अपराध

बिहार के मोकामा में गैंगवार, अनंत सिंह और सोनू-मोनू गैंग के बीच जमकर हुई गोलीबारी

जानकारी के अनुसार, यह गैंगवार वर्चस्व को लेकर हुआ है। पूर्व विधायक अनंत सिंह और सोनू-मोनू गैंग के बीच शुरुआती दौर से ही रिश्ते तनाव भरे रहे हैं, लेकिन अनंत सिंह के जेल से रिहा होने के बाद दोनों के बीच कुछ समय के लिए रिश्तों में सुधार भी हुआ था।

फोटो: IANS
फोटो: IANS 

बिहार के मोकामा के नौरंगा जलालपुर गांव में बुधवार को पूर्व विधायक अनंत सिंह और कुख्यात अपराधी सोनू-मोनू गैंग के बीच जबरदस्त गोलीबारी हुई। बताया जाता है कि यह गोलीबारी दोनों के बीच वर्चस्व को लेकर हुई और करीब 60-70 राउंड फायरिंग की गई। इस घटनाक्रम के बाद इलाके में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है और फायरिंग करने वालों की पहचान की जा रही है।

जानकारी के अनुसार, यह गैंगवार वर्चस्व को लेकर हुआ है। पूर्व विधायक अनंत सिंह और सोनू-मोनू गैंग के बीच शुरुआती दौर से ही रिश्ते तनाव भरे रहे हैं, लेकिन अनंत सिंह के जेल से रिहा होने के बाद दोनों के बीच कुछ समय के लिए रिश्तों में सुधार भी हुआ था।

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इस गैंगवार के पीछे का कारण अब तक पूरी तरह से सामने नहीं आ पाया है। पुलिस घटनास्थल पर जांच कर रही है और गोलीबारी करने वालों की पहचान की कोशिश की जा रही है।

बिहार विधानसभा चुनाव 2005 में जेडीयू के टिकट पर मोकामा से पहली बार विधायक बनकर अनंत सिंह ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की थी। इसके बाद, 2010 में भी वह जेडीयू के टिकट पर मोकामा से फिर से जीत दर्ज करने में सफल रहे। उनके और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच अच्छे रिश्ते भी रहे। लेकिन, 2015 में अचानक दोनों के रिश्ते बिगड़ गए और अनंत सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मोकामा विधानसभा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

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2015 में उनके पटना स्थित सरकारी मकान में छापेमारी के दौरान कई प्रतिबंधित सामग्रियां बरामद हुई थीं, जिसके बाद उनका नाम कई गंभीर आपराधिक मामलों में आया। इसके बावजूद, 2015 के चुनाव में अनंत सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े और जीत हासिल की। इसके बाद 2020 में भी उन्होंने आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ा, जबकि वह जेल में बंद थे। फिर भी जीत दर्ज की और मोकामा पर अपनी राजनीतिक पकड़ बनाए रखी।

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हालांकि, 2022 में अनंत सिंह को एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया और उनकी विधायकी चली गई। इसके बाद, उनकी पत्नी ने आरजेडी के टिकट पर उपचुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

 अनंत सिंह का राजनीतिक सफर विवादों और जेल की सजा से जुड़ा रहा है। उनका प्रभाव अब भी बिहार की राजनीति में कायम है और उनके खिलाफ कई गंभीर आरोप भी हैं।

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