राजनीति

बिहार एनडीए में बढ़ने लगी 'गांठ', नीतीश सरकार पर 'आक्रामक' हुई BJP, जेडीयू छोड़ेगी साथ?

बिहार विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में तीसरे नंबर पर आ गई जेडीयू पिछले कई महीनों से अपनी पुरानी मांग 'बिहार को विशेष राज्य का दर्जा' तथा 'जातिगत जनगणना' कराने की मांग को लेकर अपने ही गठबंधन में सहयोगी बीजेपी को घेरने में जुटी थी।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

बिहार विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में तीसरे नंबर पर आ गई जनता दल (युनाइटेड) पिछले कई महीनों से अपनी पुरानी मांग 'बिहार को विशेष राज्य का दर्जा' तथा 'जातिगत जनगणना' कराने की मांग को लेकर अपने ही गठबंधन में सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को घेरने में जुटी थी। इसी बीच, अब भाजपा भी आक्रामक तेवर अपना ली है, जिससे सत्ताधारी गठबंधन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में 'गांठ' बढ़ती जा रही है। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में राजग में सबसे ज्यादा सीटें जीतकर भाजपा बडे भाई की भूमिका में पहुंच गई। इसके बाद से ही जदयू अपने संगठन को विस्तार करने में जुट गई। इसी बीच, जदयू ने अपनी पुरानी बोतल में पड़े सियासी 'जिन्न' यानी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को फिर से निकालकर भाजपा पर दबाव बनाने लगी।

Published: 17 Jan 2022, 1:33 PM IST

इधर, जातिगत जनगणना की मांग को लेकर भी वह केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेती रही। भाजपा इस दौरान चुप्पी साधे रही, लेकिन अब शराब पीने से हो रही लोगों की मौतों के बाद भाजपा आक्रामक हो गई। भाजपा के कड़े तेवर का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में बागी होकर चुनाव मैदान में उतरे वरिष्ठ नेता राजेंद्र सिंह की भी 'घर वापसी' करा ली।

Published: 17 Jan 2022, 1:33 PM IST

गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने कम सीट लाने का ठिकरा लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) को चुनाव मैदान में उतरने पर फोड़कर सफाई देती रही। उस समय कहा जा रहा था कि एलजेपी ने कई भाजपा नेताओं को अपनी तरफ लाकर चुनाव मैदान में उतार दी, जिससे जेडीयू के उम्मीदवारों की हार हुई। ऐसे में सबसे ज्यादा चर्चा राजेंद्र सिंह और रामेश्वर चौरसिया को लेकर हुई थी।

जेडीयू ने स्पष्ट कहा थाा कि ऐसे ही नेताओं के कारण कई सीटों पर जेडीयू के प्रत्याशी को हारना पड़ा। कहा जा रहा था कि जदयू ने भाजपा पर ऐसे नेताओं को फिर से अपनी पार्टी में शामिल करने पर तक की रोक लगा दी थी, लेकिन एक साल तक राजेंद्र सिंह को लेकर खामोश रही भाजपा ने रविवार को पार्टी में वापस शामिल करा लिया।

Published: 17 Jan 2022, 1:33 PM IST

बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी के काफी कम सीट आने के बावजूद भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था। भाजपा के एक नेता ने नाम प्राकशित करने की शर्त पर कहते हैं कि भाजपा आखिर कब तक खामोश रहती। भाजपा की कम सीट हो या ज्यादा, पार्टी से हर समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को नेता माना, लेकिन सहयोगी पिछले एक साल में ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ा जब भाजपा को निशाने पर नहीं लिया। दूसरी पार्टी से जदयू में आए नेता तो जैसे गठबंधन तोड़ने पर आमदा हैं।

Published: 17 Jan 2022, 1:33 PM IST

बिहार को विशेष राज्य के दर्जे के जिस मुद्दे को जदयू भूल चुकी थी, उसे फिर से जिंदा किया गया। इधर, भाजपा के उपाध्यक्ष राजीव रंजन कहते हैं कि 'भाजपा पूरी तरह गठबंधन धर्म निभाना जानती है, लेकिन जब बात जनता के बीच पहुंच जाती है और जनता पार्टी से प्रश्न पूछने लगती है, तब किसी भी पार्टी का उतरदायित्व है कि उसका जवाब दिया जाए, जिससे जनता के बीच स्पष्ट 'मैसेज जा सके।'

उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि गठबंधन में एक अदृश्य लक्ष्मण रेखा होती है, जिसे किसी भी घटक दल को पार करना शोभा नहीं देता। उन्होंने प्रश्न करते हुए कहा कि अगर बिहार में राजग की सरकार है तो क्या केंद्र में राजग की सरकार नहीं है ?

Published: 17 Jan 2022, 1:33 PM IST

वैसे, कहा यह भी जा रहा है कि उत्तर प्रदेश चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर जेडीयू दबाव की रणनीति अपना रही है। लेकिन, अब जिस तरह से बीजेपी के नेताओं से लेकर प्रवक्ताओं तक ने शराबबंदी कानून को लेकर जदयू को घेरा है, उससे यह स्पष्ट है कि भाजपा नई रणनीति बना रही है।

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि नीतीश के आरजेडी के साथ फिर से जाना और मुख्यमंत्री बनने का रास्ता लगभग बंद हो गया है। राजद तेजस्वी को ही मुख्यमंत्री बनाएगी। ऐसे में भाजपा अब अपने तेवर कड़े कर लिए हैं। बहरहाल, भाजपा के कडे तेवर को जदयू कैसे शांत करता है, यह तो देखने वाली बात होगी लेकिन राजनीतिक जानकार मानते हैं कि राजग के लिए यह गांठ सुखद संदेश नहीं हैं।

Published: 17 Jan 2022, 1:33 PM IST

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Published: 17 Jan 2022, 1:33 PM IST