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कांस्य पदक के लिए पहलवान बजरंग पुनिया ने उठाया बहुत बड़ा जोखिम, कोच और फिजियो हो गए थे नाराज! जानें क्यों

ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के लिए पहलवान बजरंग पुनिया ने कजाखस्तान के दाउलेत नियाजबेकोव के साथ मुकाबला घुटने में दर्द के साथ खेला और गंभीर चोट का जोखिम उठाया।

फोटो: IANS
फोटो: IANS 

ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के लिए पहलवान बजरंग पुनिया ने कजाखस्तान के दाउलेत नियाजबेकोव के साथ मुकाबला घुटने में दर्द के साथ खेला और गंभीर चोट का जोखिम उठाया। बजरंग ने ओलंपिक के पहले तीन बाउट, राउंड-16, क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल के मुकाबले चोटिल घुटने के साथ खेला। शनिवार को, उन्होंने अपने कोचों की आपत्तियों को खारिज कर दिया और कजाख पहलवान के खिलाफ कांस्य पदक मैच के लिए सुरक्षा प्राप्त करने से इनकार कर दिया क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि उनकी गतिविधियों को प्रतिबंधित किया जाए और वह पदक की दौड़ से बाहर हो जाएं।

Published: 08 Aug 2021, 4:17 PM IST

बजरंग ने कहा, "पदक जीतना जरूरी था। पहले तीन बाउट में मैंने घुटने को सुरक्षित किया। कांस्य पदक का मैच टोक्यो में मेरा आखिरी मुकाबला था और मैंने जोखिम उठाया। मैंने फिजियो को घुटने में स्ट्रैप करने नहीं दिया। वह खुश नहीं थे लेकिन मैंने उन्हें कहा कि मैं नहीं चाहता था कि मेरी गतिविधियों को प्रतिबंधित किया जाए क्योंकि कांस्य पदक ज्यादा जरूरी था।"

बजरंग से पहले केडी जाधव (हेलसिंकी 1952), सुशील कुमार (बीजिंग 2008 और लंदन 2012), योगेश्वर दत्त (लंदन 2012) और साक्षी मलिक (रियो 2016) में भारत के लिए कांस्य पदक जीता था।

Published: 08 Aug 2021, 4:17 PM IST

बजरंग भी ओलंपिक में पदक हासिल करने वालों की सूची में शामिल हो गए लेकिन उन्हें इसके लिए भारी जोखिम उठाया। बजरंग के घुटने में पिछले महीने रूस में अली अलियेव मेमोरियल टूर्नामेंट के दौरान चोट लगी थी। ओलंपिक से पहले वह 20 दिनों तक मैच से दूर रहना पड़ा था।

बजरंग ने कहा, "मैट से 20-25 दिन दूर रहने से मेरी तैयारियों पर असर पड़ा। टोक्यो में मैं स्वतंत्र तरीके से बाउट में मूव नहीं कर पा रहा था क्योंकि मुझे घुटने को सुरक्षित करना पड़ रहा था। लेकिन अंतिम मैच में उनका ध्यान पदक जीतने पर था, इसलिए मैंने जोखिम लिया क्योंकि इसके बाद टोक्यो में मेरा कोई बाउट नहीं था।"

Published: 08 Aug 2021, 4:17 PM IST

बजरंग ने कहा कि वह स्वदेश लौटने के तुरंत बाद पुनर्वसन में जाएंगे और बाद में अगले साल एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों की योजना बनाने के लिए अपने कोचों और सहयोगी स्टाफ के साथ बैठेंगे।

आईएएनएस के इनपुट के साथ

Published: 08 Aug 2021, 4:17 PM IST

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Published: 08 Aug 2021, 4:17 PM IST