गायक जुबिन गर्ग का असम तके गुवाहाटी के बाहरी इलाके कमरकुची वन क्षेत्र में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
गर्ग की बहन पाल्मे बोरठाकुर और संगीतकार राहुल गौतम ने तोपों की सलामी के बीच चिता को अग्नि दी। राहुल गौतम, जुबिन के शिष्य हैं।
अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के दौरान पुजारियों के मार्गदर्शन में गर्ग की बहन और उनके शिष्य ने चिता की सात बार परिक्रमा की और इस दौरान वहां मौजूद सभी लोग खड़े हो गए।
जुबिन की पत्नी गरिमा सैकिया गर्ग अंतिम संस्कार स्थल में बने चबूतरे के किनारे बैठी थीं। पूरी रस्म के दौरान उनके आंसू नहीं रुके।
जैसे ही आग की लपटों उठी, ‘ज़ुबिन, ज़ुबिन' के नारे हवा में गूंजने लगे और लोग उनका गाना ‘मायाबिनी रातिर बुकु’ गाते नजर आए।
लोकप्रिय गायक को श्रद्धांजलि अर्पित किए जाने के बाद असम पुलिस ने उन्हें तोपों की सलामी दी और बिगुल बजाया।
गर्ग के पार्थिव शरीर को एक चबूतरे पर ले जाया गया और वैदिक मंत्रोच्चार और शंखनाद के बीच चिता पर रखा गया।
परिवार ने कुछ वैदिक अनुष्ठान किए और केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, किरेन रीजीजू और मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने चिता पर लकड़ियां रखीं।
गर्ग की चिता पर चंदन के उस पेड़ की एक शाखा भी रखी गई जिसे ज़ुबिन ने 2017 में अपने जन्मदिन पर लगाया था।
इससे पहले गर्ग के शव का गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दूसरी बार पोस्टमॉर्टम किया गया और इसके बाद उनका पार्थिव शरीर फिर से स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स लाया गया था, जहां हजारों की संख्या में लोगों ने अपने चहेते कलाकार को अंतिम श्रद्धांजलि दी।
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गर्ग के पार्थिव शरीर को कांच के ताबूत में रखा गया और पारंपरिक असमिया ‘गमोसा’ में लपेटकर फूलों से सजी एम्बुलेंस में ले जाया गया। वाहन के सामने गायक की एक बड़ी तस्वीर लगाई गई। गर्ग के 85 वर्षीय पिता और पत्नी गरिमा सैकिया अलग-अलग वाहनों में उनके पीछे-पीछे चल रहे थे।
हजारों प्रशंसक गायक के पार्थिव शरीर के साथ चल रहे थे। जुबिन का अंतिम संस्कार खेल परिसर से लगभग 20 किलोमीटर दूर कमरकुची एनसी गांव ले जाया गया जहां पत्नी और पिता सहित परिवार के सदस्यों ने दिवंगत गायक को अंतिम विदाई दी।
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बता दें कि जुबिन की सिंगापुर में एक हादसे में मौत हो गई थी। गायक का पार्थिव शरीर रविवार सुबह सिंगापुर से गुवाहाटी लाया गया। सिंगापुर में शुक्रवार को समुद्र में तैरते समय उनका निधन हो गया था। सबसे पहले उनके पार्थिव शरीर को काहिलीपाड़ा स्थित उनके निवास पर ले जाया गया, और इस दौरान हजारों लोग हवाई अड्डे से लेकर उनके घर तक के 25 किलोमीटर लंबे रास्ते पर कतार में खड़े रहे।
शनिवार शाम से ही भीड़ सरुसजई के ‘अर्जुन भोगेश्वर बरुआ स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स’ में जुटना शुरू हो गई थी और रविवार तक यह संख्या लाखों में पहुंच गई।
पीटीआई के इनपुट के साथ
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