लोकतंत्र के पन्ने: बिहार का किशनगंज लोकसभा क्षेत्र, जहां मुस्लिम वोटर ही निभाते निर्णायक की भूमिका 

किशनगंज लोकसभा क्षेत्र अब तक हुए 16 चुनावों में सबसे ज्यादा आठ बार कांग्रेस के उम्मीदवारों को जीत मिली है। कांग्रेस के अलावा प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और जनता पार्टी को एक- एक बार, जनता दल को दो बार, आरजेडी को तीन बार और बीजेपी को भी एक बार जीत हासिल हुई है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

बिहार के किशनगंज लोकसभा क्षेत्र का चुनावी इतिहास काफी दिलचस्प रहा है। यहां दूसरे चरण में 18 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। अब तक हुए 16 चुनावों में सबसे ज्यादा आठ बार कांग्रेस के उम्मीदवारों को जीत मिली है। कांग्रेस के अलावा प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और जनता पार्टी को एक- एक बार, जनता दल को दो बार, आरजेडी को तीन बार और बीजेपी को भी एक बार जीत हासिल हुई है। पिछले दो लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी की जीत हुई है। साल 2009 और 2014 में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी मौलाना असरारुल हक कासमी जीत दर्ज करने में सफल हुये थे। किशनगंज लोकसभा क्षेत्र में चार विधानसभा क्षेत्र बहादुरगंज, ठाकुरगंज, किशनगंज और कोचाधामन के अलावा पूर्णिया जिले के दो विधानसभा क्षेत्र अमौर और बायसी भी शामिल हैं।

साल 1967 लोकसभा चुनाव में पहली बार कोई गैर कांग्रेसी उम्मीदवार यहां से जीत दर्ज करने में कामयाब रहा था। इस चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के लखन लाल कपूर चुनाव जीतने में सफल रहे थे। तो वहीं साल 1977 में जनता पार्टी से हलीमुद्दीन अहमद सांसद बने। वर्ष 1985 में कांग्रेस सांसद जामिलुर रहमान के निधन के बाद मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस पार्टी को यह सीट गंवानी पड़ी थी और जनता दल के टिकट पर सैयद शहाबुद्दीन ने वर्ष 1985 और वर्ष 1991 में दो बार जीत दर्ज की थी। वर्ष 1996,1998 और वर्ष 2004 में आरजेडी से मो.तस्लीमुद्दीन ने जीत दर्ज की थी।

किशनगंज संसदीय क्षेत्र के इतिहास पर गौर करें तो अब तक हुए आम चुनाव में सात में से पांच सांसद ऐसे हुए हैं जिन्होंने दो बार जीत दर्ज की और दो सांसदों ने हैट्रिक लगाई। लगातार दो बार जीत दर्ज करने वालों में किशनगंज के पहले सांसद मो. ताहिर तो सबसे बाद वाले मौलाना असरारुल हक कासमी रहे। मो. ताहिर 1957 और 62 में तो मौलाना असरारुल हक कासमी 2009 और 2014 में सांसद चुने गए। इस बीच सैयद शहाबुद्दीन भी दो बार किशनगंज से जीते मगर लगातार नहीं। उन्हें 1985 के मध्यावधि चुनाव और 1991 के आमचुनाव में सफलता मिली। 1957 और 2014 के बीच जमीलुर रहमान और मो. तस्लीमउद्दीन लगातार दो बार चुनाव जीते। हालांकि इन दोनों दिग्गजों के खाते में तीन-तीन जीत दर्ज है लेकिन हैट्रिक नहीं लगा पाए। जमीलुर रहमान 1971, 1980 और 1984 में सांसद चुने गए तो मो. तस्लीमउद्दीन 1996, 1998 व 2004 में।

साल 2009 औ 2014 के चुनाव में जमीयत उलेमा ए हिंद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना असरारुल हक कासमी ने जीत का परचम लहराया। इसके बाद वर्ष 2014 के चुनाव में भी उन्होंने अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रखा। बीते सात दिसंबर 2018 को उनका निधन हो गया।

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