राजनीति

यूपी चुनाव: थम गया पहले चरण के लिए चुनाव प्रचार का शोर, 58 सीटों पर 10 फरवरी को वोट, जानें इन सीटों का लेखा जोखा

उत्तर प्रदेश में पहले चरण की 58 सीटों पर चुनाव प्रचार मंगलवार शाम 5 बजे थम गया। यूपी में पहले चरण के 11 जिलों की 58 विधानसभा सीटों पर दस फरवरी को मतदान होगा। कई दिनों के चुनावी शोरगुल के बाद प्रत्याशी डोर-टू-डोर प्रचार कर सकेंगे।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

उत्तर प्रदेश में पहले चरण की 58 सीटों पर चुनाव प्रचार मंगलवार शाम 5 बजे थम गया। यूपी में पहले चरण के 11 जिलों की 58 विधानसभा सीटों पर दस फरवरी को मतदान होगा। कई दिनों के चुनावी शोरगुल के बाद प्रत्याशी डोर-टू-डोर प्रचार कर सकेंगे।

Published: 08 Feb 2022, 5:00 PM IST

सबसे पहले आपको पहले चरण के कुछ आंकड़े बता देते हैं:

पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 11 जिलों की कुल 58 विधानसभा सीटों के लिए 10 फरवरी को मतदान होना है। इन 58 सीटों के लिए कुल 623 उम्मीदवार मैदान में हैं।

पहले चरण में जिन जिलों में मतदान होने हैं वो हैं, शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, गाजियाबादा, नोएडा यानी गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, मथुरा, अलीगढ़, आगरा और हापुड़ शामिल।

Published: 08 Feb 2022, 5:00 PM IST

पिछली 2017 के चुनावी नतीजों को देखें तो बीजेपी को पश्चिम यूपी में बड़ी सफलता मिली थी। इन 58 में से 53 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि एसपी-बीएसपी के हिस्से में 2-2 और आरएलडी के हिस्से में एक सीट आईं थी। लेकिन इस बार माहौल थोड़ा अलग है, ऐसे में बीजेपी ने अपने कुल 23 उम्मीदवारों को बदला है। इनमें से 19 मौजूदा विधायक हैं और 4 ऐसे हैं जो 2017 का चुनाव हार गए थे।

इन सीटों पर सपा-आरएलडी का गठबंधन है और इन 58 में से 29 सीटों पर आरएलडी और 28 सीटों सपा चुनाव लड़ रही है। एक सीट एनसीपी को दी गई है। बीएसपी ने अकेले ही चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान किया है और उसने इन सीटों पर 58 में से 56 नए चेहरों को उम्मीदवार बनाया है।

Published: 08 Feb 2022, 5:00 PM IST

इन 58 सीटों वाले 11 जिलों में कई जिले ऐसे हैं जहां मुस्लिम आबादी अच्छी खासी है। इनमें सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी शामली में है। यहां 41.73 फीसदी मुस्लिम हैं। इसके बाद मेरठ में 34.43, हापुड़ में 32.39. बागपत में 27.98, गाजियाबाद में 22.53, अलीगढ़ में 19.58, नोएडा में 13.08,आगरा में 9.31 और मथुरा में 8.52 फीसदी मुस्लिम आबादी है।

Published: 08 Feb 2022, 5:00 PM IST

अब बात करते हैं इन इलाके में प्रचार की...

बीजेपी की तरफ से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इन इलाकों से अपने प्रचार की शुरुआत की थी और इसके लिए कैराना को चुना था। कैराना वह इलाका है जहां 2013 में दंगे हुए थे और दोनों समुदायों के सैंकड़ो लोग पलायन कर गए थे। उनमें से कुछ परिवार वापस आ चुके हैं। बीजेपी इन्हीं परिवारों के आसपास अपना प्रचार केंद्रित कर माहौल के ध्रुवीकरण की कोशिश कर रही है।

लेकिन हाल में खत्म हुए किसान आंदोलन का सर्वाधिक असर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही देखने को मिल रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा ने तो बाकायदा घर-घर जाकर नो वोट टू बीजेपी अभियान शुरु किया है। किसान बीजेपी से बेहद नाराज हैं, उनका कहना है कि भले ही केंद्र की बीजेपी सरकार ने तीन काले कृषि कानून वापस ले लिए हैं, लेकिन एमएसपी पर किया गया वादा अभी भी अधूरा है। इसके अलावा आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिवारों को कोई मुआवजा नहीं मिली है साथ ही किसानों पर लगाए गए मुकदमे भी पूरी तरह वापस नहीं हुए हैं।

इसके साथ ही लखीमपुर खीरी में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री के बेटे की कार से किसानों के कुचले जाने की घटना भी किसानों के जहनों में ताजा है।

Published: 08 Feb 2022, 5:00 PM IST

माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी-आरएलडी का गठबंधन इन इलाकों में मजबूत है। यहां आरएलडी को किसानों का समर्थन मिलने की बात कही जा रही है। वहीं कहा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी को पिछड़े, दलितों, मुस्लिम और अन्य जातियों का समर्थन मिल सकता है।

इलाके में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी खूब प्रचार किया है। उनके रोड शो और डोर टू डोर कैंपेन के दौरान भारी संख्या में लोग बाहर निकले।

वादों की बात करें तो सभी दल लोगों को बिजली, पानी ,सुरक्षा, रोजगार देने के वादे किए हैं। हालांकि बीजेपी कब्रिस्तान-श्मशान और हिंदू-मुस्लिम का जिक्र कर ध्रुवीकरण की कोशिश में लगी है। हालांकि उनका ये दांव सफल होता नहीं दिख रहा है।

Published: 08 Feb 2022, 5:00 PM IST

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Published: 08 Feb 2022, 5:00 PM IST