राजनीति

बंगाल में खोई जमीन वापस पाने की कोशिश में जुटी CPM, संगठनात्मक पुनर्गठन पर कर रही विचार

सूत्रों के अनुसार, इस संगठनात्मक पुनर्गठन पर अंतिम फैसला अगस्त के तीसरे सप्ताह में लिया जा सकता है। यह फैसला नदिया जिले के कल्याणी में पार्टी की विस्तारित राज्य समिति की बैठक में जिला समितियों की राय और बहुमत के आधार पर लिया जाएगा।

बंगाल में खोई जमीन वापस पाने की कोशिश में जुटी CPM, संगठनात्मक पुनर्गठन पर कर रही विचार
बंगाल में खोई जमीन वापस पाने की कोशिश में जुटी CPM, संगठनात्मक पुनर्गठन पर कर रही विचार फोटोः IANS

पश्चिम बंगाल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) का राजनीतिक महत्व और वोट बैंक लगातार कम होता जा रहा है। हालिया चुनाव में मिले झटके के बाद वामपंथी पार्टी अपनी खोई जमीन वापस पाने के प्रयास में अब राज्य में जमीनी स्तर पर फोकस करते हुए संगठनात्मक पुनर्गठन पर विचार कर रही है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, क्षेत्र समिति की मौजूदा व्यवस्था को समाप्त कर, स्थानीय और क्षेत्रीय समितियों की पुरानी व्यवस्था पर वापस जाने के प्रस्ताव पर चर्चा शुरू हो गई है।

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सीपीएम के एक राज्य समिति सदस्य ने कहा कि वर्तमान में शाखा समिति पार्टी की संगठनात्मक चेन में सबसे निचला स्तर है। क्षेत्र समितियां शाखा समिति और जिला समिति के बीच मध्यवर्ती स्तर के रूप में कार्य करती हैं। क्षेत्रीय समितियों की मौजूदा व्यवस्था 2017 में स्थानीय और क्षेत्रीय समितियों को मिलाकर शुरू की गई थी। तब तर्क यह था कि संगठन के कई स्तर पार्टी पदाधिकारियों के बीच लालफीताशाही की भावना पैदा कर रहे थे और सुचारू कामकाज में बाधा बन रहे थे।

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राज्य समिति के सदस्य ने कहा, "अब यह महसूस किया जा रहा है कि नई व्यवस्था व्यापक जन संपर्क कार्यक्रम सुनिश्चित करने में प्रभावी नहीं है, जहां पार्टी पदाधिकारी स्थानीय स्तर पर लोगों की दिन-प्रतिदिन और जमीनी स्तर की समस्याओं में शामिल होते हैं। इसलिए पुरानी व्यवस्था पर वापस जाने पर चर्चा शुरू हो गई है।" इस संगठनात्मक पुनर्गठन पर अंतिम फैसला अगस्त के तीसरे सप्ताह में लिया जा सकता है। यह फैसला नदिया जिले के कल्याणी में पार्टी की विस्तारित राज्य समिति की बैठक में जिला समितियों की राय और बहुमत के आधार पर लिया जाएगा।

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पार्टी नेता ने आगे कहा, "2011 से हम लगातार संगठनात्मक कमजोरियों का मूल्यांकन कर रहे थे। आत्मनिरीक्षण के बाद यह महसूस किया गया कि समस्या जमीनी स्तर पर जन संपर्क में थी, जो कभी राज्य में हमारी पार्टी का आधार हुआ करता था। इसलिए जो जरूरी है, वह उस आधार को फिर से संगठित करना है।"

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