विचार

विष्णु नागर का व्यंग्य: राजनीतिक फायदे के लिए हिंदुओं को पागल बनाने की हो रही है कोशिश

आप बता सकते हैं कि कितने बीजेपी विधायकों, सांसदों, मंत्रियों - मुख्यमंत्रियों की संतानें सड़क पर तलवार या बंदूक लेकर निकल रही हैं और कितने दंगों में उनमें से कितनों ने भाग लिया है?

प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर  सोशल मीडिया

थोड़े- थोड़े पागल तो मैंने देखा है कि सब होते हैं। सबसे ज्यादा अक्लमंद जो अपने को समझते हैं, वे सबसे अधिक पागल होते हैं और देश वे ही चलाते हैं और चला रहे हैं। आजकल पागलपन का तापमान बहुत अधिक बढ़ा हुआ है। हाथ लगाओ तो हाथ जलते हैं पर माननीय मोहन भागवत जी, फिर भी इतना जान लो, इस पागल समय में भी देश के हिंदू इतने भी पागल नहीं हुए हैं कि आपके  कहने से एक या दो की जगह तीन-तीन बच्चे पैदा करने लगेंगे। और ये भी आप अच्छी तरह जान लो कि आपके इस आह्वान से डर कर मुसलमान भी तीन या चार बच्चे पैदा करना शुरू नहीं करेंगे! वे आपसे ज्यादा इस मामले में हिंदुओं को जानते हैं और हिंदू भी आपसे अधिक इस मामले में मुसलमानों को जानते हैं! बच्चे पैदा करने के मामले में हिंदू- मुस्लिम एकता अभी भी कायम है। आज एक बच्चे को पालना भी कितना मुश्किल है, ये आप नहीं जान सकते क्योंकि आप पिता नहीं बने मगर बाकी सब गृहस्थ जानते हैं। आजकल नौकरी है तो करना मुश्किल है। निकाल दिए जाने की तलवार हर घंटे लटकती रहती है। और जो नौकरी में नहीं है, उनके लिए नौकरी पाना मुश्किल है। इतनी महंगाई है कि झेलना कठिन है और उसके बोझ तले मरना भी आसान नहीं है‌। शादी करने का फैसला आज आसान नहीं है।

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और आप कहते हो, तीन- तीन बच्चे पैदा करो! और किसलिए करें भाई, कोई वजह तो हो! जिंदगी क्या इसलिए मिली है कि बच्चे पर बच्चे पैदा करके हिंदू-मुसलमान, हिंदू- मुसलमान करते रहें और फिर बच्चों से कहकर जाएं कि बेटा- बेटी, हमारे बाद तुम भी हमारे चरण चिह्नों पर चलना!

महोदय वह जमाना तो आपके युवा होते- होते चला गया, जब हिंदू- मुसलमान ढेर सारे बच्चे पैदा करते थे। वह वक्त गया और वह जरूरत भी गई। अब तो महोदय हिंदुओं- मुसलमानों के बच्चे ऐसे दौर में पहुंच गए हैं कि कुछ तो एक संतान पाकर भी खुश हैं अगर वह लड़की है तो भी उतने ही खुश हैं! हिंदुओं और मुसलमानों को वंश चलाने जैसी फालतू चिंता अब अधिक नहीं सताती! एक आईएएस या एक डाक्टर या एक इंजीनियर या एक मजदूर या एक किसान कम पैदा हुआ तो हिंदुस्तान का कुछ खास बिगड़ नहीं जाएगा!

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 ऐसी स्थिति में आप, इतने बड़े हिंदू मठाधीश, लोगों की नजर में हास्यास्पद बनने के अलावा क्या हासिल करोगे? और यही हासिल करना हो तो करो, हम तो ताली बजाने के लिए तैयार हैं!

तो तीन बच्चे उत्पादन के मोर्चे पर हिंदुओं से कोई उम्मीद रखना बेमतलब है। दस हजार में चार- पांच भी आपकी बात माननेवाले मिल जाएं तो इसे अपनी सफलता मानकर आप खुशी खुशी अपनी सफलता पर मुग्ध हो सकते हैं! इस मामले में हिंदुओं ने आपको पहले भी निराश किया है और अब भी करेंगे। चाहो तो दस बार या सौ बार यही बात कह कर देख लो!चाहो तो मोदी जी के मुंह से भी यह उगलवाकर देख लो! कुछ नहीं होना है। न जाने कब से आपके संगठन के नेता हिंदुओं से ज्यादा बच्चे पैदा करने का आह्वान करते आए हैं मगर होता रहा हमेशा उल्टा। लोग बेखटके परिवार नियोजन करवाते रहे। मैं जब 11-12 साल का था, तब भी मैंने भारतीय जनसंघ के नेताओं के मुंह से यह सुना था मगर तब भी इसका खास असर नहीं हुआ था तो छह दशक बाद अब क्या होगा? मैंने आज के अच्छे- अच्छे हिंदूवादियों को देखा है, कोई इतना भी पागल नहीं हुआ है। अधिकतर एक या दो से आगे नहीं बढ़ते। दो लड़कियां हो जाएं तो भी तीसरी संतान पैदा करने की इच्छा नहीं करते। कोई मुसलमानों से दुश्मनी निभाने के लिए तीन बच्चे पैदा करके अपना वर्तमान और भविष्य खतरे में नहीं डालेगा भागवत जी, क्योंकि अपने बच्चों का पालन उन्हें करना है, किसी और को नहीं। कोई मुल्ला, मुसलमानों को भड़काएगा तो वे भी नहीं भड़केंगे। और भागवत जी, हमेशा की तरह आज भी हर मां- बाप यही शिकायत करते पाए जाते हैं कि हमारी संतान हमारे बस में नहीं है।तो आपको यह भरोसा क्यों है कि हिंदुत्ववादी की संतान हिंदुत्ववादी ही बनेगी? कितने भाजपाइयों की संतानें भाजपाई बनी हैं? सड़क पर उतरी हैं? हिंदू ब्रिगेड में शामिल हुई हैं?

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आप बता सकते हैं कि कितने बीजेपी विधायकों, सांसदों, मंत्रियों - मुख्यमंत्रियों की संतानें सड़क पर तलवार या बंदूक लेकर निकल रही हैं और कितने दंगों में उनमें से कितनों ने भाग लिया है? और इनमें से किनके मां- बापों ने अपनी संतानों को भगवा पट्टी सिर पर बांध कर सड़क पर दंगे करने भेजा है? और भागवत जी, संघ से जुड़े कितने स्वयंसेवकों की तीन या चार संतानें हैं, जरा इसका सर्वे करवाकर भी तो देख लीजिए और उन सबको निकालकर भी देखिए, जिन्होंने दो संतानों के बाद परिवार नियोजन करवा लिया है! कीजिए यह प्रयोग! शर्त लगाइए कि जिसकी तीन संतानें होंगी, उन्हें आगे से संघ और भाजपा में भर्ती नहीं किया जाएगा।करिए न, अपने घर से ही प्रयोग शुरू कीजिए और आपके पूर्णकालिक स्वयंसेवकों से कहिए कि ब्रह्मचर्यव्रत छोड़ें, तीन संतानें पैदा करके हिंदू आबादी बढ़ाएं।

 हिंदू को तीन संतान के लिए मत जगाओ, अपनी सरकार को जगाओ, जो दस साल से सोई पड़ी है। उसका मुखिया हर छठे दिन विदेश की यात्रा पर निकल जाता है और हर दिन कभी यहां और कभी वहां कुछ भी बोलता रहता है। उसके राज में महंगाई के मारे गरीब तो गरीब मध्यवर्गीय तक तड़पने लगे हैं और आपको उम्मीद है कि ये तीन बच्चे पैदा करके संघ की सेवा में पेश कर देंगे?

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जगा सको तो मोदी जी को जगाओ कि बहुत  हो चुका, दुनियाभर में अडानी के कारण आपकी और सरकार की रोज बहुत बदनामी हो रही है, अब तो उससे पीछा छुड़ाओ! वे आपकी बात मान लें, तब हिंदुओं से ज्यादा बच्चे पैदा करने की सलाह देने आना। भारत का सकल घरेलू उत्पाद ( जीडीपी) लगातार घट रहा है। पहले इसे पांच साल तक बढ़ा कर दिखाओ। विदेशी निवेशक करीब सवा लाख करोड़ की इक्विटी बेच कर जा चुके हैं और पचास हजार के करीब हमारे देश के लोग अमेरिका में अवैध प्रवेश के जुर्म में एक साल के अंदर पकड़े गए हैं। ऐसा क्यों हो रहा है, जरा मोदी जी से इस बारे में सच बुलवाकर दिखवाइए, फिर आगे की बात कीजिए। उनसे पूछिए कि इसका हल अधिक बच्चे पैदा करना ही है न?

 इस देश के दो करोड़ से अधिक युवक - युवती बेरोजगार हैं, उन्हें रोजगार दिलाकर दिखाओ, फिर तीन बच्चों की बात करना! यह नहीं दिखा सकोगे क्योंकि अच्छी शिक्षा और अच्छा रोजगार संघ और भाजपा का जानी दुश्मन है। रोजगार दिला दिया तो हिंदुत्व को उसकी हिंसक फौज कहां से मिलेगी?और अच्छी शिक्षा और अच्छा रोजगार मिलने लगा तो मुसलमान भी तो आगे बढ़ेंगे और इसे संघ और बीजेपी क्या सहन कर सकेगी! और आप तीन संतान की बात करते हो तो आपको तो तीनों लड़के ही चाहिए होंगे न? तीनों लड़कियां तो आपको बर्दाश्त की सीमा से  बाहर हैं! भागवत जी, यह सच है न!

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