विचार

कई सुपर स्टार आए और चले गए, लेकिन हर युग में चलता रहा ऋषि कपूर का सिक्का 

युग आए और चले गए लेकिन उनके नाम से कोई युग नहीं चला फिर भी वे हर युग में बने रहे। हिंदी सिनेमा में तब राजेश खन्ना युग था जब ऋषि कपूर हीरो बन कर पर्दे पर आए। हर युग में खास बात ये रही कि ऋषि कपूर रूपहले पर्दे पर शान के साथ राज करते रहे।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

युग आए और चले गए लेकिन उनके नाम से कोई युग नहीं चला फिर भी वे हर युग में बने रहे। हिंदी सिनेमा में तब राजेश खन्ना युग था जब ऋषि कपूर हीरो बन कर पर्दे पर आए। फिर अमिताभ का लंबा युग चला। उसके बाद फिल्मों में अराजकता का युग रहा और साल 2000 के बाद बदलाव का युग शुरू हुआ और हर युग में खास बात ये रही कि ऋषि कपूर रूपहले पर्दे पर शान के साथ राज करते रहे।

Published: 30 Apr 2020, 5:00 PM IST

फिल्म अभिनय का सबसे बड़ा परिवार यानी कपूर परिवार ने हिंदी फिल्मों को करीब 10 पुरूष अभिनेता दिए। लेकिन अभिनय की रेंज के मामले में ऋषि सबसे आगे नज़र आते हैं। बल्कि शशि कपूर के अलावा तो कोई उनके आस पास भी नहीं था यहां तक की उनके पिता राजकपूर भी नहीं।

1973 में जब ऋषि कपूर की बतौर अभिनेता पहली फिल्म बॉबी रिलीज़ हुई तो फिल्मों में प्यार के तौर तरीके ही बदल गए। तब ऋषि की उम्र थी महज़ 21 साल। इसके बाद संगीत प्रधान रफू चक्कर, लैला मजनू, कर्ज, हम किसी से कम नहीं जैसी सुपर हिट फिल्में उनके खाते में आईं। तब तक मल्टी स्टारर फिल्मों और अमिताभ की एंग्री मैन की छवि वाला दौर शुरू हो चुका था। अमिताभ बच्चन की मौजूदगी के बावजूद ऋषि कपूर ने अमर अकबर एंथनी, नसीब, कुली, कभी कभी और अजूबा में काम कर अपनी अलग मौजूदगी का एहसास कराया।

Published: 30 Apr 2020, 5:00 PM IST

अस्सी के दश्क से फिल्मों में हिंसा के प्रदर्शन का दौर नब्बे के दश्क में चरम पर पहुंच गया। फिर भी इन दो दश्कों में पर्दे पर लगातार रोमांस करते दिखे ऋषि कपूर। हां उनकी बारूद जैसी फिल्म ज़रूर एक अपवाद थी। समय बीता और फिर सचिन, कुमार गौरव, सनी देओल और संजय दत्त जैसे अभिनेताओं की आमद हुई जिनकी रोमांटिक फिल्में हिट होने पर बार बार यही कहा गया कि अब ऋषि कपूर के रोमांस के दिन लद गए लेकिन हुआ ये कि एक दो फिल्मों के बाद ये सभी युवा अभिनेता हाथों में बंदूक लिये पर्दे पर नजर आने लगे

सिनेमा के ऐसे हिंसक समय में बस ऋषि कपूर थे जो रंजीता, नीतू सिंह, मौसमी चटर्जी, काजल किरण और शोमा आनन्द से लेकर श्री देवी, माधुरी दीक्षित और जूही चावला तक के साथ अपनी दिलकश मुस्कुराहट और ताज़गी भरे व्यक्तित्व के सहारे रोमांस करते रहे, गाने गाते रहे और डांस करते रहे।

Published: 30 Apr 2020, 5:00 PM IST

फिल्म निर्देशकों ने नई हिरोइनो के साथ सबसे अधिक ऋषि की जोड़ी स्थापित की। कुल मिला कर जितनी हिरोइनो के साथ ऋषि कपूर ने काम किया वैसी किस्मत किसी दूसरे अभिनेता की नहीं रही। यहां तक की हिरोइन प्रधान फिल्मों में भी सबसे अधिक ऋषि ने ही काम किया। दामिनी, नगीना और चांदनी जैसी नायिका प्रधान सुपर हिट फिल्मों में काम करके भी ऋषि फिल्मी दुनिया में अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रहे। मगर उनके करीबी उन्हें उम्र के बढ़ते असर को लेकर भी सचेत कर रहे थे। ऋषि को भी इसका एहसास होने लगा था फिर भी ऋषि की रोमांटिक छवि को तोड़ने का जोखिम ऋषि सहित कोई फिल्मकार नहीं लेना चाह रहा था।

Published: 30 Apr 2020, 5:00 PM IST

तब ऋषि कपूर ने ही पहल की। 1989 में आई फिल्म खोज में उनका निगेटिव किरदार था। कई वजहों से फिल्म फ्लाप रही। ऋषि कपूर फिर सतर्क हो गए। वे रोमांस के पाले में लौट आए। लेकिन एक ही तरह की छवि के साथ कोई कब तक चल सकता है। मन मार कर ऋषि अपनी छवि के साथ चलते रहे लेकिन कुछ नया करने की बेचैनी भी बढ़ती गयी। कुछ समय बाद जब उनका बेटा रनवीर नए रोमांटिक सुपर स्टार की छवि को गढ़ने लगा था, ऋषि कपूर ने दिखाया कि वे अभिनय के मैदान में वे कुछ भी कर सकते हैं। एक के बाद एक अपनी रोमांटिक छवि को चकना चूर करते हुए जैसी फिल्में ऋषि स्वीकार करनी शुरू कीं उससे सब हैरत में पड़ गए। ऐसी ही फिल्म थी दो दुनी चार। एक टीचर की ज़िंदगी, उसके सपनो और उसूलों को ऋषि ने बहुत संवेदना के साथ जिया। लेकिन 2012 में तो उन्होंने अपने अभिनय से हतप्रभ कर दिया। भला 90 फिल्मों में रोमांस को दोहरा चुका हीरो अग्निपथ का घिनौना और डरावना रऊफ़ लाला कैसे बन सकता था लेकिन ऋषि रऊफ लाला बने और सबकी तारीफ़ें हासिल कीं। अगले ही साल एक और यादगार निगेटिव किरदार में वे छा गए। ये फिल्म थी डी डे। इसमें अंडर वर्ड डान की क्रूरता को उन्होंने बखूबी निभाया। फिल्म समारोहों में उनकी और उनके बेटे दोनो की फिल्में एक साथ नामित हो रही थीं और ऋषि वक्त के इस दौर का भरपूर मज़ा ले रहे थे।

Published: 30 Apr 2020, 5:00 PM IST

उन्होंने जबरदस्त कामेडी टाइमिंग वाली कई फिल्में कीं लेकिन बुढ़ापे के संवेदनशील अभिनय क कपूर एंड कपूर्स और 102 नाट आउट में जिस तरह अदा किया वह एक मिसाल है। उनकी अंतिम यादगार फिल्म रही मुल्क (2018)। इसे बेहतरीन निर्देशन और शानदार पटकथा के साथ साथ ऋषि कपूर के दिल को छू लेने वाले अभिनय के लिये याद किया जाएगा। ऋषि कपूर का ना रहना कपूर परिवार के एक सदस्य का ना रहना या महज़ एक हीरो का चले जाना नहीं है बल्कि भारतीय फिल्मों के एक बेहतरीन कलाकार का हमेशा के लिए खो जाना है।

Published: 30 Apr 2020, 5:00 PM IST

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Published: 30 Apr 2020, 5:00 PM IST