उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार में सहयोगी दल अब उसे आंखें दिखाने लगे हैं। योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार निषाद ने बीजेपी को बड़ी धमकी दे दी है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि अगर बीजेपी को हमसे कोई फायदा नहीं हो रहा है तो गठबंधन तोड़ सकती है।
मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में संजय निषाद बीजेपी से नाराज नजर आए। उन्होंने बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं को सहयोगी दलों पर अभद्र टिप्पणी करने से बचने की सलाह दी और कहा कि एसपी और बीएसपी से आए नेताओं से बीजेपी को सावधान रहना चाहिए। संजय निषाद ने कहा कि यदि बीजेपी को लगता है कि निषाद पार्टी का कोई योगदान नहीं है, तो वह गठबंधन से अलग हो सकती है। लेकिन निषाद पार्टी अपने अस्तित्व की लड़ाई अकेले भी लड़ने के लिए तैयार है।
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उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर बीजेपी को भरोसा है कि निषाद पार्टी अपने समाज को सही दिशा में ले जा रही है और उसका राजनीतिक लाभ बीजेपी को भी मिल रहा है, तो रिश्ता आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी को यह घमंड नहीं होना चाहिए कि उत्तर प्रदेश की जीत केवल बीजेपी की थी, बल्कि इसमें सहयोगी दलों का भी योगदान रहा। अपना दल पटेल समाज को, एसबीएसपी राजभर समाज को, आरएलडी जाट समाज को और निषाद पार्टी मछुआ समाज को बीजेपी से जोड़ने का काम करती है।
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संजय निषाद ने बताया कि निषाद पार्टी की नींव गोरखपुर से रखी गई है, लेकिन अफसोस की बात है कि वहीं के कुछ नेता लगातार पार्टी और उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आरक्षण का निर्णय बीजेपी को लेना है, क्योंकि केंद्र और राज्य दोनों जगह बीजेपी की ही सरकार है। निषाद पार्टी केवल सहयोगी है। केंद्र और राज्य स्तर पर इस मुद्दे पर सकारात्मक पहल हो रही है, लेकिन कुछ तथाकथित निषाद नेता समाज और पार्टी को गुमराह कर रहे हैं।
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संजय निषाद ने कहा कि निषाद समाज का रिश्ता त्रेता युग से ही भगवान श्रीराम के साथ रहा है और पार्टी उसी आदर्श को आगे बढ़ाने के लिए संकल्पबद्ध है। उन्होंने बीजेपी में एसपी और बीएसपी से आए नेताओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ये वही लोग हैं जो ‘हाथी’ से आकर बीजेपी में शामिल हुए हैं और अब निषाद समाज के टिकट की पैरवी कर रहे हैं। हम तो चाहते हैं कि पूरा विधानसभा ‘निषादमय’ हो जाए और 403 में से 403 विधायक निषाद जीतकर आएं।
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उन्होंने सवाल उठाया कि जो लोग टिकट दिलाने की पैरवी कर रहे हैं, क्या वे बीजेपी से यह गारंटी लेकर आए हैं कि उन्हें 2027 में टिकट मिलेगा? 2024 में भी वे खाली हाथ ही रह गए। उन्होंने विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन्हें सांसद की कुर्सी और सुरक्षा दी गई है, उन्होंने अपने कार्यकाल में मछुआ समाज के आरक्षण की कितनी बार आवाज उठाई? अगर नहीं उठाई तो समाज सब देख रहा है और समय आने पर फैसला करेगा।
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गोरखपुर की राजनीति पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि वहां हर समय यही कोशिश रहती है कि हमें नीचे गिराया जाए। आशीष पटेल के मामले में भी खुलासा हो चुका है। सवाल यह है कि बीजेपी नेतृत्व सीधे क्यों नहीं बोलता और छुटभैया नेताओं से बयान क्यों दिलवाता है। संतकबीरनगर चुनाव हारने पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बार-बार सवाल उठता है कि प्रवीण चुनाव कैसे हारे। इस संसदीय क्षेत्र के बीजेपी नेतृत्व ने क्या किया और क्या नहीं किया, इसकी पूरी रिपोर्ट बीजेपी के पास है और उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
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