हमारे देश में बताते हैं कि 130 करोड़ लोग रहते है। समस्याएं हजार हैं मगर एजेंडा एक है और आपको पता है कि वह क्या है? लक्ष्य भी एक है- नरेंद्र मोदी को फिर-फिर, फिर-फिर, फिर-फिर प्रधानमंत्री बनाते जाना। नरेंद्र भाई तो 22वीं सदी में भी भारत की कमान संभालने को तैयार हैं। अब यह बाईसवीं सदी पर निर्भर करता है कि वह कमान किसे सौंपती है? वैसे मोदी जी ने अभी से इसका पक्का इंतजाम कर रखा है कि तब तक भी उनका कोई विकल्प पैदा न होने पाए। उन्हें अपनी रणनीति पर इतना अधिक विश्वास है कि आगामी सदी के पहले शपथ ग्रहण समारोह के लिए कुर्ता-पायजामा-जैकेट तक उन्होंने सिलवा रखी है। जूते और घड़ी का आर्डर भी दे लिया है। उनकी एक ही संकल्प है कि सदियां चाहें, 200 बीत जाएं, उनका एजेंडा वही रहेगा! एजेंडा भी वही, प्रधानमंत्री भी वही! भारत एक से अनेक हो जाए, टुकड़े -टुकड़े हो जाए, तो भी कोई समस्या नहीं, क्योंकि अगर एक जिले तक भी उनका एजेंडा चलता है, तो उतना ही क्षेत्र भारत है। उनके एजेंडे को माननेवाले ही भारतीय हैं, हिन्दू हैं! बाकी सब क्या हैं, यह आप जानते हैं!
Published: undefined
एजेंडा उनकी आत्मा है तो वह उसका शरीर हैं। वह तो 23 वीं, 24 वीं, 25 वीं सदी और 30वीं सदी से आगे भी कमान संभालने को तैयार हैं! इस बीच किसी और ने आगे बढ़कर उनसे कमान छीनने का षड़यंत्र' रचा तो वह उसे इतने जोर का धक्का देंगे कि वह जब तक जिंदा रहेगा, इसे याद रखेगा। और कमान तो जी, वह भारत की ही नहीं, चीन, रूस, अमेरिका सहित पूरे विश्व की थामने को तैयार हैं। यहां तक कि प्रलय आ जाए तो भी मनु बनकर कमान संभालेंगे पर नाव में बैठने की रिस्क नहीं लेंगे। वह हवाई जहाज में चाय पीते हुए जलप्लावन का दृश्य मुग्धभाव से देखेंगे, उसके साथ सेल्फी लेने की हर मुमकिन कोशिश करेंगे मगर बीज इत्यादि साथ नहीं ले जाएंगे क्योंकि बीज, बीज नहीं, बम हो सकते हैं!
Published: undefined
और भाइयो-बहनो, इसे मेरा घटिया मजाक मत समझना। ऐसे लोग यह कल्पना कर नहीं सकते कि ऐसा भी कभी होगा, यह दुनिया तो होगी मगर वे नहीं होंगे और वे होंगे तो कमान किसी और के हाथ में होगी! यह बात कितनी ही हास्यास्पद लगे मगर ऐसे लोगों की दिमागी हकीकत यही है। ज़रा गौर से देखिए इनकी और इन जैसों की तमाम हरकतें! बात साफ हो जाएगी। लगता है ये अटल, अविचल, अविनाशी होने के लिए पैदा हुए हैं। इनके पास ऐसा जादू है कि ये दुनिया को जैसा चाहेंगे, जब तक चाहेंगे, नचाते रहेंगे जबकि अभी यूक्रेन तक बता चुका है कि ऐसा संभव नहीं है। फिर भी इन्हें विश्वास है कि दुनिया अंततः मैनेजमेंट का ही दूसरा नाम है। जैसे चाहे, इसे घुमा लो, तोड़मरोड़ दो, बस मैनेज करने की कला आना चाहिए!
Published: undefined
ये खुश हैं कि आज इन्होंने सबकुछ कितने बढ़िया ढंग से मैनेज कर रखा है। ये मानते हैं कि अगर ये कला इतनी ही कुशलता से हिटलर-मुसोलिनी वगैरह को आती होती तो वे भी यह कमाल दिखा सकते थे मगर थे वे अंततः मूर्ख! इनके अपने पास जितनी अकल है, उतनी तो उनके पास कतई नहीं थी! हिटलर ने तो अपनी बेवकूफी से दुनियाभर में आर्य जाति का सिर हमेशा के लिए नीचा कर दिया! अब आर्यों को सिर गर्व से ऊंचा करने के लिए मोदी जी को मेहनत करना पड़ रही है। मोदी और मोदी जी जैसे सोचते होंगे कि अगर हिटलर की जगह वे हुए होते तो आज तक जर्मनी में गर्व से कहो, मैं आर्य हूं, गर्व से कहो मैं मोदी हूं, गूंज रहा होता! तब विकास का गुजरात माडल नहीं, जर्मन माडल होता और वह भी उतना ही दमदार होता, जितना कि गुजरात, 2002 नामक माडल है, जिसने उनके भारत- विजय अभियान को सफलता दिलाई है!
Published: undefined
इन जैसों की कल्पना अपने को लेकर तो बहुत दूर तक जाती है मगर साधारण आदमी को लेकर डबरे का पानी के आगे नहीं जाती है। ये यह मान कर चलते हैं कि कभी किसी आपदावश उन्हें इस दुनिया से विदा लेना पड़ ही गया तो उस स्थिति में इन्हें तथाकथित ऊपर जाकर वहां राज करने के लिए क्या-क्या, कैसे-कैसे खेल रचने हैं। ये मानते हैं कि ऊपर स्वर्ग भी है और नरक भी। अगर उन्हें गलती से नरक भी भेज दिया गया तो वहां से स्वर्ग कैसे पहुंचना है, इसका पूरा नक्शा स्टेप बाई स्टेप इनके पास है!
इन्हें मालूम है कि कब ये ऐसी स्थिति निर्मित कर पाएंगे कि देवता इनसे यह कहने को मजबूर हो जाएं कि भगवन, आपको पृथ्वी और पृथ्वी में भी भारत जैसे विकट और विशाल देश को मैनेज करने का अनुभव है तो आपके लिए स्वर्ग को मैनेज करना तो बांये हाथ का खेल है। हम तो आपके आगे कहीं लगते नहीं, इसलिए आइए अब आप ही स्वर्ग संभालिए। हम तो थक चुके हैं। हमें तो आप आडवाणी-जोशी की तरह मार्गदर्शक मंडल की सदस्यता भी प्रदान कर देंगे तो इसे हम अपना अहै भाग्य मानकर कृतार्थ अनुभव करेंगे। फिर आप कल्पकल्पांतरों तक यहां राज कीजिए। हमें विश्वास है कि एक दिन आप जन्नत का विलय स्वर्ग में करके अखंड स्वर्ग की स्थापना करने में सफल होंगे। वहां की हूरों को यहां की अप्सराओं के अधीन कर दिखा देंगे और उनके अधिपति होंगे!
फिर वहां भी हो रहा होगा:
जय मोदी, जय मोदी, जय मोदी देवा
माता जाकि हीराबेन, पिता दामोदरदासवा।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined