कानपुर शूटआउट केस की जांच के लिए SIT का गठन, विकास के पुलिस और संरक्षण देने वालों से संबंध की होगी जांच

2 जुलाई को कानपुर में हुई मुठभेड़ में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या मामले की जांच अब SIT करेगी। राज्य सरकार ने इस मामले में एसआईटी को जांच के निर्देश दिए हैं। इसे एडिशनल चीफ सेक्रेटरी संजय भूसरेड्डी लीड करेंगे।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

2 जुलाई देर रात और तीन जुलाई तड़के कानपुर के बिकरू गांव में हुई मुठभेड़ में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या की जांच अब स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम यानी एसआईटी करेगी। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इस पूरे मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल का गठन किया है। जानकारी के मुताबिक अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया गया है जिसे 31 जुलाई तक जांच पूरी करके रिपोर्ट शासन को सौंपनी है। आपको बता दें, इस टीम में एडीजी हरिराम शर्मा और डीआईजी जे. रवींद्र गौड़ भी शामिल हैं।

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राज्य सरकार की ओर से गठित की गई इस एसआईटी को विकास और आठ पुलिसकर्मियों की मौत से जुड़े विभिन्न पहलुओं, विकास दुबे को संरक्षण देने वालों, पुलिसकर्मियों और अन्य लोगों से उनके संबंधों, जमीन पर कब्जा करने जैसे मामलों, विकास दुबे और उनके साथियों को दिए गए शस्त्र लाइसेंस जैसे तमाम मामलों की जांच सौंपी गई है।

हम आपको विस्तार से समझाते हैं कि एसआईटी आखिर किन-किन पहलुओं की जांच करेगी.

  • घटना के पीछे के कारणों की होगी जांच

विकास दुबे पर जो भी मामले चल रहे हैं, उनमें अब तक क्या कार्रवाई हुई। विकास के साथियों को सजा दिनाने के लिए जरूरी कार्रवाई की गई या नहीं। इतने बड़े अपराधी की जमानत रद्द कराने के लिए क्या कार्रवाई की गई।

  • विकास के खिलाफ अब तक कितनी शिकायतें आईं हैं?

SIT को ये भी जांच करनी होगी कि क्या चौबेपुर थाना अध्यक्ष और जिले के अन्य अधिकारियों ने जितनी भी शिकायतें आई उनकी जांच की और अगर जांच की थी तो जांच में सामने आए फैक्ट्स के आधार पर क्या कार्रवाई की गई।

  • विकास और उसके साथियों पर किस एक्ट के तहत क्या कार्रवाई की गई?

विकास और उसके साथियों पर गैंग्स्टर एक्ट, गुंडा एक्ट, एनएसए के तहत क्या कार्रवाई की गई। कार्रवाई करने में की गई लापरवाही की भी जांच की जाएगी।

  • कॉल डीटेल रिपोर्ट की भी होगी जांच

विकास और उसके साथियों के पिछले एक साल के कॉल डीटेल रिपोर्ट (सीडीआर) की जांच करना। उसके संपर्क में आने वाले पुलिसकर्मियों की मिलीभगत के सबूत मिलने पर उन पर कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा करना।

  • पुलिस को घटना के दिन आरोपियों के पास हथियारों की जानकारी क्यों नहीं थी?

घटना के दिन पुलिस को आरोपियों के पास हथियारों और फायर पावर की जानकारी कैसे नहीं मिली। इसमें हुई लापरवाही की जांच करना। थाने को भी इसकी जानकारी नहीं थी, इसकी भी जांच करना।

  • अपराधियों को हथियारों के लाइसेंस किसने और कैसे दिए?

अपराधी होने के बावजूद भी विकास और उसके साथियों को हथियारों के लाइसेंस किसने और कैसे दिए। लगातार अपराध करने के बाद भी उसके पास लाइसेंस कैसे बना रहा। क्या विकास दुबे ने सरकारी जमीनों पर कब्जा किया? अगर हां, तो कौन अधिकारी इसमें शामिल थे?

फोटो: सोशल मीडिया
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10 जुलाई को एनकाउंटर में मारा गया विकास दुबे

आपको बता दें, कानपुर के बिकरू गांव में हुई इस मुठभेड़ में आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी। इसके बाद इस पूरे हत्याकांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे की तलाश में कई राज्यों की पुलिस लग गई थी, इस बीच पुलिस ने विकास दुबे के करीबियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया था। कई बदमाश मुठभेड़ में मारे गए। 10 जुलाई की सुबह गिरफ्तारी देने के बाद उज्जैन से कानुपर आते समय एनकाउंटर में मुख्य अभियुक्त विकास दुबे भी ढेर हो गया। अब तक पुलिस ने इस पूरे मामले में विकास दुबे समेत छह अन्य को एनकाउंटर में ढेर किया है।

विकास के करीबियों पर कसा जा रहा है शिकंजा

यूपी एसटीएफ ने ग्वालियर के रहने वाले दो लोगों को गिरफ्तार किया। दोनों पर आरोप है कि विकास के फरार साथी शशिकांत और शिवम दुबे को इन लोगों ने पनाह दी थी। आरोपियों पर कानपुर में केस दर्ज है। इसके अलावा, विकास का खास गुर्गा अरविंद उर्फ गुड्डन रामविलास त्रिवेदी और उसका ड्राइवर सुशील कुमार उर्फ सोनू तिवारी को ठाणे से गिरफ्तार किया किया है।

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