
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को रेपो रेट में 25 आधार अंक या 0.25 प्रतिशत की कमी करने का ऐलान किया। रेपो रेट में कमी आ सीधा असर लोन की ब्याज दरों पर होता है और होम लोन से लेकर कार लोन तक सस्ते होते हैं।
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आरबीआई द्वारा बीते पांच वर्षों में पहली बार रेपो रेट को घटाया गया है। इससे पहले मई 2020 में रेपो रेट को घटाकर 4 प्रतिशत किया गया है।
रेपो रेट की समीक्षा के लिए 5 फरवरी से लेकर 7 फरवरी तक आरबीआई एमपीसी की बैठक हुई थी, जिसके निर्णय का ऐलान आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा द्वारा किया गया।
मल्होत्रा ने कहा कि एमपीसी के फैसलों का देश के सभी नागरिकों पर असर होगा। यह बिजनेस, अर्थशास्त्री और सभी पार्टी के लिए जरूरी है। साथ ही बताया कि महंगाई लक्ष्य के अनुरूप बनी हुई है और इसमें कमी आ सकती है।
रेपो रेपो में 0.25 प्रतिशत की कमी के बाद यह 6.25 प्रतिशत पर आ गई है, जो कि पहले 6.50 प्रतिशत थी।
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आरबीआई की ओर से बताया गया कि वित्त वर्ष 25 में खुदरा महंगाई दर 4.8 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है, जो कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 4.4 प्रतिशत रह सकती है। सामान्य मानसून के कारण खुदरा महंगाई वित्त वर्ष 26 में 4.2 प्रतिशत पर रह सकती है। अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में महंगाई 4.5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.2 प्रतिशत रह सकती है।
आरबीआई गवर्नर ने बताया कि वित्त वर्ष 25 में जीडीपी वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत पर रह सकती है। वहीं, वित्त वर्ष 26 में जीडीपी विकास दर 6.7 प्रतिशत रह सकती है। अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी विकास दर 6.7 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 6.5 प्रतिशत रह सकती है।
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