अपराध

जब सिर्फ कुछ सेकेंड में गोलियों से छलनी कर दिया गया अतीक और अशरफ को, किसी पुलिस वाले ने नहीं निकाली अपनी बंदूक

माफिया अतीक और उसके भाई की सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई। उस समय पुलिस और मीडिया मौजूद था, तभी उन पर गोलियां चलीं। लेकिन इस दौरान किसी भी पुलिस वाले ने अपनी बंदूक नहीं निकाली।

वीडियो ग्रैब
वीडियो ग्रैब 

दिन - शनिवार

वक्त - रात के करीब 10.15 बजे

जगह - प्रयागराज का कॉल्विन अस्पताल

घटना - माफिया अतीक और उसका भाई अशरफ पुलिस जीप से उतरकर मीडिया से बात शुरु करता है। अतीक और अशरफ पहले सवाल का जवाब देना शुरु ही करते हैं कि अचानक एक ऑटोमैटिक पिस्तौल अतीक के सिर पर आता है और धायं...सीधे सिर में गोली लगती है, और वह नीचे गिरने लगता है। एक जंजीर से लगी हथकड़ी के कारण जैसे ही अशरफ मुड़ता है, तभी धांय, दूसरी गोली चलती है और अशरफ भी नीचे गिर जाता है।

अफरा-तफरी मच जाती है। साथ आए पुलिस वाले भाग खड़े होते हैं, सवाल पूछ रहे पत्रकार भी पीछे हट जाते हैं, और तीन युवक हाथों में ऑटोमैटिक पिस्तौल लिए जमीन पर गिरे अतीक और अशरफ पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरु कर देते हैं। दर्जनों गोलियां चलती हैं। कितनी दोनों के शरीर में पैबस्त हुई इसका पता पोस्टमार्टम के बाद चलेगा, लेकिन जब हमलावरों को भरोसा हो जाता है कि दोनों जिंदा नहीं बचे हैं तो वे अपने हथियार फेंककर हाथ ऊपर उठा लेते हैं।

तीनों कुछ धार्मिक नारा लगाते हैं और 'सरेंडर - सरेंडर' चिल्लाते हैं। इसके बाद तीनों को पुलिस दबोचती है और पुलिस जीप में डालकर मौके से तुरंत रवाना हो जाती है।

नीचे दिए वीडियो में देखिए कि किस तरह इस वारदात को अंजाम दिया गया। यह वीडियो न्यूज एजेंसी एएनआई ने जारी किया है।

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दरअसल अतीक अहमद को गुजरात के अहमदाबाद की साबरमती जेल से और उसके भाई अशरफ को यूपी के बरेली की सेंट्रल जेल से प्रयागराज लाया गया था। दोनों से उमेश पाल हत्याकांड समेत कई मामलों के सिलसिले में अदालत में पेशी कराई गई थी जिसके बाद अदालत ने दोनों को पुलिस रिमांड में भेज दिया था। अदालत का आदेश था कि दोनों का हर रोज यानी पुलिस हिरासत के दौरान हर 24 घंटे में मेडिकल जांच कराई जाए। इसी के लिए दोनों को पुलिस प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल लेकर आई थी। अदालत ने संभवत: यह आदेश इस नजरिए से दिया था ताकि सुनिश्चित हो सके कि पुलिस हिरासत में दोनों को यातना न दी जाए। एक तरह से देखें तो अदालत ने दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का जिम्मा पुलिस को सौंपा था।

लेकिन जिस पुलिस टीम पर इन दोनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी तो फायरिंग के दौरान वह पूरी टीम पीछे हट गई थी। इस टीम में शामिल कई पुलिस वालों के पास हथियार थे, जोकि मीडिया के कैमरों में कैद तस्वीरों और वीडियो में स्पष्ट नजर आ रहे हैं, लेकिन किसी भी पुलिस वाले ने अपने हथियार नहीं निकाले।

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इतना ही नहीं, जिस समय अतीक और अशरफ के जमीन पर गिरने के बाद हमलावर उन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा रहे थे, उस वक्त एक हमलावर के ठीक पीछे एक पुलिसवाला नजर आता है, जिसकी कमर में पिस्तौल भी दिख रहा है। लेकिन वह फायरिंग करते हमलावर को सिर्फ कमर से पकड़ने की कोशिश भर करता है। और जब हमलावर आश्वस्त हो गए कि जिन्हें वे मारना चाहते थे वे जिंदा नहीं रहे तो उन्होंने अपने हथियार जमीन पर फेंक कर हाथ उठा दिए, इसके बाद भी एक ही पुलिस वाला दो हमलावरों को कमर से पकड़कर खड़ा हो जाता है।

अब मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। यूपी पुलिस के डीजीपी समेत तमाम आला अफसर प्रयागराज पहुंच रहे हैं। साथ ही 17 पुलिस वालों को सस्पेंड भी कर दिया गया है। लेकिन तस्वीरों और वीडियो से जो मंजर सामने आया है उसने पुलिस पर बेहद गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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