जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद पहला राज्यसभा चुनाव शुक्रवार को होने वाला है। इस चुनाव के लिए सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने गुरुवार को अपने विधायकों को व्हिप जारी कर विधानसभा में उपस्थित रहने और राज्यसभा की चार सीट के लिए होने वाले चुनाव में पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान करने का निर्देश दिया। मतदान शुक्रवार को होगा। नेशनल कांफ्रेंस के मुख्य सचेतक मुबारक गुल ने पार्टी विधायकों को व्हिप जारी कर निर्देश दिया कि वे मतदान के लिए उपस्थित रहें और पार्टी के निर्देशों के विरुद्ध मतदान न करें।
नेशनल कांफ्रेंस ने राज्य की सभी चार सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि विपक्षी बीजेपी ने तीन उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं। विधानसभा में संख्याबल को देखते हुए, नेशनल कांफ्रेंस के तीन सीट आसानी से जीतने की उम्मीद है, जबकि चौथी सीट के लिए कांटे की टक्कर होने की संभावना है। बीजेपी के संख्या नहीं होने के बावजूद तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने से चुनाव में बड़ा खेल होने की आशंका जताई जा रही है।
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नेशनल कॉन्फ्रेंस के चौधरी मोहम्मद रमजान का एक सीट पर बीजेपी के अली मोहम्मद मीर से सीधा मुकाबला है। दूसरी सीट के लिए, नेशनल कॉन्फ्रेंस के सज्जाद किचलू का बीजेपी के राकेश महाजन से मुकाबला होगा। इसके अलावा दो अन्य सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने पार्टी कोषाध्यक्ष जी एस ओबेरॉय उर्फ शम्मी ओबेरॉय और इमरान नब्बी डार को उम्मीदवार बनाया है जिनके खिलाफ मुकाबले में बीजेपी के सत शर्मा होंगे।
संख्या के आधार पर, नेशनल कॉन्फ्रेंस तीन सीटों पर आसानी से जीत हासिल कर सकती है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के 41 सदस्य हैं। पार्टी को कांग्रेस के छह और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के एक विधायक और छह निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है। चौथी सीट के लिए मुकाबला बेहद कड़ा है। विधानसभा में कुल 88 विधायक हैं, जिनमें से नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 54 विधायक हैं।
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बीजेपी ने चौथी सीट के लिए पार्टी की जम्मू-कश्मीर इकाई के प्रमुख सत शर्मा को उम्मीदवार बनाया है। विधानसभा में बीजेपी के 28 सदस्य हैं। शर्मा को पहले ही महत्वपूर्ण बढ़त मिल चुकी है, क्योंकि सज्जाद गनी लोन की अगुवाई वाली जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (जेकेपीसी) ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि उनकी पार्टी राज्यसभा चुनाव से दूर रहेगी। यह पार्टी बीजेपी-पीडीपी की पूर्ववर्ती सरकार में सहयोगी रह चुकी है।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को विश्वास जताया कि उनकी पार्टी सभी चार सीटें जीतेगी।अब्दुल्ला ने कांग्रेस की गैर मौजूदगी को तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि हर पार्टी अपनी प्रक्रिया का पालन करती है। अब्दुल्ला ने कहा, "उनकी (कांग्रेस की) अपनी प्रक्रिया है। उनकी पार्टी और हमारी पार्टी में अंतर है। उनके नेतृत्व को अपने आलाकमान के संकेत का इंतजार करना पड़ता है, जबकि हम यहां अपने फैसले लेते हैं। यह कोई नयी बात नहीं है और किसी को भी इससे कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।"
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यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस के मतदान से दूर रहने से राज्यसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवारों की संभावनाओं को नुकसान पहुंचेगा, अब्दुल्ला ने कहा कि जहां तक चुनावों का सवाल है, कांग्रेस ने लगातार कहा है कि वह बीजेपी का समर्थन नहीं करेगी और न ही उसे जीतने देगी।
जम्मू कश्मीर का 15 फरवरी, 2021 से उच्च सदन में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, जिस दिन गुलाम नबी आज़ाद और नज़ीर अहमद लावे ने अपना कार्यकाल पूरा किया था। दो अन्य सदस्यों फैयाज अहमद मीर और शमशीर सिंह मन्हास का उसी वर्ष 10 फरवरी को कार्यकाल पूरा हो गया था। ऐसे में केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर में हो रहा राज्यसभा का चुनाव बेहद महत्वपूर्ण हो गया है।
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