राजनीति

ग्राउंड रिपोर्ट : मुजफ्फरनगर में बदली फिजा, दंगों का दर्द भूल जाट-मुस्लिम साथ, जानें किसका पलड़ा है भारी?

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले के लिए 10 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। मतदान में बस चंद दिन ही रह गए हैं। सभी पार्टियां प्रचार में लगी हुई है। वहीं पत्रकार भी लोगों की राय जानने में लगे हैं। आज हम बता रहे हैं मुजफ्फरनगर जिले की ग्राउंड रिपोर्ट।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
फोटो: आस मोहम्मद कैफ 

मुजफ्फरनगर शहर के मशहूर मीनाक्षी चौक से शामली बस स्टैंड जाने के लिए लगभग 3 किमी की एक मुख्य सड़क को पार करना पड़ता है, वो मुजफ्फरनगर से सबसे चर्चित मोहल्ले खालापार से होकर गुजरती है। खालापार के बाद खादरवाला आता है और उसके बाद कृष्णापुरी-प्रेमपुरी। खालापार मुस्लिम बहुल इलाका है, खादरवाला दलित बहुल और कृष्णपुरी-प्रेमपुरी जाट बहुल। 2013 के दंगे दौरान इसी इलाके ने प्रशासन के सर में सबसे ज्यादा दर्द किया था। दंगों के उस स्याह सप्ताह में कोई रात में पलक नहीं झपकाता था। पुलिस हलकान थी और यहां कई बार आमने-सामने का टकराव हुआ। एक दूसरे के मोहल्लों में किसी ने अकेले जाने का साहस नहीं किया। पुलिस हर एक दरवाज़े पर पहरा दे रही थी। मुजफ्फरनगर दंगे में यह सबसे अधिक तनाव वाला इलाका था।

Published: 06 Feb 2022, 3:29 PM IST

फोटो: आस मोहम्मद कैफ

9 साल बाद डेढ़ लाख से ज्यादा मिश्रित आबादी वाले इस इलाके में अब फ़िज़ा पूरी तरह बदल गई है। इसकी बानगी इस तरह से देखते हैं कि मुजफ्फरनगर जनपद की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाली विधानसभा सीट चरथावल से समाजवादी पार्टी-रालोद गठबंधन के प्रत्याशी पंकज मलिक का घर इसी कृष्णापुरी मोहल्ले में है। पंकज मलिक के घर जाट और मुस्लिम कार्यकर्ता देर रात को प्रचार करके लौटते हैं, वो साथ मे चाय पीते हैं, खाना खाते हैं और दिन भर की गतिविधियों पर चर्चा करते हैं और साथ ही पूरी रात काट देते हैं। यही नहीं अब देर रात में किसी समय भी जाटों को खालापार जाने में कोई हिचक नहीं होती है और न ही खालापार से किसी मुस्लिम को कृष्णापुरी में दस्तक देने में कोई ऐतराज है।

Published: 06 Feb 2022, 3:29 PM IST

फोटो: आस मोहम्मद कैफ

खालापार के दिलशाद पहलवान बताते हैं कि माहौल पूरी तरह बदल चुका है। दोनों समुदाय ने इसे बदलने की कोशिश भी की। पहले लोगों ने बंटवारे की राजनीति को समझा और उसके बाद उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ। दिलशाद पहलवान कहते हैं कि उनके बहुत से जाट दोस्त उनके घर बैठे रहते हैं। वो भी उनके घर जाते हैं। अब दंगों पर अगर चर्चा होती है तो दोनों अपनी गलतियों पर पछतावा करते हैं। दंगा राजनीतिक था। अजय चौधरी भी उनकी बात से सहमत है वो कहते हैं कि परिवार में भी झगड़ा होता है फिर साथ आ जाते हैं। हम साथ ही रहना है झगड़े से दोनों को नुकसान हुआ और तीसरे को भारी फायदा हुआ।

Published: 06 Feb 2022, 3:29 PM IST

फोटो: आस मोहम्मद कैफ

मुजफ्फरनगर जनपद में 6 विधानसभा है। ये हैं सीटें शहर, चरथावल ,पुरकाज़ी, मीरापुर, खतौली और बुढ़ाना। इन सभी पर गठबंधन और भाजपा में सीधा मुकाबला है। ज़मीन पर बात करने से पता चलता है कि लड़ाई काफी नज़दीकी है। लोग मुद्दों पर बात नहीं करते वो सरकार हटाना चाहते हैं या बचाना चाहते हैं। कोई और राजनीतिक दल जमानत बचाने की स्थिति में भी नहीं है। पुरकाजी में कांग्रेस और खतौली में बसपा भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराती दिखती है। सपा गठबंधन ने मुजफ्फरनगर में एक भी मुस्लिम प्रत्याशी नहीं बनाया है। 7 लाख मुस्लिम वोटर होने के बावूजद मुस्लिम प्रत्याशी न बनाया जाने का मुद्दा अखिलेश यादव की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी पूछा गया था। अखिलेश यादव ने तब गंगा जमुनी तहज़ीब का हवाला दिया था। मुजफ्फरनगर में सपा गठबंधन में टिकट वितरण में सोशल इंजीनियरिंग का खेल खेला है जो अपने आप मे अनोखा है। जैसे मीरापुर विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के नेता चंदन चौहान को रालोद का सिम्बल दिया गया है। इसके अलावा सपा में शामिल हुए पूर्व विधायक राजपाल सैनी भी खतौली विधानसभा से रालोद के चुनाव चिन्ह पर लड़ रहे हैं। इस तरह जातियों का गणित साधा गया है।

Published: 06 Feb 2022, 3:29 PM IST

फोटो: आस मोहम्मद कैफ

मुजफ्फरनगर की 6 विधानसभा सीट पर से 4 पर रालोद चुनाव लड़ रही है जबकि शेष 2 पर समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी है। 2017 के चुनाव में भाजपा सभी सीटों पर चुनाव जीती थी। उसने सिर्फ एक सीट पर प्रत्याशी बदला है। वो सीट मीरापुर है जहां के भाजपा विधायक अवतार सिंह भडाना अब पाला बदलकर सपा-रालोद गठबंधन से जेवर से चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा के विधायकों को लेकर उनकी विधानसभाओ में आक्रोश है। बुढ़ाना विद्यायक उमेश मलिक को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। उमेश मलिक भारी फोर्स लेकर चुनाव प्रचार में जाते हुए दिखते हैं। पुरकाज़ी विधानसभा में भाजपा कमज़ोर है यहां कांग्रेस के पूर्व मंत्री दीपक कुमार चुनाव में भाजपा प्रत्याशी प्रमोद ऊंटवाल से मजबूत दिखते हैं। पूर्व मंत्री उमाकिरण यहां गठबंधन के प्रत्याशी अनिल कुमार का गणित बिगाड़ रही हैं। इसी एक सीट पर चुनाव रोचक है। शहर सीट पर गठबंधन कमज़ोर दिख रहा है।

Published: 06 Feb 2022, 3:29 PM IST

सभी विधानसभा सीटों पर मुसलमानों की तादाद एक लाख से ज्यादा है। जाटों और मुस्लिमों में एकजुटता दिखाई देती है। मीरापुर विधानसभा सीट पर अपने पति चंदन चौहान का प्रचार करने पहुंची उनकी पत्नी याशिका चौहान कहती हैं कि राजनीति में जनता गणित की अपनी कीमत है और सोशल इंजीनियरिंग मायने रखती है, मगर जातियों के गणित से इतर समाज मे सरकार की नाकामियों और उनके किसानों के प्रति रवैये को लेकर काफी गुस्सा है। लॉकडाऊन के दौरान हुई परेशानियां और कोविड उपचार की अव्यवस्था को लेकर जनता के मन में सवाल है। 13 महीने किसान घर से दिल्ली बैठा रहा और कृषि कानून वापसी के बाद पनपा संशय अब किसानों के मन बैठ गया है। भाजपा सरकार के प्रति किसानों में अविश्वास है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के प्रचार के केंद्र में पलायन ,दंगे और धुर्वीकरण से जुड़ी बातें बताती है कि वो हताश है।

Published: 06 Feb 2022, 3:29 PM IST

मुजफ्फरनगर 2013 के दंगों में चर्चित रहा कवाल गांव मीरापुर विधानसभा सीट के अंतर्गत आता है। गांव के ही कल्लू कुरैशी बताते हैं कि गांव में कोई सांप्रदायिक माहौल नहीं है। उस दंगे के बारे में अब कोई चर्चा नहीं होती। गांव बहुत बदनाम हो गया है। शाहनवाज, गौरव और सचिन की मौत के अलावा यहां कोई हिंसा नही हुई। गांव मुस्लिम बहुल है। अब रिश्तों में परेशानी होती है। शुएब कुरैशी कवाल गांव छोड़कर मीरापुर कस्बे में आकर रहने लगे हैं वो बताते हैं कि 2013 के दंगों के बाद दर्जनों परिवार कवाल छोड़कर चले गए। इन लोगों के ख़िलाफ़ कोई मुकदमा दर्ज नहीं था। हम भी उन्हीं में से एक हैं। ख़ासकर पढ़े-लिखे और तरक्की पसंद परिवारों ने कवाल छोड़ दिया। हम बदनाम हो रहे थे और एक बेहतर माहौल चाहते थे।

मुजफ्फरनगर में सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक यह है कि जाट और मुस्लिम अब साथ साथ हैं और एक ही गाड़ी में चुनाव प्रचार करते हैं, साथ ही वो यह भी बताते हैं कि दंगा भाजपा ने सत्ता कब्जाने की करवाया था और अब उसकी याद दिलाकर गड़े मुर्दे उखाड़कर वो उसी तरह का माहौल बनाना चाहती है। खतौली विधानसभा सीट के जानसठ कस्बे के दानिश अली खान कहते हैं कि भाजपा और गठबंधन में सीधी लड़ाई है। जनता का मन बन चुकी है, दो ही पक्ष है एक सरकार को वापस लाना चाहते हैं और दूसरा उसे हटाना चाहता है। अपनी कयादत या राजनीतिक पहचान बनाने जैसे मुद्दों को लोगों ने किनारे कर दिया है।

Published: 06 Feb 2022, 3:29 PM IST

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Published: 06 Feb 2022, 3:29 PM IST

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