केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (सीटीयू) और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के सदस्य केंद्र सरकार की नीतिगत रूपरेखा के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान चलाएंगे। एक संयुक्त बयान में, सीटीयू और एसकेएम ने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियां ‘‘अधिक प्रतिशोधी और दमनकारी होती जा रही हैं।’’
इसमें कहा गया है कि सीटीयू और एसकेएम के अपने-अपने मांगपत्र और साझा मुद्दों पर एक महीने से अधिक समय तक व्यापक अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है, जिसका समापन 26 नवंबर, 2025 को सभी जिलों और राज्य मुख्यालयों में श्रमिकों और किसानों की व्यापक विकेन्द्रीकृत लामबंदी के रूप में होगा।
बयान में कहा गया, ‘‘18 अक्टूबर, 2025 को एक संयुक्त बैठक में इस बात पर गौर किया गया कि धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र की रक्षा के लिए जनता के बीच अभियान चलाना तथा केंद्र सरकार की कॉरपोरेट समर्थक, मजदूर विरोधी, किसान विरोधी और राष्ट्र विरोधी दमनकारी नीतिगत ढांचे से लड़ना सबसे जरूरी काम है।’’
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सोने और चांदी की कीमतों में गुरुवार को फिर एक बार गिरावट देखी गई, जिससे सोना 500 रुपए प्रति 10 ग्राम से अधिक और चांदी की कीमतें 1,000 रुपए प्रति किलो से अधिक कम हो गई हैं।
इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के मुताबिक, 24 कैरेट के 10 ग्राम सोने की कीमत घटकर 1,23,354 रुपए हो गई है। इससे पहले सोने की कीमत 1,23,907 रुपए प्रति 10 ग्राम थी, जो सोने की कीमतों में 553 रुपए की कमी को दर्शाता है।
22 कैरेट के 10 ग्राम सोने की कीमत कम होकर 1,12,992 रुपए हो गई है, जो कि इससे पहले 1,13,499 रुपए प्रति 10 ग्राम दर्ज की गई थी। वहीं, 18 कैरेट के 10 ग्राम सोने का दाम कम होकर 92,516 रुपए हो गया है, जो कि पहले 92,930 रुपए प्रति 10 ग्राम था। सोने के साथ चांदी की कीमतों में भी गिरावट देखी गई है।
चांदी की कीमत 1,051 रुपए घटकर 1,51,450 रुपए प्रति किलो हो गई है, जो कि पहले 1,52,501 रुपए प्रति किलो थी।
इससे पहले बुधवार को 24 कैरेट के 10 ग्राम सोने की कीमतों में 3,700 रुपए से अधिक और चांदी की कीमतों में करीब 10,600 रुपए प्रति किलो की गिरावट देखी गई।
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अमेरिका-भारत व्यापार समझौते को लेकर उम्मीदें बढ़ने के बीच सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और प्रौद्योगिकी शेयरों में बृहस्पतिवार को लिवाली से स्थानीय शेयर बाजार हल्की बढ़त के साथ बंद हुए। उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में सेंसेक्स 130 अंक चढ़ गया जबकि निफ्टी में 23 अंक की तेजी रही।
कारोबार के दौरान मानक सूचकांक सेंसेक्स एवं निफ्टी 52 सप्ताह के उच्चस्तर पर पहुंच गए थे लेकिन अंतिम घंटे में मुनाफावसूली हावी होने से अपनी अधिकांश बढ़त को गंवा बैठे। दिग्गज कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज में एक प्रतिशत से ज़्यादा की गिरावट से भी बाजार की तेजी थम गई। इसके बावजूद घरेलू शेयर बाजार लगातार छठे दिन बढ़त लेने में सफल रहे।
बीएसई का 30 शेयरों वाला सूचकांक सेंसेक्स 130.06 अंक यानी 0.15 प्रतिशत चढ़कर 84,556.40 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 863.72 अंक बढ़कर 85,290.06 अंक पर पहुंच गया था।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों वाला सूचकांक निफ्टी भी 22.80 अंक यानी 0.09 प्रतिशत बढ़कर 25,891.40 अंक पर बंद हुआ।
सेंसेक्स की कंपनियों में इन्फोसिस में सर्वाधिक 3.86 प्रतिशत की बढ़त रही। इसके अलावा एचसीएल टेक, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, एक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, टाइटन और टेक महिंद्रा भी लाभ में रहे।
हालांकि, इटर्नल, अल्ट्राटेक सीमेंट, भारती एयरटेल और अदाणी पोर्ट्स के शेयरों में गिरावट रही।
जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘घरेलू शेयर बाजारों की शुरुआत सकारात्मक रही लेकिन रूस की दो पेट्रोलियम कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंधों और भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता स्थगित होने की आशंका के बीच निवेशकों ने मुनाफावसूली शुरू कर दी जिससे शुरुआती बढ़त कम हो गई।’’
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स्थानीय शेयर बाजार में मजबूती के रुख और अमेरिका-भारत व्यापार समझौते को लेकर उम्मीद जगने के बीच जोखिम-लेने की धारणा बढ़ने के चलते बृहस्पतिवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया सात पैसे बढ़कर 87.86 (अस्थायी) पर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि रुपया सकारात्मक रुख के साथ बंद हुआ क्योंकि इस बात की चर्चा बढ़ रही है कि भारत और अमेरिका एक लंबे समय से प्रतीक्षित व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के करीब पहुंच रहे हैं।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में, रुपया 87.80 पर खुला और 87.96 के निचले स्तर को छूने के बाद 87.86 (अस्थायी) पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव से सात पैसे की तेजी है। सोमवार को, रुपया डॉलर के मुकाबले नौ पैसे बढ़कर 87.93 पर बंद हुआ था।
दिवाली और दिवाली बलिप्रतिपदा के कारण क्रमशः मंगलवार और बुधवार को विदेशी मुद्रा बाजार बंद रहे।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों के अनुसार, निवेशक आगे की दिशा के लिए वैश्विक संकेतकों, अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों और भारतीय रिजर्व बैंक के मौद्रिक संकेतों पर नजर रखेंगे।
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