क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में उतार-चढ़ाव के बीच बिट्क्वाइन ने फिर से रफ्तार पकड़ी है। आज शनिवार को एक बिटक्वाइन की कीमत 40 हजार डॉलर पार कर गई है। आज शाम 4 बजे तक एक बिटक्वाइन की प्राइस 41635 डॉलर के आस-पास ट्रेड कर रही है। मार्केट वैल्यू के लिहाज से दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी में 10 फीसदी से ज्यादा की मजबूती देखी गई है। यह 15 अक्टूबर के बाद सबसे बड़ी उछाल है। यह दो सप्ताह से ज्यादा समय से 40,000 डॉलर से नीचे बनी हुई थी। वहीं ईथर में 11 फीसदी की मजबूती दर्ज की गई। सोलाना ब्लॉकचेन की नेटिव करेंसी में लगभग 10 फीसदी की मजबूती रही, जिसमें हाल में वॉर्महोल प्रोजेक्ट हैक के चलते भारी गिरावट आई थी। टॉप क्रिप्टोकरेंसीज में उछाल की एक वजह एमेजॉन इंक के मजबूत नतीजे रहे, जिससे टेक्नोलॉजी स्टॉक्स में इनवेस्टर्स का भरोसा बढ़ गया जो पिछले कई महीनों से डिजिटल टोकन को ट्रैक कर रहे हैं।
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फिनटेक प्रमुख पेटीएम लिमिटेड ने तीसरी तिमाही के नतीजे जारी किए हैं। 31 दिसंबर, 2021 में समाप्त हुई तीसरी तिमाही में समेकित शुद्ध घाटा बढ़कर 778 करोड़ रुपये हो गया है। कंपनी को सितंबर तिमाही में 482 करोड़ और एक साल पहले की अवधि में 532 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था। इस बीच कंपनी का राजस्व, समीक्षाधीन तिमाही के लिए 89 फीसदी बढ़कर 1,456 करोड़ रुपये हो गया। वही पिछले वर्ष की अवधि में यह राजस्व 772 करोड़ रुपये था। पेटीएम का स्टॉक शुक्रवार को समाप्त हुए कारोबारी सप्ताह में 0.89 फीसदी बढ़कर 952.90 रुपये पर बंद हुआ। पेटीएम के अनुसार, ऑनलाइन और ऑफलाइन मर्चेंट बेस में इजाफा, यूजर्स में वृद्धि और त्योहारी सीजन के कारण तीसरी तिमाही के दौरान सकल व्यापारिक मूल्य सालाना आधार पर 123 फीसदी बढ़कर 2।5 लाख करोड़ रुपये हो गया।
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देश के सबसे बड़े कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का वित्त वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही में एकल आधार पर शुद्ध लाभ 8,432 करोड़ रुपये दर्ज किया गया है। बैंक का शुद्ध लाभ वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 62.27 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में बैंक को 5,196 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था। इसके अलावा, 31 दिसंबर, 2021 को समाप्त तिमाही के दौरान ऋण देने वाले प्रमुख बैंक की शुद्ध ब्याज आय 6.48 प्रतिशत बढ़कर 30,687 करोड़ रुपये हो गई, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 28,820 करोड़ रुपये थी। एसबीआई ने शनिवार को शेयर बाजार को दी गई एक नियामकीय सूचना में कहा कि अक्टूबर-दिसंबर 2021 तिमाही का शुद्ध लाभ उसका अब तक का सर्वाधिक तिमाही लाभ है।
इसके अलावा, बैंक का सकल एनपीए अनुपात सालाना आधार पर 94 बीपीएस की गिरावट के साथ 4.50 प्रतिशत रहा। नेट एनपीए अनुपात 1.34 प्रतिशत रहा, जो कि 47 बीपीएस वर्ष-दर-वर्ष से नीचे रहा। कुल मिलाकर शुद्ध एनपीए में थोड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। बैंक ने कहा, असमायोजित आधार पर, सकल एनपीए अनुपात में सालाना आधार पर 27 बीपीएस की गिरावट आई है, जबकि शुद्ध एनपीए अनुपात में सालाना आधार पर 11 बीपीएस की वृद्धि हुई है। इसके अलावा, इसका प्रावधान कवरेज अनुपात (पीसीआर) वित्त वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही के अंत में 88.32 प्रतिशत रहा।
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देश के 46.6 प्रतिशत लोगों का कहना है कि बीते एक साल में उनके जीवन की गुणवत्ता घटी है। आईएएनएस-सीवोटर ने बजट के बाद इस संबंध में सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, 46.6 प्रतिशत ने कहा कि गत एक साल में उनके जीवन की गुणवत्ता में कमी आयी है, 25.5 प्रतिशत ने कहा कि गुणवत्ता में कोई बदलाव नहीं आया है जबकि 24.5 प्रतिशत ने कहा कि उनके जीवन की गुणवत्ता सुधरी है। सर्वेक्षण में बजट के कारण महंगाई में कमी आने के संबंध में पूछे गये सवाल पर 44.1 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इससे महंगाई में कोई कमी नहीं आयेगी, 26.7 प्रतिशत ने कहा कि चीजों के दाम में हल्की गिरावट आयेगी जबकि 22.6 प्रतिशत ने दामों में भारी गिरावट आने की बात की।
आईएएनएस-सीवोटर ने संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट पेश किये जाने के बाद बजट पर लोगों की प्रतिक्रिया जानने के लिए सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण के दौरान उनके कई सवाल पूछे गये। यह सर्वेक्षण देश के अलग-अलग हिस्सों में किया गया और करीब 1,200 लोगों से सवाल पूछे गये। मॉर्निगस्टार इनवेस्टमेंट एडवाइजर इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केंद्रीय बजट में आयकर में किसी प्रकार की छूट नहीं दी गयी जिससे कोरोना संकट के दौर में कम आय और बढ़ती महंगाई से जूझ रहे मध्यम वर्ग को कोई राहत नहीं मिली। बजट में निजी उपभोग क्षमता को बढ़ाये जाने के उपाय भी सीमित रहे। आयकर में राहत और मनरेगा के आवंटन में बढ़ोतरी से निजी उपभोग क्षमता पर तत्काल सकारात्मक प्रभाव पड़ता।
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केंद्रीय बजट में किये गये प्रावधानों से घरेलूू सौर उपकरण निर्माताओं को लाभ होने की उम्मीद है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सोलर मॉड्यूल निर्माण के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) के तहत अतिरिक्त वित्तीय आवंटन जैसे प्रावधानों से इस क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। रिपोर्ट के अनुसार, अपना सोलर पीवी मॉड्यूल स्थापित करने के लिए इच्छुक टाटा पावर, एलएंडटी, अडानी इंटरप्राइजेज और कोल इंडिया जैसी कंपनियों को इस प्रावधान से लाभ मिलने की उम्मीद है। घरेलू निर्माण क्षमता को वर्ष 2030 तक 280 गीगावाट के महत्वाकांक्षी लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए पीएलआई योजना के तहत 19,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन किया गया है।
इसके अलावा सोलर बैट्री पर लगने वाली सेफगार्ड ड्यूटी को हटाकर उसकी जगह सीमाशुल्क को 20 से 25 प्रतिशत करने तथा सोलर मॉड्यूल पर सीमाशुल्क को 20 से 40 प्रतिशत करने से घरेलू सौर उपकरण निर्माताओं को लाभ होने होने की उम्मीद है। इससे घरेलू सौर बैट्री और मॉड्यूल निर्माता आयातित सामानों के प्रतिस्पर्धी कीमत पर कारोबार कर सकेंगे। इससे टाटा पावर, अडानी इंटरप्राइजेज, एलएंडटी तथा कोल इंडिया आदि घरेलू सौर बैट्री एवं मॉड्यूल निर्माता कंपनियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा, ग्रीन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए संसाधन जुटाने के लिए ग्रीन बांड जारी करने का प्रस्ताव भी क्षेत्र को मदद देगा। इसके साथ ही बजट में ग्रिड स्केल बैटरी सिस्टम समेत ऊर्जा भंडारण प्रणाली को बुनियादी ढांचे का दर्जा देने के प्रस्ताव पेश किया गया है।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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