सोशल वायरल

सामाजिक दबाव, परिवार की अपेक्षाएं के कारण छात्र कर रहे आत्महत्या, विशेषज्ञ बोले- ये युवाओं के भीतर बैठे गहरे संकट का संकेत

विशेषज्ञों के अनुसार, हाल के महीनों में आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों और कोटा जैसे कोचिंग केंद्रों में छात्र आत्महत्या के मामले बढ़े हैं, जो भारतीय युवाओं के भीतर बैठे गहरे संकट का संकेत हैं।

फोटो: IANS
फोटो: IANS 

हाल के दिनों में छात्रों में आत्महत्या के मामले बढ़े हैं। हर महीने राजस्थान के कोटा के छात्रों के आत्महत्या करने के मामले सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि युवा छात्रों में आत्महत्या के मामलों में चिंताजनक वृद्धि के पीछे समाज का बढ़ता दबाव और परिवार की अपेक्षाएं प्रमुख कारण हैं। हाल के वर्षों में भारत में छात्रों की आत्महत्या की दर में उछाल आया है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में 13,000 से अधिक छात्रों ने आत्महत्या की। जबकि, 2020 में आत्महत्या करने वालों की संख्या 12,500 से अधिक थी। 

Published: undefined

गुरुग्राम में नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के क्लिनिकल मनोविज्ञान डॉ. राहुल राय कक्कड़ ने आईएएनएस को बताया कि इस खतरनाक आत्महत्या के ट्रेंड का मूल कारण मुख्य रूप से केवल आर्थिक कारकों के बजाय सामाजिक और पारिवारिक अपेक्षाओं का बढ़ता दबाव है। तेजी से बढ़ती कंपीटीशन और शैक्षणिक चिंताओं के कारण छात्र डर का अनुभव करते हैं। चिंता की स्थायी स्थिति पर अक्सर किसी का ध्यान नहीं जाता है, जो उन्हें परेशान करने वाली मानसिक स्थिति की ओर धकेलती है।

साकेत में मैक्स हॉस्पिटल के निदेशक और प्रमुख, मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विज्ञान विभाग के डॉ. समीर मल्होत्रा ने बताया कि प्रतियोगी परीक्षाओं का अत्यधिक तनाव, कड़ी मेहनत के बावजूद निराशा, बड़ी संख्या में उम्मीदवारों और कम संख्या में सीटों के बीच बड़ा बेमेल, रिश्ते में तनाव, अशांत जीवनशैली, पारिवारिक संकट, अंतर्निहित अवसाद, निराशा, असुरक्षा की भावना और खतरा महसूस करना, ये ऐसे कारण हैं जो छात्रों को जानलेवा कदम उठाने के लिए प्रेरित करते हैं।'

Published: undefined

विशेषज्ञों के अनुसार, हाल के महीनों में आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों और कोटा जैसे कोचिंग केंद्रों में छात्र आत्महत्या के मामले बढ़े हैं, जो भारतीय युवाओं के भीतर बैठे गहरे संकट का संकेत हैं। डॉ. कक्कड़ ने कहा कि शैक्षणिक रूप से उत्कृष्टता हासिल करने के लिए समाज और परिवारों का अनियंत्रित दबाव ऐसे माहौल को बढ़ावा देता है, जहां चिंता पनपती है।

बेंगलुरु में मणिपाल हॉस्पिटल के डॉ. सतीश कुमार सीआर ने आईएएनएस को बताया कि छात्रों में उच्च आत्महत्या दर का प्राथमिक अंतर्निहित कारण निस्संदेह अपेक्षाओं का बोझ है। छात्रों को अपनी शैक्षणिक यात्रा शुरू होने से पहले ही प्रवेश परीक्षाओं को लेकर भारी दबाव का सामना करना पड़ता है। 

Published: undefined

उन्होंने शिक्षा की आसमान छूती लागत, सहकर्मी दबाव के व्यापक प्रभाव और सामाजिक मानदंडों को पूरा करने की जरूरतों को भी जिम्मेदार ठहराया। कुछ छात्र पिछली दर्दनाक घटनाओं के कारण आत्महत्या के ट्रेंड से भी पीड़ित होते हैं।

नई दिल्ली के श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट में मनोचिकित्सा के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. प्रशांत गोयल ने शिक्षा क्षेत्र में तत्काल सामाजिक बदलाव का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि निरंतर प्रतिस्पर्धा और प्रदर्शन पर अनुचित निर्धारण ने शैक्षणिक संस्थानों को युवा दिमागों के लिए दबाव कक्ष में बदल दिया है। मानसिक स्वास्थ्य और शैक्षणिक सफलता के बीच आंतरिक संबंध को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है। 

आईएएनएस के इनपुट के साथ

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined

  • बड़ी खबर LIVE: केजरीवाल बोले- चीन ने हमारी जमीन पर कर लिया है कब्जा, केंद्र सरकार इससे कर रही है इनकार

  • ,
  • भ्रष्टाचारियों का संरक्षण ही 'मोदी की गारंटी' है, मोदी सरकार को नहीं हराया गया तो देखने पड़ेंगे काले दिन: उद्धव ठाकरे

  • ,
  • हरियाणा में अपने खिलाफ माहौल से BJP परेशान, आंतरिक रिपोर्ट में रोहतक-सिरसा सबसे मुश्किल सीट, बाकी सीटों पर भी जीत आसान नहीं

  • ,
  • उत्तर प्रदेश में इस पोस्टर ने बढ़ा दी बीजेपी की बेचैनी, महिला-किसान के अपमान पर सत्ता के खिलाफ गुस्सा

  • ,
  • पाकिस्तान: PoK में बवाल! पुलिस-प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में एक पुलिसकर्मी की मौत, बिजली बढ़ते दामों के खिलाफ प्रदर्शन