कांग्रेस नेता और रिटायर्ड कर्नल रोहित चौधरी ने मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कर्नल चौधरी ने शुक्रवार को केंद्र सरकार पर चुनावों के लिए सेना का ‘राजनीतिक’ इस्तेमाल करने का आरोप लगाया और दावा किया कि सत्तारूढ़ दल ने ‘सैनिकों की लोकप्रियता का फायदा उठाकर’ सेना की गरिमा को ठेस पहुंचाई है।
उन्होंने दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, "मोदी सरकार ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए सेना के हाथ में सरकारी योजनाओं के पोस्टर थमा दिए हैं। डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस ने एक सर्कुलर जारी किया है, जिसके तहत देश में मोदी सरकार की योजनाओं से जुड़े 822 सेल्फी पॉइंट्स बनेंगे। इन्हें बनाने के लिए देश की सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिए गए हैं। यह पूरी तरह से गलत है, सत्ता का दुरुपयोग है।"
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कर्नल चौधरी ने सरकार से पूछा, "क्या हमारे देश के सैनिक अब BJP और PM मोदी का प्रचार करेंगे? क्या हमने फौज का स्तर इतना गिरा दिया है? जो सैनिक बेहद मुश्किल हालातों में देश की सीमा पर खड़े होते हैं, वो अब मोदी सरकार की योजनाओं का प्रचार करेंगे? आर्मी, एयरफोर्स और नेवी ने अपनी वेबसाइट पर इस ऑडर को नहीं दिखाया है। इसका मतलब वह इसे गैर-कानूनी मान रहे हैं।"
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उन्होंने कहा, "जो व्यक्ति आर्मी एक्ट, नेवी एक्ट, एयर फोर्स एक्ट के अंदर आते हैं, उनके लिए किसी भी तरह की राजनीतिक पार्टी के लिए प्रचार करना वर्जित है। मोदी सरकार हमारे सैनिकों का अपमान कर रही है। सेना और सैनिक, दोनों ही देश की धरोहर हैं। यह किसी राजनीतिक पार्टी की निजी संपत्ति नहीं हैं।"
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बता दें कि मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि, रक्षा मंत्रालय ने ‘अच्छे काम’ दिखाने के लिए ‘सेल्फी पॉइंट’ बनाने का आदेश दिया है, जहां पीएम की फोटो लगाना अनिवार्य है।
डिफेंस एकाउंट्स के कंट्रोलर जनरल द्वारा जारी नोट में उल्लेख किया गया था कि नौ शहरों- नई दिल्ली, नासिक, इलाहाबाद, कोल्लम, पुणे, कोलकाता, बेंगलुरु, गुवाहाटी और मेरठ में ‘सेल्फी पॉइंट’ बनाने को मंजूरी दी गई है। रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया था कि इन्हें बनाने का निर्णय 14 सितंबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में लिया गया था। इसमें जोर दिया गया था कि इन्हें ‘प्रमुख स्थानों पर बनाया जाना चाहिए, जहां अधिकतम लोग आते हों और इनमें जनता का ध्यान खींचने की क्षमता हो।’
इस निर्णय को पूर्व रक्षा प्रमुखों ने ‘राजनीतिकरण’ बताते हुए आलोचना की थी। साथ ही, उन्होंने चुनाव पास आने और इस तरह के राजनीतिक अभियानों को रक्षा मंत्रालय से दूर रखने की परंपरा की ओर इशारा भी किया था।
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