विचार

विष्णु नागर का व्यंग्यः उसे लोकतंत्र का ड्रामा भी चाहिए और हर आदमी की जुबान पर अलीगढ़ी ताला भी चाहिए!

उसे चायवाला, फकीर, चौकीदार, नाली के पानी से गैस बनाने का आविष्कारक, तक्षशिला को देश में बताने के कारण परम विद्वान और पत्नी का त्याग करने पर भी त्यागी की इमेज चाहिए। उसे फर्जी डिग्रियां भी चाहिए और इसे ज्ञान पिपासा की उसकी उत्कंठा का पुख्ता सबूत माना जाए!

फोटोः gettyimages
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उस आदमी को सब चाहिए, जो दुनिया में है, वह भी और जो नहीं है, वह भी। आकाश में सूर्य और चंद्रमा तक उसकी इजाजत और सुविधा से निकलें, यह भी चाहिए और इस देश के पक्षी कब चहचहाएं, कब भैंस पानी में जाए और कब मुर्गी बांग दे, इसका निर्णय करने की शक्ति भी। जिस दिन वह चाहे उस दिन शुक्रतारा न निकले और जिस दिन चाहे, सिर्फ वही निकले!

उसे अपनी टेबल पर हिन्दुस्तान के हर आदमी का आज का ऑनलाइन टाइमटेबल चाहिए और कौन उससे हटा, बचा, उसने इसका कितनी बार उल्लंघन किया, इसकी प्राथमिकी दर्ज हुई या नहीं और कितनी देर से दर्ज हुई, इसमें चूक किसकी थी और उसे क्या दंड दिया गया, इसके समस्त विवरण चाहिए। दंड से किसी को अगर मुक्ति दी गई है तो किस आधार पर, क्यों, इसकी विस्तृत जानकारी चाहिए। इसमें वरवर राव का नाम किसने और किसकी अनुमति से, कब शामिल किया, इसकी रिपोर्ट चाहिए और अगर ऐसा किसी डॉक्टर की अनुमति से किया गया है तो उसकी राष्ट्रभक्ति संदेहास्पद है, इस 'तथ्य' की अनदेखी किसने की, कौन इसके लिए जिम्मेदार है, इसकी रिपोर्ट चाहिए!

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ये तो चाहिए ही, पर वह वीर बालक था, है और नहीं रहेगा, तब भी वही रहेगा, इस छवि का निरंतर प्रचार-प्रसार भी चाहिए और किसने इस कार्यक्रम को कभी नहीं देखा और देखा तो कौन उसे देखकर हंस-हंस कर लोटपोट होता रहा, इसकी जांच रिपोर्ट चाहिए। उसे लोकतंत्र का ड्रामा भी चाहिए और उस हर आदमी की जुबान पर असली अलीगढ़ी ताला भी चाहिए, जो इसकी इस हालत से परेशान होकर बोलना और लिखना अभी तक भूला नहीं सका है। वह देश का एकछत्र सम्राट है, यह विश्वास भी उसे चाहिए और उसे भगवान विष्णु का अवतार माना जा रहा है, यह इमेज भी चाहिए!

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उसे अपने नाम पर स्टेडियम ही नहीं, भारत नामक देश का नाम उसके नाम पर होना चाहिए, इस प्रस्ताव का अनुमोदन संसद और सभी विधानसभाओं से जल्दी से जल्दी चाहिए! उसे देश के सभी 130 करोड़ लोगों की नुमाइंदगी का गौरव भी चाहिए और मुसलमानों-ईसाइयों, किसानों-मजदूरों से रिक्त देश भी चाहिए, ताकि अंबानी-अडानी की सेवा में उसका पल-प्रतिपल निष्कंटक बीत सके।उन्हें बेड टी से लेकर डिनर तक वह सर्व कर और करवा सके। उनके बिस्तर की सलवटें मिटाने का काम भी वह कुशलता से अपने कुशल नेतृत्व में कर-करवा सके। उन्हें नींद आ जाए तो वह भी सोए वरना रात में मालिक ने कितनी बार करवट बदली, किस करवट वह जागे, इसका विवरण दर्ज कर प्रातः बेला में उन्हें सुना सके, इसके लिए शाबाशी चाहिए!

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और भी बहुत कुछ चाहिए। किस मंत्री ने आज ट्विटर पर गुडमार्निंग कब किया और कल गुडनाइट कब किया था, इस पर तैयार एक नोट चाहिए! ये कल इलेक्ट्रॉनिक मंत्री ने रात तीन बजे ही गुड मार्निंग क्यों किया, इससे पूछो और उसे तथा सबको स्पष्ट निर्देश दिए जाएं कि सुबह पांच बजे से पहले ऐसे मैसेज नहीं आने चाहिए। मंत्री की नींद रात तीन बजे खुल गई और उसने अपनी नींद खुलने को ही सुबह होना समझ लिया, यह उसकी अपनी और आसपास पलने वाले मुर्गे-मुर्गियों की समस्या है। उसे बता दिया जाए कि उसकी नींद बीच में खराब होने का असर देश के इलेक्ट्रॉनिक भविष्य पर पड़ सकता है। इससे स्वावलंबी भारत के निर्माण का सपना ध्वस्त हो सकता है। इस कारण उसका मंत्री पद भी जा सकता है! जाओ, मेरा मुंह क्या ताक रहे हो, फौरन नंबर मिलाओ!

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उसे यह छवि भी चाहिए कि उस जैसा राष्ट्रभक्त न कोई हुआ है, न होगा और इसका एकमात्र कारण यह माना जाए कि वही अकेला ऐसा साहसी हुआ है, जिसने उस सारी सरकारी संपत्ति को पूंजीपतियों को बेच दिया, जिसे नेहरू ने बनाया था। उसे अर्थव्यवस्था सड़ी हुई ही चाहिए, जिसमें बेरोजगार लड़के-लड़कियां धर्म के नाम पर गुंडागर्दी करने का सुख पाकर आनंदपूर्वक जीवन व्यतीत कर सकें। किसान-मजदूर भूख से बिलबिलाते घूम सकें। इच्छा हो तो आत्महत्याएं भी कर सकें और इच्छा हो तो सारे घर के लोगों को जहर देकर सपरिवार स्वर्ग प्रयाण करके वहां प्राप्त 'सुखों' के लिए उसके प्रति कृतज्ञता ज्ञापन भी कर सकें!

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उसे चायवाला, भिक्षुक, फकीर, चौकीदार, नाली के पानी से गैस बनाने का आविष्कारक, तक्षशिला को भारत में बताने जैसे परम विद्वान होने का 'गौरव' भी चाहिए। पत्नी का त्याग करने को भी उसके त्यागी होने का प्रमाण माना जाए, यह इमेज चाहिए। फर्जी डिग्रियां भी चाहिए और इसे ज्ञान पिपासा की उसकी उत्कंठा का पुख्ता सबूत माना जाए!

बाकी आप सब इस लेखक से अधिक समझदार हो। थोड़ा लिखा ज्यादा आप समझ ही लोगे। जिन्हें आज समझ में न आए उन्हें कल समझा सकोगे, वरना परसों तो आएगा ही। आएगा कि नहीं आएगा? आएगा।।

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