
सप्ताह के पहले कारोबारी दिन सोमवार को घरेलू स्तर पर मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर मार्च डिलीवरी वाली चांदी ने एक और रिकॉर्ड बना लिया है। चांदी के दाम 4 प्रतिशत से ज्यादा की उछाल के साथ 2,54,174 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच गए, जो अब तक का सबसे उच्चतम स्तर है। वहीं सोने की कीमतों में मामूली गिरावट देखने को मिली।
खबर लिखे जाने तक (सुबह 10:47 बजे) मार्च डिलीवरी वाली चांदी 3.72 प्रतिशत यानी 8,931 रुपए की तेजी के साथ 2,48,718 रुपए प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रही थी। तो वहीं फरवरी डिलीवरी वाला सोना 24 रुपए यानी 0.02 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 1,39,849 रुपए प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड कर रहा था।
हालांकि वैश्विक बाजार में चांदी की कीमतों में तेज गिरावट देखी गई। इससे पहले चांदी ने स्पॉट मार्केट में 84 डॉलर प्रति औंस से ऊपर का नया रिकॉर्ड बनाया था।
रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद निवेशकों ने मुनाफा कमाने के लिए बिकवाली की, जिससे चांदी अपने ऊंचे स्तर से करीब 8 प्रतिशत तक गिर गई। इस गिरावट के चलते चांदी में लगातार सातवें दिन बढ़त दर्ज करने का सिलसिला टूट गया।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी के फ्यूचर्स रेट शुरुआती कारोबार में 82.67 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचे, जो एक दिन में 7 प्रतिशत की तेजी थी। इससे पहले शुक्रवार को इसमें 11 प्रतिशत की बड़ी तेजी आई थी, जो 2008 के बाद एक दिन की सबसे बड़ी बढ़त थी।
इन ऊंची कीमतों पर चांदी की तेजी अक्टूबर में आई सप्लाई की कमी से भी ज्यादा तेज मानी जा रही है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि छुट्टियों के कारण बाजार में कम खरीद-बिक्री हुई, जिससे कीमतों में ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को मिला। बाजार में चांदी की उपलब्धता कम है और पैसा जल्दी बाहर निकल सकता है, जिससे कीमतों में तेजी बनी हुई है।
एक्सपर्ट्स ने यह भी बताया कि सोने की तरह चांदी के पास कोई बड़ा भंडार नहीं है। लंदन गोल्ड मार्केट में करीब 700 अरब डॉलर का सोना मौजूद है, जिसे जरूरत पड़ने पर बाजार में इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन चांदी के साथ ऐसा नहीं है।
2025 में अब तक चांदी की कीमतों में करीब 180 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है। इस साल के अभी तीन कारोबारी दिन बाकी हैं और अगर यही रफ्तार रही, तो यह 1979 के बाद चांदी का सबसे अच्छा साल साबित हो सकता है, जब कीमतें 200 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ी थीं।
मेहता इक्विटीज लिमिटेड के कमोडिटीज उपाध्यक्ष राहुल कलंत्री ने कहा कि डॉलर इंडेक्स में कमजोरी, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद और दुनिया में बढ़ते तनाव से चांदी की कीमतों को सहारा मिला है। डॉलर इंडेक्स लगातार पांचवें हफ्ते गिरा है।
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका और वेनेजुएला के बीच नए तनाव से निवेशक सुरक्षित निवेश के रूप में कीमती धातुओं (सोने और चांदी) की ओर रुख कर रहे हैं।
चीन द्वारा जनवरी 2026 से चांदी के निर्यात पर रोक लगाने के प्रस्ताव से भी कीमतों में तेजी आई है। दुनिया में अनिश्चितता के कारण लोग कीमती धातुओं में निवेश कर रहे हैं।
एक्सपर्ट के अनुसार, चांदी को 2,38,810 से 2,37,170 रुपए के स्तर पर सपोर्ट मिल सकता है, जबकि ऊपर की ओर 2,41,810 से 2,43,470 रुपए का स्तर रेजिस्टेंस के रूप में काम कर सकता है।
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टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने चांदी में जारी एकतरफा तेजी पर चिंता जताई है और कहा है कि इसका कई इंडस्ट्रियल प्रोसेस में उपयोग हो रहा है।
मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर चांदी की कीमतों में तेजी पर कहा, "यह सही नहीं है। चांदी का कई इंडस्ट्रियल प्रोसेस में उपयोग होता है।"
चांदी में तेजी ने पूरी इंडस्ट्री को चिंता में डाल दिया है, क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों से लेकर सोलर और कई अन्य उत्पादों जैसे ईवी आदि में बड़ी मात्रा में चांदी का उपयोग हो रहा है।
सोशल मीडिया पर एक यूजर ने लिखा, "मैंने आप सभी को चेतावनी देने की कोशिश की थी। आप जानते हैं कि यह बुरा है जब एलन मस्क चांदी की कीमत के बहुत अधिक बढ़ने को लेकर चिंतित हैं।"
चांदी में बड़े स्तर पर तेजी देखने को मिल रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चांदी का भाव 75 डॉलर प्रति औंस पर है।
घरेलू बाजार में भी चांदी की कीमतें उच्चतम स्तर पर बनी हुई है और एमसीएक्स पर इंट्राडे में 2,54,174 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गई थी।
एनालिस्ट्स ने बताया कि निवेश मांग, सप्लाई में कमी और बढ़ती इंडस्ट्रियल मांग की वजह से चांदी की तेजी ने सोने और बड़े स्टॉक्स सहित ज्यादातर एसेट्स को पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने बताया कि चांदी के पास सोने की तरह बड़े रिजर्व नहीं हैं।
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खनन और विनिर्माण क्षेत्रों के मजबूत प्रदर्शन से नवंबर महीने में देश के औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि दर दो साल के उच्च स्तर 6.7 प्रतिशत पर पहुंच गयी। यह जानकारी सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में दी गई।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के मुताबिक, औद्योगिक उत्पादन को मापने वाला औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) नवंबर, 2024 में पांच प्रतिशत बढ़ा था। इससे पहले औद्योगिक उत्पादन का उच्च स्तर नवंबर, 2023 में 11.9 प्रतिशत दर्ज किया गया था।
इसके साथ एनएसओ ने अक्टूबर 2025 के लिए औद्योगिक उत्पादन वृद्धि के आंकड़े को भी संशोधित किया है। अक्टूबर के लिए आईआईपी वृद्धि को बढ़ाकर 0.5 प्रतिशत कर दिया गया है जबकि पिछले महीने जारी अस्थायी अनुमान 0.4 प्रतिशत का था।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर 2025 में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन आठ प्रतिशत बढ़ा, जो एक साल पहले इसी महीने में 5.5 प्रतिशत की वृद्धि पर था।
खनन क्षेत्र का उत्पादन भी नवंबर में 5.4 प्रतिशत बढ़ा जबकि नवंबर 2024 में यह वृद्धि 1.9 प्रतिशत रही थी।
हालांकि, बिजली उत्पादन का प्रदर्शन पिछले महीने कमजोर रहा। नवंबर में बिजली उत्पादन में 1.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में इसमें 4.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
नवंबर महीने के आईआईपी आंकड़ों में सुधार से संकेत मिलता है कि औद्योगिक गतिविधियों में खासकर विनिर्माण और खनन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में रफ्तार की वापसी हो रही है।
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तेल और गैस और आईटी शेयरों में बिकवाली, विदेशी पूंजी की निकासी और साल के अंत में कमजोर कारोबार होने से सोमवार को घरेलू शेयर बाजार गिरावट के साथ बंद हुए। सेंसेक्स 346 अंक के नुकसान में रहा जबकि निफ्टी एक बार फिर 26,000 के स्तर के नीचे आ गया।
बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित मानक सूचकांक सेंसेक्स लगातार चौथे कारोबारी सत्र में गिरावट दर्ज करते हुए 345.91 अंक यानी 0.41 प्रतिशत टूटकर 84,695.54 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान सेंसेक्स एक समय 403.59 अंक गिरकर 84,637.86 अंक तक आ गया था।
वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों वाला मानक सूचकांक निफ्टी तीसरे दिन भी नुकसान में रहा और 100.20 अंक यानी 0.38 प्रतिशत फिसलकर 25,942.10 अंक पर बंद हुआ।
सेंसेक्स के समूह में शामिल कंपनियों में से अदाणी पोर्ट्स, एचसीएल टेक, पावर ग्रिड, ट्रेंट, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और भारती एयरटेल प्रमुख रूप से नुकसान में रहीं।
इसके विपरीत, टाटा स्टील, एशियन पेंट्स, हिंदुस्तान यूनिलीवर और इटर्नल के शेयरों में बढ़त दर्ज की गई।
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल बाजार में तेजी के लिए किसी ठोस संकेत का अभाव है।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, “बाजार में आगे तेजी के लिए फिलहाल मजबूत कारण नहीं दिख रहे हैं। अधिकतर निवेशक छुट्टियों के मूड में हैं, जिससे निकट अवधि में बाजार के एक दायरे में ही रहने के संकेत मिलते हैं।”
रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) अजीत मिश्रा ने कहा कि बाजार की धारणा वैश्विक संकेतों और चुनिंदा शेयरों से जुड़ी खबरों से प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा, “किसी बड़े उत्प्रेरक के अभाव में कारोबारी सौदे में नरमी बनी हुई है और निवेशक व्यापक दांव लगाने के बजाय चयनात्मक निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं।”
एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी सूचकांक दो प्रतिशत से अधिक चढ़ गया। चीन का शंघाई कंपोजिट मामूली बढ़त के साथ बंद हुआ जबकि जापान का निक्की 225 और हांगकांग का हैंगसेंग नुकसान में रहे।
यूरोप के प्रमुख बाजारों में अधिकतर में दोपहर कारोबार में गिरावट का रुख था। अमेरिकी बाजार शुक्रवार को लगभग स्थिर बंद हुए थे।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शुक्रवार को 317.56 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 1,772.56 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
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विदेशी पूंजी की निकासी और घरेलू शेयर बाजारों में नकारात्मक रुख के बीच रुपया सोमवार को आठ पैसे टूटकर 89.98 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि विदेशी निवेशकों की ओर से निरंतर पूंजी निकासी और आयातकों की डॉलर की बढ़ती मांग ने निवेशकों के विश्वास को कमजोर किया है।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया, डॉलर के मुकाबले 89.95 पर खुला। कारोबार के दौरान यह 89.99 प्रति डॉलर के निचले और 89.88 प्रति डॉलर के उच्च स्तर तक पहुंचा। कारोबार के अंत में 89.98 (अस्थायी) प्रति डॉलर बंद हुआ जो पिछले बंद भाव से आठ पैसे की गिरावट है। रुपया शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 89.90 पर बंद हुआ था।
मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, ‘‘ कारोबारियों की निगाह इस सप्ताह अमेरिका से आने वाले फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक के विवरण और मुख्य पीसीई (व्यक्तिगत उपभोग व्यय) मूल्य सूचकांक के आंकड़ों पर रहेगी। डॉलर के मुकाबले रुपये (यूएसडीआईएनआर) का हाजिर मूल्य 89.60 से 90.20 के दायरे में रहने का अनुमान है।’’
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये कई कारणों से दबाव में है। इसमें जोखिम से बचने की प्रवृत्ति में बदलाव भी शामिल है। यह छुट्टियों से पहले विदेशी निवेशकों की लगातार पूंजी निकासी का नतीजा है। साथ ही आयातकों से डॉलर की बढ़ी हुई मांग भी शामिल है।
इस बीच, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत और अमेरिका एक निष्पक्ष, संतुलित एवं पारस्परिक रूप से लाभकारी द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहे हैं।
वहीं छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.02 प्रतिशत की बढ़त के साथ 98.03 पर रहा।
घरेलू शेयर बाजार के मोर्चे पर सेंसेक्स 345.91 अंक टूटकर 84,695.54 अंक पर जबकि निफ्टी 100.20 अंक फिसलकर 25,942.10 अंक पर बंद हुआ।
अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 1.48 प्रतिशत की बढ़त के साथ 61.54 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) शुक्रवार को बिकवाल रहे थे और उन्होंने शुद्ध रूप से 317.56 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
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