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अर्थतंत्र की खबरें: अमेरिका को सताने लगा मंदी का डर और शेयर बाजार में तीन दिनों की तेजी थमी

टैरिफ कम करने के लिए अमेरिका का भारत के साथ बातचीत के टेबल पर आना संयोग नहीं, बल्कि यह हमारी बढ़ती आर्थिक ताकत और मजबूत स्थिति का परिणाम है और अमेरिका को मंदी का डर भी सता रहा है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता शुरू हो चुकी है। इस बीच देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने हाल ही में कहा कि अमेरिका जल्दी ही भारत पर टैरिफ को घटाकर 10-15 प्रतिशत के बीच कर सकता है, जो कि फिलहाल 50 प्रतिशत है।

टैरिफ कम करने के लिए अमेरिका का भारत के साथ बातचीत के टेबल पर आना संयोग नहीं, बल्कि यह हमारी बढ़ती आर्थिक ताकत और मजबूत स्थिति का परिणाम है और अमेरिका को मंदी का डर भी सता रहा है।

इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) के मुताबिक, भारत की अर्थव्यवस्था 2025 में 6.2 प्रतिशत और 2026 में 6.3 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जबकि इस दौरान वैश्विक विकास दर क्रमश: 3 प्रतिशत और 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

इस विकास दर के साथ भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा। भारत ऐसे समय पर तेजी से विकास कर रहा है, जब दुनिया टैरिफ और अनिश्चितता से जूझ रही है।

रेटिंग एजेंसी फिच के मुताबिक, 2025 में अमेरिका की अर्थव्यवस्था की विकास दर कम होकर 1.6 प्रतिशत रह सकती है, जो कि 2024 में 2.8 प्रतिशत थी।

एक तरफ भारत अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर आगे बढ़ रहा है। दूसरी तरफ दुनिया के लिए एक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में भी तेजी से विकसित हो रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि भारत वैश्विक स्तर पर चीन के एक मजबूत विकल्प के रूप में सामने आया है, जहां दुनियाभर के कई दिग्गज कारोबारी समूहों ने भी निवेश किया है।

भारत-अमेरिका ट्रेड डील को लेकर बातचीत मंगलवार को शुरू हो चुकी है। अमेरिकी ट्रेड प्रतिनिधि मंडल नई दिल्ली में बातचीत के लिए आया हुआ है। क्रय शक्ति समता (पीपीपी) में भारत 2038 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।

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शेयर बाजार में तीन दिनों की तेजी थमी, सेंसेक्स 387 अंक टूटा, निफ्टी भी नुकसान में

प्रमुख कंपनियों एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक में मुनाफावसूली होने के कारण स्थानीय शेयर बाजार में तीन दिनों से चली आ रही तेजी शुक्रवार को थम गई। सेंसेक्स 387 अंक टूट गया जबकि निफ्टी में 96 अंक की गिरावट रही।

बीएसई का 30 शेयरों वाला मानक सूचकांक सेंसेक्स 387.73 अंक यानी 0.47 प्रतिशत की गिरावट के साथ 82,626.23 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 528.04 अंक गिरकर 82,485.92 अंक पर आ गया था।

एनएसई का 50 शेयरों वाला सूचकांक निफ्टी 96.55 अंक यानी 0.38 प्रतिशत गिरकर 25,327.05 अंक पर आ गया।

सेंसेक्स के समूह में शामिल कंपनियों में से एचसीएल टेक, आईसीआईसीआई बैंक, टाइटन, ट्रेंट, कोटक महिंद्रा बैंक, हिंदुस्तान यूनिलीवर, महिंद्रा एंड महिंद्रा और एचडीएफसी बैंक में सबसे अधिक गिरावट रही।

दूसरी तरफ, अदाणी पोर्ट्स, भारती एयरटेल, एसबीआई, एनटीपीसी और सन फार्मा के शेयर लाभ में रहे।

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डॉलर के मुकाबले रुपया नौ पैसे बढ़कर 88.11 पर

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया नौ पैसे मजबूत होकर 88.11 (अस्थायी) पर बंद हुआ। अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता को लेकर उम्मीद बंधने के चलते रुपये में तेजी आई।

विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के संभावित हस्तक्षेप से भी घरेलू मुद्रा को अस्थिरता को नियंत्रित करने और तेज मूल्यह्रास को रोकने में मदद मिली।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में, रुपया 88.22 पर खुला। कारोबार के दौरान 88.34 के निचले स्तर और 88.06 के उच्च स्तर तक गया। अंत में, घरेलू मुद्रा 88.11 (अस्थायी) पर बंद हुई, जो पिछले बंद भाव से नौ पैसे अधिक है। डॉलर के मुकाबले रुपया 35 पैसे टूटकर 88.20 पर बंद हुआ था।

मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन द्वारा कुछ आयातों पर लगाए गए दंडात्मक शुल्क को 30 नवंबर के बाद वापस लिए जाने की उम्मीद जताये जाने के बाद अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता को लेकर उम्मीद बढ़ी है।

नागेश्वरन ने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अमेरिका के साथ शुल्क संबंधी मुद्दों का समाधान अगले आठ से दस हफ्तों में निकल आएगा।

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जीएसटी दरों में कटौती से सरकार पर नहीं पड़ेगा खास राजकोषीय बोझः क्रिसिल

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने शुक्रवार को कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में हाल ही में किए गए बदलाव से सरकार पर कोई खास राजकोषीय बोझ नहीं पड़ेगा।

रेटिंग एजेंसी की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने दर कटौती की वजह से अल्पावधि में सालाना करीब 48,000 करोड़ रुपये के शुद्ध नुकसान का अनुमान लगाया है, जबकि वित्त वर्ष 2024-25 में कुल जीएसटी संग्रह 10.6 लाख करोड़ रुपये रहा था।

रिपोर्ट कहती है कि कुल जीएसटी संग्रह के अनुपात में यह राजस्व नुकसान बहुत अधिक नहीं है।

जीएसटी परिषद ने हाल ही में कर दरों को तर्कसंगत बनाते हुए पांच और 18 प्रतिशत के दो स्लैब में रखने का फैसला किया है। यह संशोधन 22 सितंबर से प्रभावी होने वाला है जिससे कई उत्पादों और सेवाओं की कीमतों में कमी आएगी।

क्रिसिल ने कहा कि दरों को तर्कसंगत बनाने से अधिक वस्तुएं और सेवाएं औपचारिक कर दायरे में आ सकेंगी, जिससे मध्यम अवधि में कर वसूली में मजबूती मिलेगी।

पहले 70-75 प्रतिशत जीएसटी राजस्व 18 प्रतिशत स्लैब से आता था, जबकि 12 प्रतिशत स्लैब से केवल पांच-छह प्रतिशत और 28 प्रतिशत स्लैब से 13-15 प्रतिशत राजस्व मिलता था।

रिपोर्ट के मुताबिक, 12 प्रतिशत स्लैब में शामिल वस्तुओं पर कर घटाने से राजस्व को कोई खास नुकसान नहीं होगा। वहीं, मोबाइल शुल्क जैसी तेजी से बढ़ती सेवाओं पर दरें पहले की ही तरह हैं।

वहीं, ई-कॉमर्स डिलीवरी जैसी नई सेवाओं को जीएसटी दायरे में शामिल कर 18 प्रतिशत की दर से कर लगाया गया है।

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