मोदी सरकार मणिपुर सीएम के बचाव में उतरी, अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में बोले शाह- वे सहयोग कर रहे हैं, नहीं हटाए जाएंगे

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि ‘हटाया उसे जाता है जो कोआपरेट नहीं करता, मुख्यमंत्री कोआपरेट कर रहे हैं, इसलिए उन्हें नहीं हटाया गया।’ अमित शाह अविश्वास प्रस्ताव पर जारी चर्चा में बोल रहे थे।

संसद टीवी का स्क्रीन ग्रैब
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नवजीवन डेस्क

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने आखिरकार मणिपुर में तीन माह से भी अधिक समय से जारी अशांति और हिंसा पर चुप्पी तोड़ी है। विपक्षी गठबंधन INDIA द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर जारी चर्चा में हिस्सा लेते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने यूं तो अपने भाषण में मोदी सरकार के करीब 10 साल के कार्यकाल की कथित उपलब्धियां गिनाईं और पूर्व में हुई घटनाओं के लिए कांग्रेस और विपक्ष की आलोचना की, लेकिन उन्होंने साफ कर दिया कि मणिपुर के मुख्यमंत्री को नहीं हटाया जाएगा।

मणिपुर में जारी हिंसा और उस पर केंद्र सरकार की चुप्पी तोड़ने के लिए विपक्ष द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर गृहमंत्री ने आंकड़ों के साथ बयान दिया। उन्होंने कहा कि, “मैं विपक्ष की इस बात से सहमत हूं कि हिंसा का तांडव मणिपुर में हुआ है। इस हिंसा का कोई भी समर्थन नहीं कर सकता। ये जो घटना हुई वो शर्मनाक है, लेकिन इस पर राजनीति करना उससे भी ज्यादा शर्मनाक है।“ लेकिन उन्होंने कहा कि विपक्ष उन्हें चुप कराने की कोशिश कर रहा है।

अमित शाह ने बताया कि मणिपुर हिंसा में अब तक 152 लोगों की मौत हुई है और बहुत से लोग विस्थापित हुए हैं। उन्होंने कहा कि मैतेई और कुकी समुदायों के बीच शांति स्थापित करने की कोशिश की जा रही है।


इस मामले में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग पर अमित शाह ने साफ कर दिया कि “इस्तीफा उसका मांगा जाता है जो कोऑपरेट नहीं करता। बीरेन सिंह द्वारा शुरुआत से सहयोग दिया गया है, क्यों उनका इस्तीफा मांगा जाए।“ उन्होंने देश को झकझोर कर रख देने वाले उस वीडियो का भी जिक्र करते हुए सफाई पेश की। उन्होंने कहा कि यह दुखद घटना है और ना पक्ष ना विपक्ष, कोई ऐसी घटना का समर्थन नहीं कर सकता। लेकिन उन्होंने साथ ही सवाल उठाया कि संसद सत्र शुरु होने से ठीक पहले इस वीडियो को क्यों वायरल किया गया। उन्होंने कहा कि इस वीडियो को समय रहते मणिपुर की पुलिस या डीजीपी को क्यों नही दिया गया।

अमित शाह ने अपने भाषण में मणिपुर की घटना पर सिवाए आंकड़े गिनाने और केंद्र सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों का ब्योरा तो दिया, लेकिन इस बात का कोई जवाब नहीं दिया कि आखिर प्रधानमंत्री पूरे मामले पर क्यों चुप हैं। अलबत्ता उन्होंने पूर्व की घटनाओं का हवाला देते हुए जरूर कहा कि पूर्व की हिंसा के मामलों में भी प्रधानमंत्री हिंसाग्रस्त इलाकों में नहीं गए।

अमित शाह ने पूर्व में अलग-अलग राज्यों में हुई हिंसा की घटनाओं और उनमें मारे गए लोगों की संख्या तो बताई, लेकिन गुजरात में 2002 में हुई हिंसा का जिक्र नहीं किया। इससे पहले आज सुबह अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर तीखे हमले किए। उन्होंने कहा कि जिस तरह की विभाजनकारी नीतियां मोदी सरकार ने अपनाई हैं, उससे उन्होंने ‘मणिपुर में हिंदुस्तान का कत्ल किया है।‘

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