विचार

विष्णु नागर का व्यंग: किधर नजर है, किधर ध्यान है, हिन्दू राष्ट्र की यही असली दुकान है!

क्या आप हिन्दू राष्ट्र की औपचारिक घोषणा की प्रतीक्षा कर रहे हैं? मत कीजिए। हर काम घोषणा करके नहीं किया जाता। क्या बाबरी मस्जिद घोषणा करके गिराई गई थी?

सांकेतिक फोटोः सोशल मीडिया
सांकेतिक फोटोः सोशल मीडिया 

क्या आप हिन्दू राष्ट्र की औपचारिक घोषणा की प्रतीक्षा कर रहे हैं? मत कीजिए। हर काम घोषणा करके नहीं किया जाता। क्या बाबरी मस्जिद घोषणा करके गिराई गई थी? क्या तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से ऐसा कहा था? आठ साल से जो आपातकाल इस देश में चल रहा है, उसकी औपचारिक घोषणा हुई है ? क्या संविधान की शपथ लेते हुए प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि मैं जो भी बोलूंगा, असत्य बोलूंगा और असत्य के अलावा कुछ नहीं बोलूंगा? क्या उन्होंने कहा था कि मैं जब तक प्रधानमंत्री हूं और कुछ करूं,न करूं मगर पूरी ईमानदारी से नफरत का विकास करता रहूंगा। साथ ही अडाणी-अंबानी को देश लुटाने में भी आगे रहूंगा? देश की सारी सरकारी संपत्ति ओनेपोने दाम में बेचे बगैर मैं एक मिनट भी चैन नहीं लूंगा? इनमें से कोई घोषणा उन्होंने नहीं की थी और यह सब कर दिखाया । इसी प्रकार हिन्दू राष्ट्र भी अघोषित है। अभी नाथूराम गोडसे का कद गांधीजी से बड़ा नहीं हुआ है।अभी अंबेडकर का जाप वोट बटोरू हैं। अभी कांग्रेस और बाकी विपक्ष का खतरा सिर पर मंडरा रहा है। अभी गिद्ध नेहरू जी का नाम नोंचने में कामयाब नहीं हुए हैं। अभी भगवा, तिरंगे की जगह नहीं ले सका है। अभी संविधान की किताब के चिंदे -चिंदे कर कूड़ेदान में फेंकने का समय नहीं आया है। अभी व्यावहारिक हिन्दू राष्ट्र से काम चलाइए।

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और सुनिए जब तक भारत, पाकिस्तान बनकर, म्यांमार बनकर, श्रीलंका बनकर यानी पूरी तरह बर्बाद होकर नहीं हो जाएगा, तब तक हिन्दू राष्ट्र के निर्माण जारी रहेगा। 16 और 18 घंटे मेहनत केवल इसीलिए की जा रही है। फिर भी मान लो कोई बाधा आई, संकट पैदा हुआ तो झेलने के लिए नेहरू जी हैं न। वामपंथी हैं, टुकड़े-टूकड़े नामक कोई काल्पनिक गैंग है। मुसलमान हैं और फिर गांधी जी किस दिन के लिए हैं? इसलिए नाम में क्या रखा है? काम पर जाइए। यह हिंदू राष्ट्र है, मान लीजिए।

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पहले के प्रधानमंत्रियों को सबकुछ बर्बाद करने का खास शौक नहीं था। वे थोड़ा बिगाड़ते थे तो थोड़ा बनाते भी थे। वे सोचते थे आगे भी सब इसी प्रकार चलता रहेगा। उन्हें मालूम नहीं था कि भविष्य में मोदी जी इस पद को सुशोभित करेंगे। उनके पास बर्बाद करने का ऐसा अद्भुत कौशल होगा कि उनके बाद बर्बाद करने के लिए कुछ बचेगा नहीं। अंग्रेज भी उनसे रश्क करेंगे। काश यह बंदा अंग्रेज हुआ होता और 15 अगस्त,1947 से पहले हुआ होता तो हिंदुस्तानी आजाद होने का सपना देखना तक भूल जाते! हिंदुत्व की सेवा भी हो जाती,अंग्रेजों की भी!

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तो आइए समस्त हिंदू भाइयो-बहनो, आइए हिंदू राष्ट्र में आपका स्वागत है। यहां आपकी भेंट ऐसे धर्मगुरुओं से करवाते हैं, जो मुसलमानों के नरसंहार, उनकी बहूबेटियों से बलात्कार और अपहरण का खुला आह्वान करते हैं। इनका धेलेभर भी कुछ नहीं बिगड़ता। इन्हें प्रणाम कीजिए।आइए मस्जिद पर भगवा फहराने आइए। आइए हमारे साथ दंगा नवमी मनाइए। बुलडोजर चलाकर मकान-दुकान गिराने के 'शुभ अवसर 'पर ताली बजाने आइए। आइए वेज- नानवेज पर वामपंथी छात्रों का सिर फोड़ने आइए। आइए उपले थापने का प्रशिक्षण लेने विवि में प्रवेश लीजिये। आइए विवि में राम की मूर्ति प्रकटन करवाने आइए। आइए विवि में हनुमानजी की मूर्ति की स्थापना का चौथा पर्व मनाने आइए। आईआईटी मेंं वैदिक मंत्रों का जाप करवाने आइए। हर तरह की हैवानियत में हमारा साथ निभाने आइए। गरीब पिछड़े वर्गो से हैं तो मारने-मरने आइए।गोवध के शक में जिसको मारना चाहे, मार डालिए। यह दिल्ली है, देश की राजधानी है, इस कारण डरिए मत। आइए न्यू इंडिया बनाइए। यह बर्बाद हिन्दू राष्ट्र का अस्थायी नामकरण है।आइए, जो विरोध करे, वह कोई भी हो, उसे मुसलमान मानिए। आइए अभी हिन्दू राष्ट्र में जो कमी रह गई है, उसे हलाल-झटका से, वेज- नानवेज से, हिजाब से, धर्मांतरण से निबटाने आइए।समय कम है,काम ज्यादा। दिल्ली साथ है, फिर डर किसका? आइए जल्दी से जल्दी इसे हिन्दू पाकिस्तान बनाइए। इसे श्रीलंका बनाइए। यही इस देश की सारी समस्याओं का स्थायी समाधान है। आइए अंबेडकर, गाँधी, नेहरू, भगत सिंह सबको भुलाइए। हिंदू राष्ट्र की सभी बाधाओं-तिरंगा, संविधान, संसद, चुनाव सबको भूलिए। हिंदुओं का एक ही त्राता, एक ही ईश्वर है। उसी को भजिये, उसी की आरती उतारिए। आइए सत्य के पद पर जब तक असत्य ठीक से आसीन न हो जाए, कश्मीर फाइल देखना न भूलिए। जल्दी कीजिए। मोहन भागवत जी 15 साल मेंं 'अखंड भारत ' बनाना चाहते हैं। मंदिरों-मठों से देश और दुनिया को चलाने का ख्वाब देख रहे हैं। हंसिए मत। उन्हें निराश मत कीजिए। आइए, मूर्खता का मान-सम्मान बढ़ाइए ।

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