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गुजरात में राहुल के भाषण से निकले #GabbarSinghTax ने कर दी भक्तों की बोलती बंद

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के व्यंग्य भरे संदेशों और केंद्र की मोदी सरकार की योजनाओं की परिभाषाओं ने लोगों के सोचने पर मजबूर कर दिया है कि केंद्र में किसी पार्टी की सरकार है या सिर्फ जुमलेबाजों की

नवजीवन ग्राफिक्स
नवजीवन ग्राफिक्स 

गुजरात चुनाव की जंग गुजरात की जमीन से इतर आभासी दुनिया यानी वर्चुअल वर्ल्ड में खुलकर और पूरे दम के साथ लड़ी जा रही है। जमीनी जंग तो अभी होनी बाकी है, क्योंकि युद्धघोष करने के लिए चुनाव आयोग को अभी हरी झंडी नहीं मिली है, लेकिन आभासी दुनिया स्वतंत्र है, मस्त है, बिंदास है। अपने पर आ जाए तो क्या का क्या नहीं बना डाले। दो - एक महीने पहले तक तो इस आभासी दुनिया पर भक्तों का कब्जा रहा, जरा-जरा सी बात पर ट्रेंड करना या करवा देना और फिर छाती कूट-कूट कर शोर मचाना, कि देखो कितने चाहने वाले हैं....लेकिन जब यही हथियार विरोधी खेमे ने अपनाया तो भक्तोंं की पूरी सेना बगलें झांकती नजर आ रही है।

ऐसा ही हुआ सोमवार यानी 23 अक्टूबर 2017 को। दिन और तारीख इसलिए ताकि सनद रहे। हुआ यूं कि अपने नवसर्जन दौरे पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात के गांधीनगर में एक जनसभा की। यहां उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार की उन योजनाओं को लोगों के सामने रखा, जिनसे आम लोगों का जीना मुहाल हो गया है। इन्हीं योजनाओं में एक है जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स। पीएम मोदी और उनके सिपहसालार इसे अब तक गुड एंड सिंपल टैक्स की संज्ञा देते रहे। एक देश, एक टैक्स के नाम पर लोगों को समझाते-बताते रहे, लेकिन इस टैक्स की पेचीदगियों से आम लोग बेइंतिहा त्रस्त हैं।

इसी परेशानी और दिक्कतों को सामने रखते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने जीएसटी की एक नई परिभाषा सामने रखी, गब्बर सिंह टैक्स....कोई चार दशक पहले आई फिल्म ‘शोले’ के खलनायक गब्बर सिंह से इस टैक्स की तुलना करते हुए राहुल गांधी ने बताया कि जिस तरह फिल्म में हर कोई गब्बर सिंह के नाम से कांपता था, वही हाल जीएसटी ने किया है। बस फिर क्या था, देखते-देखते ट्वीटर पर #GabbarSinghTax छा गया।

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राहुल के इस भाषण के बाद यह हैशटैग सोमवार को दोपहर से लेकर देर रात तक नंबर एक पर ट्रेंड करता रहा। भक्तों की ट्रोल आर्मी को समझ ही नहीं आया कि इसका मुकाबला कैसे करें। आखिर कैसे ट्रेंड करने लगा

ध्यान रहे कि इस टैक्स को आधी रात लागू करते वक्त पीएम और उनकी सरकार के तमाम मंत्री इसे अपना बेबी बताते नहीं थक रहे थे। लेकिन इससे पैदा परेशानियों ने उनके बोल बदल दिए हैं। इसी पर ट्विटर पर लोगों ने तरह तरह के कार्टून पेश किए। एक बानगी देखिए -

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इतना ही नहीं कुछ लोगों ने एक पुरानी वीडियो निकालकर सामने रख दी जिसमें बेशुमार लोग नजर आ रहे हैं। लोगों ने इस भीड़ को नाम दिया रामगढ़ के लोगों गब्बर सिंह टैक्स के खिलाफ प्रदर्शन। रामगढ़ वह गांव है जिसकी पृष्ठभूमि में पूरी शोले फिल्म बनी थी।

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कुछ और भी ज्यादा क्रिएटिव दिखे। उन्होंने एक कार्टून के जरिए दिखाया कि किस तरह जीएसटी यानी गब्बर सिंह टैक्स वसूल कर विरोधी दलों के समर्थकों को बीजेपी में शामिल करने की साजिशें रची जा रही हैं।

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एक ने तो इस टैक्स से घर-संसार बरबाद होने की ही बात कह दी।

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फोटोशॉप के जमाने में किसी की भी तस्वीर पर किसी और की तस्वीर लगाने में देर नहीं लगती। और सोशल मीडिया तो इसमें माहिर है। वैसे ये तरकीब लोगों को सिखाई भक्तों ने ही है। इस तस्वीर को देख भक्तों के माथे पर बल तो जरूर पड़े होंगे।

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बात गब्बर सिंह की और बसंती का नाम न आए, यह कैसे हो सकता है। तो कुछ लोगों ने शोले के डायलॉग पर आधारित टिप्पणियां ही कर दीं।

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गब्बर सिंह टैक्स पर क्रिएटिविटी जारी है। जरा इस कार्टून को देखिए, और अंदाजा लगाइए कि जीएसटी यानी गब्बर सिंह टैक्स किस तरह से लागू किया गया होगा....

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गब्बर सिंह टैक्स तो खूब पसंद आया लोगों को, लेकिन कुछ लोगों ने जीएसटी की कुछेक नई परिभाषाएं भी सामने रख दीं। जैसे यह देखिए....

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जीएसटी यानी गब्बर सिंह टैक्स की सबसे ज्यादा मार कारोबारियों और मध्यम वर्ग पर पड़ी है। मोदी के 2014 लोकसभा चुनाव के नारों से प्रेरित इस ट्वीट को देखिए जरा....

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गब्बर सिंह हो गया, बसंती हो गई, तो कुछेक किरदार और सामने आए शोले फिल्म के। इस फिल्म के बहुत भावपूर्ण दृश्य है जिसमें इमाम साहब अपने बेटे की मौत पर सकते में आए गांव वालों से पूछते हैं कि इतना सन्नाटा क्यों है भाई। लेकिन गब्बर सिंह टैक्स में यही डॉयलॉग थोड़ा बदल गया है....

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गब्बर सिंह टैक्स से परेशान लोगों के मन में यह सवाल भी आ रहे हैं कि इतना टैक्स वसूला जा रहा है तो फिर जा कहां रहा है। यह देखिए, एक साहब ने जवाब भी तलाश लिया...

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तो फिर गुजरात में क्या फिर से कमल खिलेगा? जवाब इस ट्वीट में आपको मिल जाएगा....

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इसमें कोई शक नहीे कि जीएसटी ने छोटे और मझोले कारोबारियों, आम दुकानदारों, छोटा-मोटा काम करने वालों की हालत खराब कर दी है। उम्मीद करें कि कोई आम लोगों की तरफ मदद का ‘हाथ’ बढ़ाए और उन्हें इस #GabbarSinghTax से निजात दिलाए।

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