हिन्दू हृदय सम्राट को यूं तो जूते से मुकुट तक सब पहनकर सोने का अभ्यास था, मगर उस रात उनके गंजे सिर में खुजली बहुत चली। वह सिर खुजाते और मुकुट पहनते। फिर खुजाते और फिर पहनते। कोई सौ बार के बाद थक कर उन्होंने मुकुट सिरहाने रख दिया। तुरंत ही ईश्वर की कृपा से आई उनकी नींद सुबह सात बजे खुली, जबकि रोज पांच बजे खुल जाती थी!
खैर सम्राट ने ईश्वर को धन्यवाद दिया। सूरज देवता को प्रणाम करके उनसे क्षमा मांगी कि आज मैं आपके दर्शन विलंब से कर पाया। आप के सहारे ही मैं हिन्दू हृदय सम्राट हूं। बाथरूम जाने के लिए मुकुट की ओर हाथ बढ़ाया तो देखा, गायब है, जबकि सभी दरवाजे अंदर से बंद थे। उन्होंने स्वयं बंद किए थे। तीन बार बिस्तर से उठ कर खुद चेक भी किया था। बाहर हथियार बंद सिपाही खड़े थे। फिर यह कैसे हुआ?
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सम्राट के होश उड़ गए। हृदय अभी भी धड़क रहा था, मगर वह हिन्दू हृदय सम्राट का है, इसमें उन्हें संदेह था। कहीं रातों-रात तख्तापलट हो गया? सब तरफ तो मेरे लोग खड़े, बैठे, लेटे और सोए हुए हैं। फिर कैसे कोई और हिन्दू हृदय सम्राट बन गया और उसने किस चमत्कारिक विधि से मेरा मुकुट गायब करवाया? उन्होंने अपनी पोशाक देखी। वह सुरक्षित थी। मतलब कोई उनकी अचकन, रत्नमाला, पायजामा उतार कर नहीं ले गया था, केवल उसने उनका मुकुट उड़ाया था। और इसी से सम्राट की पहचान होती है!
वह नित्यकर्म करना भूल गए। पहले स्वयं अपने कक्ष में चारों तरफ देखा। शय्या के नीचे झुक कर, लेट कर देखा। उसके नीचे घुस कर देखा। टार्च जलाकर देखा। मोबाइल की लाइट जला कर देखा। पर्दे हटा कर सूरज की रोशनी में देखा। चारों दिशाओं में ही नहीं, छत और फर्श पर भी देखा। खिड़कियों से आकाश की तरफ झांका, पेड़ों की तरफ गौर से देखा। उन्होंने मन की बात की खंदकों-खाइयों-गड्ढों-डबरों में देखा। असत्य वचनों के प्रवाह में खोजा। मुकुट कहीं नहीं था। सम्राट को शक हुआ कि हो गया उनका तख्ता पलट!
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नंगे सिर प्रजा के सामने जाने से हिन्दू जनता का अपमान होता। संयोग से केसरिया साफा शयनकक्ष में था। उसे धारण कर उन्होंने नित्यकर्म संपन्न किए। बाहर आकर देखा। सब सामान्य सा था। उन्होंने ब्रेकफास्ट पर कई अतिथियों को आमंत्रित कर रखा था। उनके सामने वह प्रकट हुए। उनके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं। उन्होंने अतिथियों से कहा- आप ये सुस्वादु व्यंजन ग्रहण करके जाएं। मैं भूल गया था, आज मेरा उपवास है। नमस्कार। जयश्री राम। सम्राट जाने पर सब उनके सम्मान में उठ खड़े हुए!
स्टाफ और अतिथि सब समझ गए कि आज हिन्दू ह्दय सम्राट किसी बात से बहुत परेशान हैं।आज पहली बार उनके सिर पर मुकुट नहीं है। किसी को रहस्य समझ में नहीं आया। कोई पूछ सकता नहीं था। हिन्दू हृदय सम्राट से पूछने की सख्त मनाही थी, सुनने की पूर्ण स्वतंत्रता थी!
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केसरिया रंग में पगे व्यंजन इतने सारे थे कि किसी हिन्दू का मन उन्हें छोड़ने का नहीं हुआ, मगर सब सोच रहे थे कि पहल कोई और करे। एक से रहा नहीं गया। सब पदार्थ खड़े-खड़े ही उसने जल्दी-जल्दी मुंह में ठूंसना आरंभ किया, तो बाकी ने भी हाथ साफ किए। कुछ भी नहीं छोड़ा।प्लेटें इतनी साफ थीं, जैसे धुली-पुंछी हों। बाहर डकारते हुए, हंसी-मजाक करते हुए सब बाहर आए और कैडेलक रामरथ पर अपने-अपने महल रवाना हुए!
सबने सबसे पहले अपनी पहले जैसी दूसरी पगड़ी का आर्डर दिया, ताकि सम्राट जैसा संकट उनके सामने न आए। फिर सबने अपने अपने परिवार में चर्चा की कि आज सम्राट के सिर पर मुकुट न होने का रहस्य क्या हो सकता है!
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खैर। सम्राट ने अपने प्रिंसिपल सेक्रेटरी को फोन किया कि उनके साथ क्या हो चुका है। इसकी गोपनीय रीति से जांच करवाई जाए और तुरंत इसी प्रकार के मुकुट की व्यवस्था की जाए। उन्होंने डांटा कि आपके होते हुए यह सब कैसे हुआ? आपने आपात स्थिति के लिए एक और मुकुट पहले से मेरे लिए तैयार क्यों नहीं करवाया था? मैं पहले हिन्दू हृदय सम्राट हूं, बाद में जो हूं,सो हूं।
सम्राट ने डांटते हुए कहा कि आप तुरंत उच्चस्तरीय गोपनीय जांच करवा कर तीन घंटे के भीतर मुझे रिपोर्ट दीजिए।एक मिनट भी इससे अधिक नहीं होना चाहिए। वह तो मेरा मुकुट ही गायब हुआ है। कोई कुछ भी करके जा सकता था। हिन्दू हृदय क्या ऐसी स्थिति में एक मिनट भी धड़क पाता? हिन्दू क्या अपने हृदय पर हुए इस अकस्मात घात को सह पाते?
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आगे की कहानी का लब्बोलुआब यह है कि तीन घंटे क्या, तीन महीने बाद भी मुकुट का सुराग नहीं मिला है। सम्राट दुखी और परेशान हैं। उधर खबर है कि हिन्दूह्दय तेजी से नागरिक हृदय बनते जा रहे हैं और किसी को परवाह नहीं है कि हिन्दूहृदय सम्राट के मुकुट का क्या हुआ, जबकि गोदी चैनल रोज मुकुट रहस्य को प्राइम टाइम में दिखा रहे हैं!
सम्राट का मुकुट खतरे में है!
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