महाधिवेशन में राजनीतिक प्रस्ताव: तीसरे मोर्चे के पक्ष में नहीं कांग्रेस, धर्मनिरपेक्ष ताकतों की एकता का आह्वान

रायपुर महाधिवेशन में पेश राजनीतिक प्रस्ताव में कांग्रेस ने संकेत दिया है कि वह तीसरे मोर्चे के पक्ष में नहीं है, क्योंकि इससे बीजेपी को ही फायदा होगा। कांग्रेस ने सभी धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी ताकतों की एकता का आह्वान किया है।

फोटो -  रविराज सिन्हा
फोटो - रविराज सिन्हा
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नवजीवन डेस्क

कांग्रेस किसी भी तीसरे मोर्चे के खिलाफ है और उसका कहना है कि तीसरे मोर्चे का उभार बीजेपी/एनडीए को ही फायदा पहुंचाएगा। ऐसे में धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी ताकतों की एकता ही पार्टी के भविष्य के लिए जरूरी होगी। कांग्रेस ने यह बात अपने राजनीतिक प्रस्ताव में कही है, जो रायपुर में हो रहे पार्टी के 85वें महाधिवेशन में मंजूर किया जाना है। कांग्रेस के इस संकल्प से पार्टी के 2004 के लोकसभा एजेंडे की याद आती है।

इस संकल्प पत्र को तनकीनीक रूप से कांग्रेस का 2024 के लिए घोषणा पत्र कहा जा सकता है लेकिन फिलहाल इसे राजनीतिक प्रस्ताव कहा गया है। इसमें पार्टी ने कहा है कि “कांग्रेस को समान विचारधारा वाली धर्मनिरपेक्ष ताकतों की पहचान करने, उन्हें एकजुट करने और संघर्ष करने के लिए सामने आना होगा। हमें धर्मनिरपेक्ष क्षेत्रीय ताकतों को शामिल करना चाहिए जो हमारी विचारधारा से सहमत हों। आम वैचारिक आधार पर एनडीए का मुकाबला करने के लिए एकजुट विपक्ष की तत्काल आवश्यकता है।“

कांग्रेस ने 2024 के लिए अपने दृष्टिपत्र में कहा है कि जहां भी कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल है, वहां “हमें एक जिम्मेदार और उत्तरदायी विपक्ष होना चाहिए। प्रचार करते समय, संबंधित स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए" और "अच्छी तरह से तैयार और अच्छी तरह से विचार-विमर्श किए गए उदयपुर नव संकल्प को एक मिशन मोड में अपनाया जाएगा"।

पार्टी ने विधायकों की खरीद और बड़े पैमाने पर दल-बदल की योजना बनाकर लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकारों को गिराने के लिए की परंपरा को रोकने के लिए संविधान में संशोधन करने का प्रस्ताव दिया है। ध्यान रहे कि कांग्रेस ने पांच राज्य सरकारों को दलबदल की वजह से खोया है।

कांग्रेस ने 58 सूत्रीय राजनीतिक प्रस्ताव में कहा है कि वह जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्ज देगी और लद्दाख और इसके लोगों को संविधान के छठे अनुसूची के तहत संरक्षण देगी। इसके साथ ही पार्टी ने दोहराया है कि वह आँध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए भी प्रतिबद्ध है।

इसके साध ही कांग्रेस ने एक और अधिकार देश के लोगों को देने का संकल्प किया है, जिसे लेकर उसे लगता है कि वह एक परिवर्तनकारी कानून बन सकता है। कांग्रेस ने कहा है कि वह स्वास्थ्य सेवा का अधिकार कानून (राइट टू हेल्थकेयर एक्ट) बनाएगी, क्योंकि स्वास्थ्य सेवा प्रत्येक नागरिक का अधिकार है। पार्टी ने कहा है कि, "कांग्रेस प्रत्येक नागरिक को स्वास्थ्य सेवाओं के अधिकार की गारंटी देगी, जिसमें मुफ्त जांच, ओपीडी केयर, दवाएं और अस्पताल में भर्ती होना शामिल है"। बता दें कि राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने सितंबर 2022 में राज्य विधानसभा में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक पेश किया था।


पार्टी ने कहा है कि कांग्रेस ‘राष्ट्र को वर्तमान पीड़ा और अंधकार से मुक्त करने, इन विभाजनकारी ताकतों द्वारा बनाए गए घावों को भरने और स्थिरता एवं शांति को फिर से बहाल करने का संकल्प लेती है। कन्याकुमारी से कश्मीर तक 4000 किलोमीटर लंबी भारत जोड़ो यात्रा इस दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम था।‘

देश की सबसे पुरानी पार्टी का प्रस्ताव है कि वह देश में बढ़ रहे हेट क्राइम (नफरती अपराधों) के खिलाफ कानून लेकर आएगी।  कांग्रेस ने कहा है कि,“बीजेपी सरकार के पिछले साढ़े आठ वर्षों में, नफरत की राजनीति ने खतरनाक रूप धारण कर लिया है और धार्मिक ध्रुवीकरण अपने चरम पर पहुंच गया है। घृणा अपराध और अत्याचार कई गुना बढ़ गए हैं। रक्षकों के रूप में दक्षिणपंथी समूह विभिन्न मुद्दों पर हिंसा भड़काते हैं।”

राज्यपाल पद के दुरुपयोग को रेखांकित करते हुए कांग्रेस ने मांग की है कि ऐसे राज्यपाल जो पद का दुरुपयोग करते हैं उन्हें सार्वजनिक तौर प उनके क्रियाकलापों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

पार्टी ने यह भी कहा है कि वह चुनाव सुधार लेकर आएगी। पार्टी ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड की मौजूदा प्रणाली घातक रूप से त्रुटिपूर्ण और पूरी तरह से भ्रष्ट है। कांग्रेस ने एक राष्ट्रीय चुनाव कोष स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है जिसमें हर कोई योगदान दे सकता है। चुनावों के दौरान, कानून के अनुसार राजनीतिक दलों को पारदर्शी तरीके से धन आवंटित किया जाएगा।

कांग्रेस ने प्रेस की स्वतंत्रता का मुद्दा उठाते हुए कहा है कि, “प्रधानमंत्री और सरकार भारत और विदेश दोनों में इलेक्ट्रॉनिक, सोशल, डिजिटल और प्रिंट मीडिया पर अपनी पकड़ बढ़ा रहे हैं। मीडिया की आजादी पर हमला हो रहा है। निडर होकर अपने मन की बात कहने वाले - पत्रकारों, एक्टिविस्ट, लेखकों को सताया जा रहा है और ख़ामोश किया जा रहा है, ख़ासकर जहां-जहां बीजेपी की‌ राज्य सरकारें हैं। कांग्रेस मीडिया के उत्पीड़न की निंदा करती है। कांग्रेस का दृढ़ विश्वास है कि मीडिया को स्वतंत्र और स्व-नियमित होना चाहिए। कानून और संवैधानिक माध्यम से प्रेस की स्वतंत्रता को मजबूत करने का संकल्प लेती है।“


डेटा संरक्षण का मुद्दा भी राजनीतिक प्रस्ताव में उठाया गया है। पार्टी ने कहा है कि बीजेपी सरकार नियमित रूप से अत्यधिक निगरानी करती है जिसमें संचार की व्यापक निगरानी शामिल है, न्यायिक निरीक्षण के बिना असमान रूप से मसौदा व्यक्तिगत डेटा संरक्षण कानून श्रीकृष्ण आयोग की रिपोर्ट की अवहेलना करता है। कांग्रेस का मानना है कि नागरिकों की सरकारी निगरानी को समाप्त करने के लिए एक मजबूत व्यक्तिगत डेटा संरक्षण कानून की तत्काल आवश्यकता है।

कांग्रेस ने आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के मुद्दे भी उठाए हैं। कांग्रेस ने कहा है कि पिछले कुछ वर्षों में कई घटनाओं से सामने आया है कि भारत सैन्य आधुनिकीकरण, व्यापार और सहायता सहित सभी मोर्चों पर अपने सुरक्षा एजेंडे में पिछड़ रहा है। भारत के लिए ठोस राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की कमी ने बीजेपी सरकार में कई मोर्चों पर सामंजस्य की कमी को उजागर किया है। कांग्रेस 2019 में प्रस्तुत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में सुधार करने और इसे लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।

इसके अलावा पार्टी ने भारत-चीन सीमा का मुद्दा भी प्रस्ताव में उठाया है। कांग्रेस ने कहा है कि आक्रामकता के सभी कृत्यों से मजबूती से निपटते हुए, कांग्रेस ने हमेशा ताकत और बातचीत दोनों के माध्यम से शांति में विश्वास किया है। उच्च स्तरीय जुड़ाव और सैन्य और सामरिक क्षमताओं को मजबूत करके यूपीए युग ने इस दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित किया। पार्टी के मुताबिक “हमारी सोच भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के प्रति हमारे दृष्टिकोण में भी देखी जा सकती है, जो बुनियादी ढांचे के निर्माण और सीमा पर शांति बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है। कांग्रेस ने 1962 में ITBP की स्थापना की, 1992 में इसे वैधानिक आधार दिया और 2004 में पूरी चीन सीमा को इसके हवाले कर दिया। इसके विपरीत, बीजेपी सरकार की सुस्ती और उपेक्षा ने भारत की भेद्यता को बढ़ा दिया है। भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव बना हुआ है, चीन पूर्वी लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में भारतीय क्षेत्र पर अपना दावा करता है। भले ही पूर्वी लद्दाख में एक लाख या अधिक सैनिक तैनात हैं, बीजिंग अपने रेल नेटवर्क को तेज कर रहा है और हमारी सीमाओं के लिए खतरा बढ़ा रहा है।

राजनीतिक प्रस्ताव के अलावा, कांग्रेस शनिवार को आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर दो और प्रस्तावों पर भी विचार-विमर्श करेगी और उन्हें अंतिम रूप देगी। वहीं रविवार को कृषि और किसान कल्याण, युवा और रोजगार और सामाजिक न्याय और अधिकारिता पर तीन अन्य प्रस्तावों को अंतिम रूप दिया जाएगा।

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