झारखंड विधानसभा चुनाव में अच्छे परिणाम पाने के लिए सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती। यही कारण है कि बिहार बीजेपी की टीम के अलावा पार्टी की केंद्रीय टीम भी यहां पूरे दमखम के साथ चुनावी मैदान में उतरी है।
कहा भी जा रहा है कि बीजेपी को अपनी 'विजेता छवि' बरकरार रखने और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की मजबूती कायम रखने के लिए झारखंड विधानसभा चुनाव उसके लिए बेहद अहम है। अगर यहां के चुनाव परिणाम बीजेपी के पक्ष में नहीं आए तो विपक्ष बिना देर किए आंख तरेरना शुरू कर देगा।
Published: 19 Nov 2019, 3:35 PM IST
हरियाणा और महाराष्ट्र में आशातीत चुनाव परिणाम नहीं आने पर सहयोगी दलों ने जिस तरह अपने व्यवहार में बदलाव लाया है, उससे बीजेपी भी सचेत है। बीजेपी के एक नेता भी मानते हैं कि झारखंड का चुनाव परिणाम पार्टी के लिए अहम है। वह कहते हैं कि कोई भी चुनाव किसी भी पार्टी के लिए अहम होता है, लेकिन झारखंड का चुनाव पार्टी और एनडीए दोनों के लिए अहम है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में चुनाव परिणाम आने के बाद '50-50 फॉर्मूला' लागू करने पर अड़ी शिवसेना ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ अपना अलग रास्ता अख्तियार कर लिया है, जबकि जेडीयू और लोक जनशक्ति पाार्टी (एलजेपी) भी समन्वय समिति के जरिए बीजेपी पर दबाव बना रही है।
Published: 19 Nov 2019, 3:35 PM IST
झारखंड के राजनीतिक समीक्षक मधुकर ने आईएएनएस से कहा कि अपेक्षित चुनाव परिणाम नहीं आना बीजेपी के लिए नुकसानदेह तो होगा ही, छोटे दलों की बांछें भी खिल जाएंगी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू खुद को 'कम्फर्ट जोन' में महसूस करने लगेंगे, वहीं उनका दबाव बीजेपी पर बढ़ जाएगा। झारखंड में आजसू जैसे छोटे दलों का कुनबा भी बड़ा हो जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा, आशातीत परिणाम के बाद बीजेपी फिर से 'फ्रंटफुट' पर पहुंच जाएगी और हो सकता है कि महाराष्ट्र में कर्नाटक की तरह बदलाव नजर आने लगे।
Published: 19 Nov 2019, 3:35 PM IST
सूत्रों का कहना है कि झारखंड में बीजेपी सधे कदम से आगे बढ़ रही है, मगर बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान पार्टी से बगावत कर अलग राह पकड़ चुके 'बागी' से है। झारखंड के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रहे सरयू राय तो बगावत कर जमशेदपुर (पूर्वी) से मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ ही चुनावी मैदान में उतर आए हैं।
Published: 19 Nov 2019, 3:35 PM IST
इसके अलावा, लातेहार में चुनाव के कुछ समय पहले बीजेपी में आए प्रकाश राम को टिकट दिए जाने के बाद बीजेपी के नेता और राज्य के शिक्षा मंत्री रहे बैद्यनाथ राम चुनावी अखाड़े में अब जेएमएम के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। इतना ही नहीं, और भी कई सीटें हैं, जहां भीतरघात की आंशका से इनकार नहीं किया जा सकता। आजसू से भी बीजेपी तालमेल नहीं कर सकी है।
Published: 19 Nov 2019, 3:35 PM IST
राजनीतिक विश्लेषक बैजनाथ मिश्र भी कहते हैं, "झारखंड में सत्ता बरकरार रखने में नाकाम रहने पर दूसरे सहयोगी दल भी बीजेपी पर दबाव बनाने से नहीं चूकेंगे। इसका प्रतिकूल असर बीजेपी की छवि पर भी पड़ेगी।"
उन्होंने आईएएनएस से कहा, "अगर बीजेपी झारखंड में दोबारा सत्ता पाने से चूक गई तो धारा 370, तीन तलाक जैसे कोर राष्ट्रीय मुद्दों पर जेडीयू के विरोध के बावजूद बीजेपी बिना किसी की परवाह किए जिस तरह आगे बढ़ी, उसके लिए अन्य मुद्दों पर आगे बढ़ना आसान नहीं होगा। इसके अलावा एनडीए में समन्वय समिति बनाने की मांग भी जोर पकड़ेगी।"
Published: 19 Nov 2019, 3:35 PM IST
वर्ष 2014 में झारखंड में छोटे-छोटे दलों को साधकर बीजेपी ने बड़ी सफलता हासिल की थी और झारखंड में रघुबर दास पहले ऐसे मुख्यमंत्री बन गए जो लगातार पांच साल तक मुख्यमंत्री पद पर बने रहे। लेकिन यह तय है कि इस चुनाव में अगर बीजेपी को आशातीत सफलता हाथ नहीं लगती है तो ना केवल प्रदेश बीजेपी में विवाद शुरू हो जाएगा, बल्कि एनडीए में छोटे दलों की दखलअंदाजी भी बढ़ जाएगी।
Published: 19 Nov 2019, 3:35 PM IST
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Published: 19 Nov 2019, 3:35 PM IST