राजस्थान बीजेपी में ऐसी अटकलें जोरों पर हैं कि राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी का बड़ा चेहरा वसुंधरा राजे इन दिनों अपनी खुद की पार्टी बनाने की योजना पर काम कर रही हैं और बहुत जल्दी वह इसकी घोषणा भी करने वाली हैं। ये कयास इसलिए तेज हो गए हैं, क्योंकि हाल में राजस्थान के पूर्वी इलाके में अपनी दो दिवसीय लंबी धार्मिक यात्रा के दौरान राजे अपनी दिवंगत मां विजयाराजे सिंधिया और खुद की प्रशंसा करती रहीं, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई योजनाओं का नाम तक नहीं लिया।
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इसके अलावा, वसुंधरा राजे की इस यात्रा में पिछले चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए निर्दलीय विधायक ओमप्रकाश हुडला और विधायक राजेंद्र गुडा की उपस्थिति ने अटकलों के बाजार को और गर्म कर दिया है। इसके बाद से राज्य के सियासी गलियारों में चर्चा तेज है कि राजे अपनी पार्टी बनाने के लिए पूरी तरह कमर कस चुकी हैं।
'टीम वसुंधरा राजे' नाम से एक समानांतर संगठन पहले से ही सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय है और उसकी ओर से समय-समय पर जिला अध्यक्ष और राज्य स्तरीय पदाधिकारियों की घोषणाएं भी की जाती रही हैं। यह टीम अपनी 'रानी' के जन्मदिन की तैयारी में भी सक्रिय थी, जिसे सोमवार को मनाया गया। इस अवसर पर भरतपुर में एक विशाल सभा देखी गई जिसमें पूर्व विधायक और सांसद शामिल थे। इसके अलावा, लगभग 15 विधायकों-सांसदों ने राजे के जन्मदिन के मौके पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
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दरअसल यह 'शक्ति प्रदर्शन' बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की कुछ दिनों पहले हुई जयपुर यात्रा के ठीक बाद हुआ है। जेपी नड्डा ने अपनी यात्रा के दौरान बीजेपी के सभी नेताओं से आत्म विश्लेषण करने के लिए कहा था, ताकि यह आकलन किया जा सके कि वे पार्टी में कैसा योगदान दे रहे हैं।
हालांकि, राजे ने पार्टी नेतृत्व के इस संदेश की खुले तौर पर अनदेखी की है। ऐसे समय जब जोधपुर के सांसद और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत बंगाल चुनाव में पार्टी की संभावनाओं को मजबूत करने में लगे हैं, विपक्ष के नेता और उनके डिप्टी गुलाबचंद कटारिया और राजेंद्र राठौर चल रहे विधानसभा सत्रों को संभाल रहे हैं और बीजेपी टीम के अन्य सदस्य राजस्थान की चार सीटों पर आगामी उपचुनावों की तैयारी कर रहे हैं, राजे अपनी यात्रा का प्रचार कर रही हैं और अपने ब्रांड नाम को बढ़ावा देने में व्यस्त हैं ।
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एक बीजेपी कार्यकर्ता ने कहा कि यात्रा के दौरान, राजे ने बीजेपी की नीतियों पर भी बात नहीं की, लेकिन अपनी और अपनी मां की प्रशंसा करती रहीं। ऐसा लगता है कि वह केंद्रीय नेतृत्व को खुली चुनौती दे रही हैं। जहां कटारिया और राठौड़ राज्य में अपराध दर में वृद्धि और विधानसभा में अन्य ज्वलंत मुद्दों के लिए गहलोत सरकार की आलोचना कर रहे हैं, वहीं राजे अलग-अलग जगहों पर गहलोत और उनकी सरकार की खुलकर प्रशंसा करती नजर आ रही हैं।
एक अन्य कार्यकर्ता ने कहा कि वह विधानसभा से एक दूरी बनाए हुए हैं और जब वह वहां होती हैं, तो उन्हें कभी कोई महत्वपूर्ण मुद्दा उठाते हुए नहीं देखा जाता है। बीजेपी के सूत्रों ने भी कहा कि उन्होंने और उनकी टीम ने पंचायत और स्थानीय नगर निकाय चुनावों के दौरान पार्टी के वोटबैंक को कम कर दिया और हाल ही में, उनकी वहां भी झगड़ा भड़काने की योजना थी, जब वरिष्ठ विधायकों ने पार्टी अध्यक्ष को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि उन्हें विधानसभा में बोलने की अनुमति नहीं है।
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सूत्रों ने कहा कि ये सभी मुद्दे ऐसे समय में सामने आए हैं, जब राज्य के संगठन महासचिव चंद्रशेखर बंगाल में हैं, केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल पुडुचेरी में हैं और प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया चार सीटों पर होने वाले उपचुनावों के प्रचार लिए दौरों में व्यस्त हैं। एक बीजेपी कार्यकर्ता ने कहा, ‘यह सब और अधिक स्पष्ट करता है कि वह अपनी खुद की योजनाएं बना रही हैं और 'ब्रांड राजे' को प्रमोट करने में व्यस्त हैं।
इन सारी अटकलों और चर्चाओं पर बीजेपी की राजस्थान इकाई के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि इस मामले पर फैसला करना केंद्रीय नेतृत्व पर निर्भर है। उन्होंने कहा, "मैं पार्टी के लाभ के लिए पार्टी द्वारा निर्धारित सिद्धांतों पर काम करना जारी रखूंगा।"
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