भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) उत्तर प्रदेश ने पूर्व न्यायाधीश, संस्कृतिकर्मी और छठे दशक में इप्टा के प्रमुख रंगकर्मी व अभिनेता सैयद हैदर अब्बास रज़ा के निधन पर शोक प्रकट करते हुए उन्हें श्रद्धांजली दी है और उनके निधन को प्रगतिशील सांस्कृतिक और सामाजिक आंदोलन के लिए गहरी क्षति बताया। रजा का 6 दिसम्बर की रात 8:30 बजे निधन हो गया।
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उत्तर प्रदेश इप्टा के प्रांतीय अध्यक्ष राकेश वेदा और महासचिव शहज़ाद रिज़वी ने कहा कि 1953 में जब इप्टा के तत्वावधान में प्रेमचन्द की कहानी ईदगाह के नाट्य रूपांतरण का मंचन अमृतलाल नागर के निर्देशन में रिफ़ाह ए आम कलब लखनऊ में हुआ था तो उसमें हामिद की भूमिका हैदर रज़ा ने निभाई थी।
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इप्टा के रंगकर्मियों ने आगे बताया कि इस नाटक को लखनऊ जिला प्रशासन ने अंग्रेजों द्वारा लाए गए "ड्रमैटिक परफोर्मेंस एक्ट" के तहत रोकने का फरमान ऐन नाटक के प्रदर्शन के समय दिया था, लेकिन नागर जी और उनके साथियों ने नाटक जारी रखा। इस घटना का विवरण रज़ा साहब रोचक तरीके से देते थे।
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उन्होंने बताया कि बाद के दिनों में सैयद हैदर अब्बास रज़ा हाई कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हो गए थे। हाईकोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त होने के बावजूद रज़ा का रंगकर्म और सांस्कृतिक गतिविधियों के प्रति रूझान बना रहा। न्यायाधीश के पद से रिटायर होने के बाद वह सांस्कृतिक गतिविधियों और सामाजिक आंदोलनों में अक्सर बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे।
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