पश्चिम बंगाल में 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव में अकेले उतरने का ऐलान करने के एक बाद टीएमसी को बड़ा झटका लगा है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पुत्र अभिजीत मुखर्जी ने बुधवार को टीएमसी छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया। मुखर्जी 2012 और 2014 में जंगीपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस सांसद रह चुके हैं।
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पूर्व लोकसभा सदस्य अभिजीत मुखर्जी को कोलकाता में कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय में पश्चिम बंगाल के पार्टी के प्रभारी महासचिव गुलाम अहमद मीर और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शुभंकर सरकार की उपस्थिति में पार्टी की सदस्यता दिलाई गई। कांग्रेस के राष्ट्रीय और प्रदेश नेतृत्व द्वारा पार्टी का झंडा सौंपे जाने के बाद मुखर्जी ने कहा, ‘‘कांग्रेस और राजनीति में यह मेरा दूसरा जन्मदिन है।’’ उन्होंने कहा कि वह पार्टी के सिद्धांतों और आदर्शों के अनुरूप काम करेंगे।
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अभिजीत मुखर्जी ने कहा कि उन्होंने खुद कांग्रेस में वापस आने की इच्छा जताई थी और इसके लिए उन्होंने पार्टी अध्यक्ष खड़गे से भी मुलाकात की थी। उन्होंने कहा कि उन्होंने पिछले साल जून में कांग्रेस में पुनः शामिल होने की इच्छा व्यक्त की थी, लेकिन विभिन्न राज्यों में चुनावों के कारण यह अब हो सका है। इसके बाद उन्होंने कहा कि तृणमूल में जाना उनके लिए एक गैर-राजनीतिक फैसला था और कांग्रेस छोड़कर उन्होंने गलती की थी। उन्होंने स्वीकार किया कि उनका निर्णय सही नहीं था और अब वह फिर से कांग्रेस के साथ काम करने के लिए तैयार हैं।
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वहीं इस मौके पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शुभंकर सरकार ने कहा कि यह पश्चिम बंगाल के लोगों के वास्ते लड़ने के लिए पार्टी की प्रदेश इकाई का एक बड़ा कदम है। अभिजीत मुखर्जी ने 2012 में कांग्रेस के टिकट पर जंगीपुर लोकसभा उपचुनाव जीता था, जब उनके पिता प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। प्रणब मुखर्जी इससे पहले कांग्रेस के मंत्री के रूप में केंद्र सरकार में कई प्रमुख मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली थी। अभिजीत मुखर्जी ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में इसी निर्वाचन क्षेत्र से 2014 का लोकसभा चुनाव भी जीता था।
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काफी समय से यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि प्रणब मुखर्जी के पुत्र फिर से कांग्रेस में वापसी कर सकते हैं। अब उनकी घर वापसी की अटकलें सही साबित हुईं। कांग्रेस में शामिल होने के बाद मुखर्जी 2012 और 2014 में जंगीपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस सांसद रह चुके हैं। हालांकि, 2021 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया था। अब एक बार फिर उन्होंने कांग्रेस में वापसी कर ली है, जिससे पार्टी को पश्चिम बंगाल में मजबूती मिलने की उम्मीद है।
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