राजनीति

चिराग पासवान न तो एलजेपी के 'चिराग' बन सके और नहीं बीजेपी के 'हनुमान', किसके सह पर चाचा ने चली ये चाल?

लोकजनशक्ति पार्टी (LJP) के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद उनके पुत्र चिराग पासवान को उनकी विरासत संभालने का दायित्व मिला था, लेकिन लोजपा के पांच सांसदों के अलग होने के बाद चिराग अलग-थलग पड़ गए है।

फोटो: IANS
फोटो: IANS 

लोकजनशक्ति पार्टी (LJP) के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद उनके पुत्र चिराग पासवान को उनकी विरासत संभालने का दायित्व मिला था, लेकिन लोजपा के पांच सांसदों के अलग होने के बाद चिराग अलग-थलग पड़ गए है। वे न एलजेपी जैसी पार्टी के '' चिराग'' बन सके और नहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के ''हनुमान''ही बन सके। पिछले वर्ष हुए बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए से अलग होकर चुनाव मैदान में उतरी एलजेपी के प्रमुख चिराग उस समय चुनावी सभाओं में खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ''हनुमान'' बताकर वोट की मांग करते थे, लेकिन मतदाताओं को यह ''हनुमान'' पसंद नहीं आया। चिराग दावा करते थे कि चुनाव के बाद बीजेपी और एलजेपी की सरकार बनेगी।

Published: undefined

एलजेपी को इस चुनाव में सिर्फ एक सीट मिली लेकिन एनडीए को इस ''हनुमान'' के कारण कई सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा। इस विधानसभा चुनाव के पहले से ही चिराग की रणनीति मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विरोध के इर्द-गिर्द घूमने लगी थी, जिससे उनकी ही पार्टी में विरोध के स्वर उभरने लगे थे।

चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस नीतीश के प्रशंसक माने जाते रहे हैं। इधर, एलजेपी के छह सांसदों में से पांच के पारस को नेता चुन लेने के बाद चिराग अलग पड़ गए। चिराग नीतीश कुमार के नुकसान पहुंचाने के बाद राजग से भी अलग पड़ गए और अब पार्टी के पांच सांसदों के पारस को नेता चुने जाने के बाद पार्टी में भी वे हाशिये पर पहुंच गए।

Published: undefined

इधर, विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए ''हनुमान'' बने चिराग को बीजेपी का साथ भी नहीं मिला। बीजेपी इसे लोजपा का अंदरूनी मामला बताकर पल्ला झाड़ रही है।

बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद कहते हैं कि '' लोजपा का यह अंदरूनी मामला है। उन्होंने कहा कि लोजपा टूटी नहीं है, लोजपा संसदीय दल का नेता बदला है। प्रसाद कहते हैं कि लोजपा बिहार में राजग का हिस्सा नहीं है। लोजपा को लेकर पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व ही कोई फैसला लेगा।''

Published: undefined

उल्लेखनीय है कि रामविलास पासवान को राजनीति का माहिर खिलाड़ी माना जाता था। वे किसी भी गठबंधन के साथ रहे हों लेकिन उनकी निकटता अन्य पार्टी के नेताओं के साथ भी रहती थी। रामविलास के निधन के बाद उनकी राजनीतिक विरासत को संभालने का जिम्मा चिराग को दी गई और 2019 में चिराग को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया।

उल्लेखनीय है कि लोजपा की स्थापना के बाद रामविलास के बाद चिराग पार्टी के दूसरे अध्यक्ष बने हैं। लोजपा के स्थापना काल के बाद पार्टी में इतनी बड़ी टूट का सामना नहीं करना पड़ा था।इधर, सूत्रों का कहना है कि पशुपति पारस और नीतीश कुमार के बीच नजदीकियां रहेंगी। पारस प्रारंभ से ही नीतीश के प्रशंसक रहे हैं तथा सांसद बनने के पहले वे नीतीश मंत्रिमंडल में भी शामिल थे।

Published: undefined

इस बीच, चिराग के राजनीतिक भविष्य को लेकर संषय की स्थिति बनी हुई है। राजद के विधायक भाई वीरेंद्र ने हालांकि चिराग को राजद के साथ आकर राजनीति करने का न्योता दिया है। बहरहाल, चिराग राजनीति में अब अपना पैर जमाने के लिए क्या फैसला लेते हैं, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन इतना तय है कि राजनीति में सफल होने के लिए चिराग को अब अलग रणनीति बनानी होगी।

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined