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अर्थतंत्र की खबरें: रुपया पहली बार 90 के नीचे गिरा और सोने की चमक बढ़ी, चांदी ऑल-टाइम हाई पर

भारतीय करेंसी रुपया में बुधवार के कारोबारी दिन तेज गिरावट दर्ज की गई और पहली बार घरेलू करेंसी डॉलर के मुकाबले 90 के पार अपने निचले स्तर पर आ गई।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया  

विदेशी पूंजी की लगातार निकासी और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के बीच रुपया बुधवार को पहली बार 90 प्रति डॉलर के नीचे चला गया। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 25 पैसे टूटकर 90.21 प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ जो इसका अब तक का सबसे निचला स्तर है।

विदेशी मुद्रा कारोबारियों के मुताबिक, भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर अनिश्चितता कायम रहने और डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट थामने के लिए रिजर्व बैंक के आगे न आने से स्थानीय मुद्रा रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई।

अंतरबैंक विदेशी मद्रा विनिमय बाजार में रुपये ने कारोबार की शुरुआत 89.96 के स्तर पर की। कारोबार के दौरान यह फिसलकर रिकॉर्ड निचले स्तर 90.30 प्रति डॉलर तक आ गया। कारोबार के अंत में रुपया 90.21 प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ जो पिछले कारोबारी सत्र के मुकाबले 25 पैसे कम है।

मंगलवार को भी रुपये में 43 पैसे की कमजोरी आई थी और वह 89.96 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ था।

विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मंगलवार को 3,642 करोड़ रुपये की बिकवाली की।

मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, “रुपया 90.30 के नए निचले स्तर पर पहुंच गया, क्योंकि एफआईआई लगातार बिकवाली कर रहे हैं और कच्चे तेल की कीमतों में मजबूती है। भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की घोषणा को लेकर अनिश्चितता ने भी रुपये को कमजोर किया। हालांकि, कमजोर अमेरिकी डॉलर सूचकांक ने गिरावट को सीमित रखने में मदद की।”

उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में रुपये में हल्का नकारात्मक रुख रह सकता है, लेकिन दिसंबर में अमेरिकी फेडरल रिजर्व की संभावित दर कटौती और कमजोर डॉलर से इसे कुछ समर्थन मिल सकता है। चौधरी ने कहा कि डॉलर-रुपये का हाजिर भाव 89.80 से 90.50 के बीच रहने की संभावना है।

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स के ट्रेजरी प्रमुख अनिल कुमार भंसाली ने कहा, “आरबीआई ने रुपये को आसानी से 90 के पार जाने दिया और यह 90.30 तक गिर गया। उसके बाद ही केंद्रीय बैंक ने मुद्रा बाजार में दखल दिया।”

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सोने की चमक बढ़ी, चांदी ऑल-टाइम हाई पर

सोने और चांदी की कीमतों में बुधवार को उछाल देखा गया। इससे सोने की कीमत 1.28 लाख रुपए प्रति 10 ग्राम और चांदी का दाम 1.78 लाख रुपए प्रति किलो के पार पहुंच गया है।

इंडिया बुलियन ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के मुताबिक, 24 कैरेट के 10 ग्राम सोने की कीमत 621 रुपए बढ़कर 1,28,214 रुपए हो गई है, जो कि पहले 1,27,593 रुपए प्रति 10 ग्राम थी।

इसी तरह, 22 कैरेट सोने की कीमत बढ़कर 1,17,444 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गई है, जो कि पहले 1,16,875 रुपए प्रति 10 ग्राम थी। 18 कैरेट सोने का दाम 95,695 रुपए प्रति 10 ग्राम से बढ़कर 96,161 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गया है।

सोने की अपेक्षा चांदी की कीमतों में तेज उछाल देखा गया है। बीते 24 घंटे में चांदी का दाम 3,540 रुपए बढ़कर ऑल-टाइम हाई 1,78,190 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया है, जो कि पहले 1,74,650 रुपए प्रति किलो था।

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सोने के 05 फरवरी 2026 के कॉन्ट्रैक्ट का दाम 0.60 प्रतिशत बढ़कर 1,30,543 रुपए हो गया है। चांदी के 05 मार्च 2026 के कॉन्ट्रैक्ट का दाम 0.91 प्रतिशत बढ़कर 1,83,250 रुपए हो गया है।

एलकेपी सिक्योरिटीज के जतिन त्रिवेदी ने कहा कि एमसीएक्स पर सोने में 500 रुपए की बढ़त देखी गई है। इसकी वजह रुपए का 90 के पार जाना और भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर अनिश्चितता होना है। कॉमेक्स पर सोना 4,200 डॉलर प्रति औंस के आसपास बना हुआ है।

उन्होंने आगे कहा कि रुपया फिलहाल ओवरबॉट जोन में है और इसका सपोर्ट लेवल 1,27,000 रुपए के करीब है।

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी सोने और चांदी में तेजी देखी जा रही है। सोना 0.49 प्रतिशत की तेजी के साथ 4,241 डॉलर प्रति औंस और चांदी 0.67 प्रतिशत की मजबूती के साथ 59 डॉलर प्रति औंस के आसपास है।

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आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक शुरू, दर कटौती पर होगा फैसला

मौद्रिक नीति तय करने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन-दिवसीय बैठक बुधवार को शुरू हो गई। इस बैठक में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती की संभावना जताई जा रही है लेकिन कुछ विशेषज्ञ यथास्थिति कायम रहने की भी उम्मीद जता रहे हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली छह-सदस्यीय एमपीसी का फैसला शुक्रवार को घोषित किया जाएगा।

यह द्विमासिक समीक्षा बैठक खुदरा मुद्रास्फीति में लगातार नरमी, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में उच्च वृद्धि दर, डॉलर के मुकाबले रुपये का भाव 90 के पार चले जाने और वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव के बीच हो रही है।

आरबीआई ने इस साल फरवरी से जून के दौरान तीन किस्तों में रेपो दर में कुल एक प्रतिशत अंक की कटौती की थी। हालांकि, उसके बाद अगस्त एवं अक्टूबर की बैठकों में रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया।

क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा, “अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति में पर्याप्त गिरावट ने इस बैठक में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती की गुंजाइश पैदा की है।”

आरबीआई गवर्नर ने भी पिछले महीने कहा था कि नीतिगत ब्याज दरों में और कटौती की संभावना बनी हुई है।

खुदरा मुद्रास्फीति पिछले दो महीनों से सरकार द्वारा निर्धारित दो-छह प्रतिशत के दायरे के निचले स्तर पर बनी हुई है। इस बीच भारतीय अर्थव्यवस्था ने जुलाई-सितंबर तिमाही में 8.2 प्रतिशत की उच्च वृद्धि दर भी दर्ज की है।

इस पृष्ठभूमि में कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि आरबीआई अर्थव्यवस्था की मजबूत वृद्धि और वैश्विक अनिश्चितताओं को देखते हुए मौजूदा दरों को ही कायम रख सकता है।

बैंक ऑफ बड़ौदा की अर्थशास्त्री अदिति गुप्ता ने कहा कि एमपीसी रेपो दर को संभवतः 5.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखेगी और तटस्थ रुख बनाए रखेगी।

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विदेशी पूंजी की निकासी से घरेलू बाजारों में लगातार चौथे दिन गिरावट, सेंसेक्स 31 अंक टूटा

स्थानीय शेयर बाजारों में बुधवार को लगातार चौथे कारोबारी सत्र में गिरावट जारी रही और दोनों मानक सूचकांक मामूली नुकसान के साथ बंद हुए। सीमित कारोबार में बीएसई सेंसेक्स 31 अंक नीचे आया जबकि एनएसई निफ्टी में 46 अंक की गिरावट आई।

तीस शेयर पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 31.46 अंक यानी 0.04 प्रतिशत की गिरावट के साथ 85,106.81 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान यह 374.63 अंक तक नीचे आ गया था।

इसी प्रकार 50 शेयर वाला एनएसई निफ्टी 46.20 अंक यानी 0.18 प्रतिशत फिसलकर 25,986 अंक पर आ गया।

सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, टाइटन, एनटीपीसी, भारतीय स्टेट बैंक, अदाणी पोर्ट्स, टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स और बजाज फिनसर्व के शेयर सबसे अधिक नुकसान में रहे।

दूसरी ओर लाभ में रहने वाले शेयर में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, आईसीआईसीआई बैंक, इन्फोसिस और एचडीएफसी बैंक शामिल हैं।

ऑनलाइन ट्रेडिंग एवं संपत्ति प्रौद्योगिकी कंपनी एनरिच मनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) पोनमुडी आर. ने कहा, ‘‘ भारतीय रुपये के अमेरिकी डॉलर के मुकाबले नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने के कारण शेयर बाजार गिरावट के साथ बंद हुए। इससे विदेशी संस्थागत निवेशकों ने मुनाफावसूली शुरू कर दी जबकि मुद्रा की कमजोरी ने उनके डॉलर-समायोजित ‘रिटर्न’ पर असर डाला।’’ बीएसई मिडकैप में 0.95 प्रतिशत और स्मॉलकैप 0.43 प्रतिशत की गिरावट आई।

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ईरान की मुद्रा फिसलकर 12 लाख प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आई

परमाणु प्रतिबंधों के दबाव से बदहाल ईरान की मुद्रा रियाल बुधवार को बड़ी गिरावट के साथ 12 लाख प्रति अमेरिकी डॉलर के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई।

विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रियाल की नई विनिमय दर मंगलवार को ही पेश की थी, जो अब मुद्रा बाजार में लागू हो गया है।

ईरानी मुद्रा में इस तेज गिरावट के कारण खाद्य पदार्थों और दैनिक जरूरतों की कीमतों पर दबाव बढ़ गया है। देश में मांस, चावल और अन्य जरूरी खाद्य वस्तुओं के दाम लगातार बढ़ने से आम नागरिकों के लिए रोजमर्रा की जिंदगी और मुश्किल होती जा रही है।

ईरान पर लगे अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय परमाणु प्रतिबंधों ने उसकी अर्थव्यवस्था की हालत खराब कर दी है। इन प्रतिबंधों के चलते ईरान से होने वाले तेल निर्यात पर भी असर पड़ा है, जो ईरान की आय का प्रमुख स्रोत रहा है।

इस बीच, ईरान और इजराइल के बीच फिर से संघर्ष भड़कने को लेकर लोग आशंकित हैं। ईरानी नागरिकों को लगता है कि अगर संघर्ष फिर छिड़ता है तो इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था, आपूर्ति शृंखला और आम जीवन पर पड़ेगा।

पिछले जून में दोनों देशों के बीच 12 दिन तक भीषण संघर्ष हुआ था। अमेरिकी हस्तक्षेप के बाद इस पर लगाम लगी थी लेकिन अब भी तनाव बना हुआ है।

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