विचार

विष्णु नागर का व्यंग्य: न्यू इंडिया में पीएम की माया, कानून भी वही, संविधान भी वही, सीबीआई-ईडी सब वही!

यह न्यू इंडिया उसी की माया है, आत्मनिर्भर भारत भी वही है। अनेक रूपों, अनेक वस्त्रों, अनेक भाषणों और अनेक नामों, नियमों, निर्णयों में उसीका आवास-निवास है। जो प्रकट है, वह, वह नहीं है। पढ़ें विष्णु नागर का व्यंग्य।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

कहते हैं प्रभु के नाम और रूप अनेक हैं मगर  है वह एक। ईश्वर कहो तो वही, अल्लाह कहो तो वही, गॉड कहो तो वही, कुछ और कहो तो भी वही। रूप भी वही, अरूप भी वही। प्रकट भी वही, अप्रकट भी वही। आगे बढ़ो तो यही बात प्रधानमंत्री जी पर भी लागू होती है। प्रधानमंत्री भी वही, मंत्रिमंडल भी वही। राष्ट्रपति भी वही, उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष भी वही। वकील भी वही, जज भी वही। कानून भी वही, संविधान भी वही। सीबीआई-ईडी सब वही। सब तरफ एक ही प्रभु की माया है। वही दिल्ली में व्याप्त है, वही लखनऊ में। बंगलुरु भी वही, शिमला भी वही। गुजराती भी वही, उत्तर प्रदेशी भी वही। बुलडोजर भी वही, केदारनाथ की गुफा में तपस्या लीन भी वही।

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गरीब भी वही, गरीबों का भक्षक भी वही। पांच किलो अनाज का थैला भी वही, गेहूं और चावल भी वही। नीति आयोग भी उसी को जानो,  चुनाव आयोग भी उसी का एक रूप-स्वरूप है। वही रिजर्व बैंक, वही एसबीआई। वही अडानी में विराजमान, वही अंबानी में। आरटीआई का जवाब भी वही, लोकसभा-राज्यसभा के माननीय सदस्यों के प्रश्नों के अनुत्तरित उत्तर भी वही। अर्णब वही, सुधीर चौधरी भी वही। बीजेपी भी वही, कल तक जनता दल (यू) भी था वही। जाति भी वही, हिंदू धर्म में घृणा का प्रयोजक भी वही। लाइव भी वही, पोस्टर भी वही। पेगासस जासूस संयंत्र से बेडरूम से लेकर बाथरूम तक झांकनेवाला भी वही।

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यह न्यू इंडिया उसी की माया है, आत्मनिर्भर भारत भी वही है। अनेक रूपों, अनेक वस्त्रों, अनेक भाषणों और अनेक नामों, नियमों, निर्णयों में उसीका आवास-निवास है। जो प्रकट है, वह, वह नहीं है। उसके अप्रकट को ही उसका असली स्वरूप जानो। अडानी-अंबानी को जो वह देता है और लेता है, अज्ञात है मगर गरीब को देने का जो ढोंग करता है, वह एक-एक बात अपने फोटो समेत बताता है।

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यथार्थ भी वही, भ्रम भी वही। जो वह करता है, यथार्थ है, जो वह कहता है, भ्रम है। उसकी दाढ़ी में कभी रवींद्रनाथ टैगोर विराजमान थे मगर उसमें तिनका निकल आया, फिर भी टैगोर वही। एंटायर पोलिटिकल साइंस में एम ए भी वही। फर्जी मार्कशीट में भी वही, राफेल सौदे में भी वही। मोबाइल में पेगासस रूपी जासूस भी वही। विकास वही, हिन्दू राष्ट्र वही। किसान उसका एक रूप देखते हैं, कारपोरेट दूसरा। जो रूप भक्त को दिखाई देता है, वह रूप अभक्त नहीं देख पाता, जबकि दोनों मनुष्य हैं और दोनों भारतीय हैं। कंगना रनौत ने उसका जो रूप देखा, वही अनुपम खेर ने भी देखा मगर अनुराग कश्यप और स्वरा भास्कर उस रूप को नहीं देख पाए। अंजना ओम कश्यप ने जो रूप देखा, उसे रवीश कुमार देखने में असमर्थ पाए गए। दोष भी उसका, चूंकि निर्दोष भी वही।

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जो डरे नहीं, उन्होंने उसे नौकरी से निकलवाने वाले अदेवता के रूप में देखा। जो डर कर जीते रहे, उन्होंने उसे अपने संरक्षक के रूप में जाना। वह ज्ञान से जितना दूर है, अज्ञान के उतना ही सन्निकट। अहंकार के जितना वह करीब है, विनम्रता से उतना ही दूर। चूंकि वह बहुरूपिया है, इसलिए जनता, आओ और वोट उसी को दो। वही तुम्हारा भूत था, वही तुम्हारा भविष्य होना। असत्य और पाखंड ही वर्तमान है, चाहो तो उसे ही अपना भविष्य बनाओ। 2024 पुकार रहा है, आओ अभी से कमर कस लो।

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