सबसे धनी 21 भारतीय अरबपतियों के पास 70 करोड़ भारतीयों से अधिक संपत्ति है। यह तथ्य ऑक्सफैम इंडिया की हाल में जारी रिपोर्ट में विषमता संबंधी अनेक अन्य महत्त्वपूर्ण आंकड़ों के साथ बताया गया है जिनके बारे में संदर्भ और स्रोत भी रिपोर्ट में दिए गए हैं।
महामारी के आरंभ होने से नवंबर 2022 तक भारतीय अरबपतियों की संपत्ति 121 प्रतिशत बढ़ी है। वास्तविक अर्थों में 3608 करोड़ रुपए प्रति दिन के हिसाब से बढ़ी है। यानि 2.5 करोड़ रुपए प्रति मिनट के हिसाब से बढ़ी है।
केवल 5 प्रतिशत भारतीयों के पास देश की संपत्ति का 60 प्रतिशत हिस्सा है जबकि नीचे के 50 प्रतिशत के पास देश की संपत्ति का मात्र 3 प्रतिशत हिस्सा है। ऑक्सफैम की नवीनतम रिपोर्ट ‘सरवाईवल ऑफ द रिचस्ट: द इंडिया स्टोरी’ ने यह जानकारी देते हुए बताया है कि भारत के सबसे धनी व्यक्ति की संपत्ति साल 2022 में 46 प्रतिशत बढ़ी है। इस रिपोर्ट ने बताया कि इन अरबपति के अनरियलाईज्ड गेन्स पर एकबारगी 20 प्रतिशत टैक्स से (2017-21 के दौरान) 1.8 लाख करोड़ रुपए प्राप्त किए जा सकते हैं। यह धनराशि एक वर्ष के दौरान प्राथमिक विद्यालयों में 50 लाख अध्यापकों को रोजगार देने के लिए प्राप्त है।
ऑक्सफैम ने केन्द्रीय मंत्री से अपील की है कि इस अत्यधिक विषमता को समाप्त करें और आगामी बजट में संपत्ति टैक्स जैसे समतावादी कदम उठाएं।
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इस रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि वर्ष 2012-2021 के दौरान जो संपत्ति संवृद्धि भारत में हुई है, उसका 40 प्रतिशत ऊपर की मात्र 1 प्रतिशत जनसंख्या को गया है, जबकि नीचे की 50 प्रतिशत जनसंख्या को मात्र 3 प्रतिशत हिस्सा मिला है। ऑक्सफैम इंडिया की नवीनतम रिपोर्ट (जो विश्व आर्थिक मंच के डेवो सम्मेलन - स्विटजरलैंड में पहले दिन रिलीज हुई) में बताया गया है कि भारत में अरबपतियों की संख्या वर्ष 2020 में 102 से बढ़कर वर्ष 2022 में 166 हो गई। भारत के 100 सबसे धनी की कुल संपत्ति 54 लाख करोड़ रुपए पहुंच गई, जिससे 18 महीने का केन्द्रीय बजट बन सकता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि सबसे धनी 10 भारतीयों की कुल संपत्ति 27 लाख करोड़ रुपए है। पिछले वर्ष से इसमें 33 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यह संपत्ति स्वास्थ्य और आयुष मंत्रालयों के 30 वर्ष के बजट, शिक्षा मंत्रालय के 26 वर्ष के बजट और मनरेगा के 38 वर्ष के बजट के बराबर है।
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कारपोरेट टैक्स में वर्ष 2019 में कमी की गई और छूट तथा प्रोत्साहन के रूप में वर्ष 2021 में 1,03,285 करोड़ रुपए का लाभ उन्हें मिला जो 1.4 वर्ष के लिए मनरेगा बजट के बराबर है।
अमिताभ बेहर, ऑक्सफैम भारत सीईओ ने कहा, “धनी वर्ग के पक्ष में खड़ी व्यवस्था में सीमान्त के लोग-दलित, आदिवासी, मुस्लिम, महिलाएं, अनौपचारिक क्षेत्र के मेहनतकश-बढ़ती कठिनाईयों का सामना कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि धनी वर्ग पर टैक्स बढ़ा कर उनसे समुचित हिस्सा प्राप्त किया जाए। हम वित्त मंत्री से अपील करते हैं कि वे संपत्ति टैक्स और इनहेरिटेंस टैक्स जैसे टैक्स लाएं जिससे विषमता कम हो।”
ऐसे करों से सरकार को अधिक वित्तीय संसाधन प्राप्त होंगे तो बहुत जरूरी सार्वजनिक सेवाओं और जलवायु बदलाव कम करने जैसे महत्त्वपूर्ण कार्य आगे बढ़ सकेंगे। विषमता के विरुद्ध भारतीय संघर्ष अलायंस के सर्वेक्षण के अनुसार 80 प्रतिशत लोग धनी वर्ग और कोविड के दौरान अधिक मुनाफा कमाने वालों पर अधिक टैक्स का समर्थन करते हैं। 90 प्रतिशत ने कहा कि बजट में विषमता कम करने वाले कदम बढ़ाएं जैसे सबके लिए सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य अधिकार, महिला हिंसा कम करने के उपाय आदि।
आक्सफैम इंडिया ने वित्त मंत्री से यह संस्तुतियां की हैं:
सबसे ऊपर के 1 प्रतिशत धनी व्यक्तियों की संपत्ति पर स्थाई तौर पर कर लगना चाहिए, और अत्यधिक धनी व्यक्तियों से अधिक कर प्राप्ति पर समुचित ध्यान देना चाहिए। संपत्ति टैक्स, विंडफाल टैक्स और इनहेरिटेंस टैक्स के माध्यम से अधिक संसाधन जुटाने चाहिए।
जो निर्धन और मध्यम वर्ग के दैनिक उपयोग और जरूरत की वस्तुए हैं, उन पर जीएसटी की दर कम करनी चाहिए और विलासिता की वस्तुओं पर जीएसटी की दर बढ़ानी चाहिए। इस तरह कर व्यवस्था समतावादी बन सकेगी।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के प्रावधान के अनुसार स्वास्थ्य के लिए आवंटन को वर्ष 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 प्रतिशत कर देना चाहिए ताकि सार्वजनिक स्वास्थ्य मजबूत हो सके और लोगों पर बोझ कम हो सके, वे किसी स्वास्थ्य के संकट का सामना बेहतर ढंग से कर सकें।
विभिन्न सामाजिक-आर्थिक श्रेणियों और क्षेत्रीय आधार पर स्वास्थ्य क्षेत्र में जो विषमताएं हैं, उन्हें दूर करना चाहिए। जिला अस्पतालों से जुड़े हुए मेडिकल कालेज खोलने चाहिए, विशेषकर पर्वतीय, आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में ताकि स्वास्थ्य सेवाओं और स्वास्थ्यकर्मियों की कमी न रहे। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, और सरकारी अस्जतालों को बेहतर और मजबूत करना चाहिए, वहां पर्याप्त डाक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की व्यवस्था होनी चाहिए, और जरूरी साज-समान उपलब्ध होना चाहिए ताकि उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवा आवास और कार्यस्थल के 3 किमी. के दायरे में उपलब्ध हो सके।
शिक्षा के लिए सरकार के बजट के आवंटन के बारे में यह व्यापक मान्यता है कि यह सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत होना चाहिए। इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी मान्यता मिली है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार को योजनाबद्ध ढंग से आवंटन बढ़ाना चाहिए।
शिक्षा में मौजूदा विषमताओं को दूर करने के लिए इसके अनुकूल कार्यक्रमों को बढ़ना चाहिए, जैसे कि अनुसूचित जातियों और जनजातियों के छात्रों, विशेषकर छात्राओं के लिए मैट्रिक के पहले और बाद की छात्रवृत्तियां।
कठिन दौर से गुजरते हुए और महंगाई से जूझते हुए मजदूरों की सुरक्षा बढ़ाने और उनकी आर्थिक व कार्यस्थितियों को मजबूत करने के लिए प्रयास महत्त्वपूर्ण हैं।
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