जसिंता केरकेट्टा को मिलेगा ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ और प्रभाशंकर प्रेमी को ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’
'शब्द’ के अध्यक्ष श्रीनारायण समीर ने एक बयान में कहा कि दोनों पुरस्कार विजेताओं को इस वर्ष 28 दिसंबर को बेंगलुरु में आयोजित होने वाले वार्षिक समारोह में सम्मान और पुरस्कार राशि के साथ मैसूर पेटा (पगड़ी), स्मृति चिह्न और अंगवस्त्र प्रदान किए जाएंगे।

भारत की ‘सिलिकॉन सिटी’ बेंगलुरु की प्रख्यात साहित्यिक संस्था ‘शब्द’ ने वर्ष 2025 के लिए ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ और ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’ के विजेताओं के नाम की घोषणा की है। संस्था की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि एक लाख रुपये की नकद राशि वाला ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ प्रख्यात हिंदी कवयित्री जसिंता केरकेट्टा को उनके कविता संग्रह ‘प्रेम में पेड़ होना’ के लिए प्रदान किया जाएगा।
इसमें कहा गया कि इसी प्रकार, 25,000 रुपये की नकद राशि वाला ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’ प्रसिद्ध हिंदी विद्वान और शिक्षाविद् प्रोफेसर प्रभाशंकर प्रेमी को दिया जाएगा। यह सम्मान उन्हें दक्षिण भारत में उच्च और प्रौढ़ शिक्षा के क्षेत्र में हिंदी भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जा रहा है।

साहित्यिक संस्था 'शब्द’, बेंगलुरु के अध्यक्ष श्रीनारायण समीर ने एक बयान में यह घोषणा करते हुए कहा, ‘‘दोनों पुरस्कार विजेताओं को इस वर्ष 28 दिसंबर को बेंगलुरु में आयोजित होने वाले वार्षिक समारोह में पुरस्कार राशि के साथ मैसूर पेटा (एक प्रकार की पगड़ी), स्मृति चिह्न और अंगवस्त्र प्रदान किए जाएंगे।’’
बयान के अनुसार, दोनों पुरस्कार विजेताओं का चयन एक निर्णायक मंडल द्वारा सर्वसम्मति से किया गया। चयनित प्रविष्टियों का मूल्यांकन और अनुशंसा हिंदी भाषा और साहित्य के सृजक विद्वानों की पांच सदस्यीय मूल्यांकन समिति द्वारा की गई, जिसमें पुरस्कार विजेताओं की कृतियों के पारदर्शी मूल्यांकन के साथ-साथ उनके अब तक के सर्जनात्मक अवदान को भी आधार बनाया गया।
निर्णायक मंडल ने ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ के लिए अपनी संस्तुति में कहा है कि “आदिवासी समाज के जीवन और संघर्ष को कविता में मुखरित कर सभ्य समाज का ध्यानाकर्षण करने में कवयित्री जसिन्ता केरकेट्टा ने उल्लेखनीय कार्य किया है। उनकी कविता प्रेम के वैभव की अभिव्यक्ति है। इस कविता में आदिवासी समाज की यातना और मनुष्य के अनियंत्रित दोहन से बंजर होती धरती की आकुल पुकार है और वैयक्तिक प्रेम की विरलता असाधारण है।”
ऐसे ही ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’ की संस्तुति में निर्णायक मंडल ने कहा है कि “बेंगलूरु एवं कर्नाटक में हिंदी और कन्नड़ के बीच समन्वय और सौहार्द का विकास एवं प्रसार को निर्बाध बनाने और उत्तर-दक्षिण के बीच आपसदारी के भाव को मजबूत करने में प्रो प्रभाशंकर प्रेमी के अमूल्य अवदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। उन्होंने ‘बसव मार्ग’ पत्रिका के सम्पादन के माध्यम से नागरिक जीवन में सदाचार और आडंबरमुक्त जीवन शैली को बढ़ावा देने में समर्पित भाव से प्रशंसनीय कार्य किया है।”
‘शब्द’ के अध्यक्ष डॉ समीर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ बेंगलूरु के प्रसिद्ध समाजसेवी और अज्ञेय साहित्य के मर्मज्ञ बाबूलाल गुप्ता के फाउंडेशन के सौजन्य से दिया जाता है। इसी तरह ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’ बेंगलूरु और चेन्नई से प्रकाशित प्रमुख हिंदी दैनिक समाचार पत्र समूह ‘दक्षिण भारत राष्ट्रमत’ के सौजन्य से प्रदान किया जाता है । विज्ञप्ति के अनुसार उक्त पुरस्कारों के लिए कुल 35 प्रविष्टियां प्राप्त हुईं। इन पर समग्रता में विचार करते हुए बाबूलाल गुप्ता, श्रीकांत पाराशर, नलिनी पोपट, डॉ. उषारानी राव और डॉ. श्रीनारायण समीर के निर्णायक मंडल ने सर्वसम्मति से पुरस्कार विजेताओं के नामों का चयन किया।
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