में नहीं है और यहां गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों की आबादी क्रमशः 29.43 और 33.74 प्रतिशत है। झारखंड और छत्तीसगढ़ में तो गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों का प्रतिशत क्रमशः 36.93 और 39.93 रहा, जबकि यहां बीजेपी की तुलना में कांग्रेस की सरकार बहुत थोड़े समय के लिए रही।

Published: 05 Jun 2020, 7:08 PM IST

स्थिति यह है कि वैसे ज्यादातर राज्यों में, जहां कांग्रेस सत्ता में नहीं रही, गरीबी की दर राष्ट्रीय औसत से अधिक रही। विश्व बैंक की 2018 की रिपोर्ट कहती हैः “पिछले 50 वर्षों पर नजर डालें तो भारत ने धीरे-धीरे ही सही लेकिन निरंतरता के साथ विकास किया है और यह- कृषि, उद्योग और सेवा- सभी क्षेत्रों में हुआ है।”

“पिछले पांच दशकों में छह बार ऐसा हुआ कि विकास दर 8 फीसदी से अधिक दर्ज की गई यानी तकरीबन एक दशक में एक बार इसने अपने शीर्ष स्तर को छुआ। लगातार पांच वर्षों तक ऊंची विकास दर केवल 2004 से 2008 के बीच रही, जब हर साल विकास दर ने 8 फीसदी के स्तर को छुआ। भारत का दीर्घकालिक आर्थिक प्रदर्शन प्रभावशाली है।”

Published: 05 Jun 2020, 7:08 PM IST

“दीर्घकालिक विकास दर में उतार-चढ़ाव के बावजूद दस-दस साल की हर समयावधि में विकास दर बढ़ी ही है और इसमें कभी भी लंबी अवधि के लिए गिरावट का रुख नहीं रहा। वृद्धि का पहला दौर 1991 से 2003 तक रहा, जब जीडीपी सालाना 5.4 फीसदी की दर से बढ़ा। इस दौरान पिछले दो दशकों की तुलना में एक प्रतिशत अंक की वृद्धि दर्ज की गई। अभूतपूर्व वृद्धि का एक छोटा दौर 2004-08 के दौरान रहा, जब जीडीपी में सालाना औसत वृद्धि दर 8.8 फीसदी रही।”

वास्तविकता तो यह है कि 1950-51 के बाद से 2013-14 तक भारत के जीडीपी में 107904.25 फीसदी की वृद्धि (10,401 करोड़ से 11,233,522 करोड़) दर्ज की गई। कृषि, मैन्युफैक्चरिंग और उद्योग, खनन और कंस्ट्रक्शन, सेवा, विदेश व्यापार और निवेश तथा इन सभी समूहों से जुड़े उपक्षेत्रों में 1947 के बाद से भारत ने शानदार प्रगति की है।

Published: 05 Jun 2020, 7:08 PM IST

दो सौ साल की तबाही और लूट की औपनिवेशिक पृष्ठभूमि के बाद अस्तित्व में आए एक लोकतंत्र के सामने चुनौतियों का पहाड़ था। भारत के निर्माताओं ने एक मजबूत बुनियाद रखी और बाद के लोग मजबूत इमारत खड़ी करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते रहे। आजादी के ठीक बाद की तुलना में प्रधानमंत्री मोदी को तो विरासत में एक मजबूत अर्थव्यवस्था, एक क्रियाशील लोकतंत्र और दुनिया के सर्वोत्ष्ट उत्पाद से मुकाबला करने के हौसले से भरे उद्यमी मिले। देश की उन्नति के लिए कांग्रेस तथा अन्य सरकारों- वाजपेयी समेत- को श्रेय नहीं देना या तो राजनीतिक अवसरवाद है या फिर भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक इतिहास के प्रति अज्ञानता।

Published: 05 Jun 2020, 7:08 PM IST

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: 05 Jun 2020, 7:08 PM IST