विचार

भागवत जी, आपसे अनुरोध है कि अपनी बात पर टिके रहो!

इस बार हमें पूर्ण विश्वास था कि मोदी जी हैं तो संघप्रमुख जी भी उनकी राह पर चलते हुए अपनी किसी भी बात से पीछे नहीं हटेंगे, चाहे कितनी भी बेबुनियाद हो! लेकिन ये बेचारे तो दो दिन में ही पीछे हट गए।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

हेलो, भारत के वर्तमान 'हिंदू वीर' मोहन भागवत जी तो भाइयों -बहनों एकदम पीछे हट गए हैं, अपनी बात से बिल्कुल ही मुकर गए हैं! वैसे संघवालों को अपनी बात पर टिके रहने की आदत कब रही, सारा सौदा  सुविधा का है। जैसे कुछ लोग होते हैं, वैसे कुछ संगठन भी होते हैं। सुविधा है तो शेर हैं, वरना गीदड़ का पद तो बिना संवैधानिक आरक्षण के आरक्षित है! आपातकाल में देवरस जी, इंदिरा जी की तारीफ करते अघाते नहीं थे, बल्कि अपने दस हजार स्वयंसेवक भी उनकी सेवा में हाजिर करने को तैयार थे और आपातकाल के बाद मौका आया तो जनसंघियों को 'दूसरी आजादी' का सिपाही बनाकर जनता पार्टी में शामिल करवा दिया और फिर अवसर आया तो उसे तोड़ने में भी सबसे आगे रहे !

लेकिन इस बार हमें आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास था कि मोदी जी हैं तो संघप्रमुख जी भी उनकी राह पर चलते हुए अपनी किसी भी बात से पीछे नहीं हटेंगे, चाहे कितनी भी बेबुनियाद हो! लेकिन ये बेचारे तो दो दिन में ही पीछे हट गए, जैसे इन दिनों भी स्वतंत्रता संग्राम चल रहा हो। हालांकि उससे पीछे हटने का आरोप तो संघवालोंं पर लगाना ठीक भी नहीं! बेचारे तब आगे ही नहीं बढ़े थे, अंग्रेजों के साथ थे तो पीछे क्या हटते! लेकिन मोदी जी के साया होते हुए भी हट गए!

पिछले रविवार को मुजफ्फरपुर में तो माननीय भागवत जी, मोदीजी की शैली में 56 इंची होते हुए फेंक रहे थे, “सेना को तो तैयार होने में 6-7 महीने लगते हैं, हमारे अनुशासित स्वयंसेवक केवल तीन दिन में तैयार हो सकते हैं। संविधान इजाजत दे तो हमारे स्वयंसेवक मोर्चे पर जाने को तैयार हैं।”

जब इतनी अद्भुत क्षमता है वीरबहादुर जी आपकी कि सेना को भी ठेंगा दिखा सकते हो तो फिर कुछेक टीवी चैनलों और सोशल साइटों पर हल्ला मचने से कांप क्यों गए? अब संघ के प्रवक्ता जी सफाई दे रहे हैं कि अरे, आपने गलत समझा, उन्होंने तो कहा था कि अगर ऐसे हालत पैदा होते हैं और संविधान इजाजत देता है तो भारतीय सेना को 'समाज' को तैयार करने में 6 महीने लग सकते हैं, मगर हमारे स्वयंसेवक समाज को तीन दिन में तैयार कर सकते हैं! भागवत जी यह तो आपको मालूम ही है कि सेना का काम समाज को तैयार करना नहीं, मोर्चे पर लड़ना है! और जहां तक समाज को तैयार करने की बात है तो सब जानते हैं कि किस तरह का समाज आपने 1925 से आज तक तैयार किया है और आज तक आपने संविधान की कितनी परवाह की है, जो अब करेंगे!

शिवाजी और महाराणा प्रताप के साथ स्वयं को नाथूराम गोडसे का भी वंशज मानने वाले आप कुछ टीवी चैनलों और सोशल मीडिया की इतनी-सी चोट भी सह नहीं पाए, यह तो बहुत दुखद और खेदजनक है! अगर ऐसा ही रहा तो 'हिंदुत्व' का आगे क्या होगा, आपका 'हिंदू राज' कैसे बनेगा और कैसे जीतेंगे मोदी जी 2019 में?

हम बच्चे थे तो 26 जनवरी और 15 अगस्त को अक्सर यह गाना सुनते थे - 'बढ़े चलो, बढ़े चलो'। उसे भागवत जी आप भूल गए या आपको उल्टा याद रहा -  'पीछे हटो, पीछे हटो' ? अरे और 50 बातों में तो आप और आपके बंदे आगे ही आगे बढ़ते रहते हैं, पीछे ही नहीं हटते, चाहे गौ-रक्षा के नाम पर  इंसान की जान ही क्यों न लेना हो, फिर इस मामले में पीछे क्यों हट गए?

माननीय वीडियो रिकार्डिंग के जमाने में तो ऐसा सफेद झूठ मत बोला कीजिए। हालांकि यह संघ के संस्कार का मामला है! वैसे भागवत जी आप जो समाज और देश तैयार कर रहे हो, उसके लिए आपने कानून और संविधान की आखिरी बार इजाजत कब ली थी, यह याद है? आपके विधायकों-सांसदों-मंत्रियों को शपथ लेने के लिए मजबूरी में संविधान की कसम खानी पड़ जाती है, इसलिए आप लोग शपथ लेकर उसी दिन से संविधान को चिंदी-चिंदी उड़ाने में  लग जाते हो!

तो भागवत जी, आपसे अनुरोध है कि अपनी बात पर टिके रहो, 'हिंदू वीरों' की परंपरा में अपना नाम दर्ज कराओ! ऐसे 'वीर' जो अपनी बात पर दो दिन भी टिक नहीं सकते, क्या लाएगे 'हिंदू राज' और क्या लाएंगे 'रामराज्य', जिसके लिए आजकल आपके लोग पूरे देश में यात्रा पर निकले हैं! वैसे यह भी दंगा यात्रा ही होगी न! कुछ तो, कभी तो सच बोला करो! चुनाव आता है, तो आपकी यात्राएं शुरू हो जाती हैं! ऐसे यात्री भारत में पहली बार ही पैदा हुए  हैं और पहली बार ही देखे गए हैं। गलत तो नहीं कहा, भाई जी?

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined