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अर्थतंत्र की खबरें: युद्धविराम से वैश्विक व्यापार होगा स्थिर और नीतिगत ब्याज दर में कटौती पर पॉवेल असहमत

आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि पश्चिम एशिया में 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के व्यापार तथा खाड़ी से ऊर्जा आयात पर भारी निर्भरता वाले भारत के लिए तनाव में कमी राहत प्रदान करती है।

फोटो: सोशल मीडिया
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ईरान और इजराइल के बीच युद्धविराम से भारत को बड़ी राहत मिली है, जिसका पश्चिम एशिया के देशों के साथ 100 अरब डॉलर से अधिक का व्यापार है। इसके अलावा भारत ऊर्जा आयात के लिए खाड़ी क्षेत्र पर काफी हद तक निर्भर है। विशेषज्ञों ने यह बात कही है।

उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव कम होने से जोखिम कम होता है, माल ढुलाई लागत स्थिर होती है तथा होर्मुज जलडमरूमध्य (जो ईरान व ओमान के बीच एक संकरा लेकिन महत्वपूर्ण मार्ग है) के माध्यम से भारतीय वस्तुओं का पोत परिवहन मार्गों का अनुमान लगा पाने की क्षमता बढ़ेगी।

आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि पश्चिम एशिया में 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के व्यापार तथा खाड़ी से ऊर्जा आयात पर भारी निर्भरता वाले भारत के लिए तनाव में कमी राहत प्रदान करती है।

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ एक सतत युद्धविराम से ऊर्जा की कीमतें स्थिर होंगी और महत्वपूर्ण शिपिंग मार्ग सुरक्षित रहेंगे। किसी भी तरह की झड़प से भारत के व्यापार प्रवाह, ऊर्जा सुरक्षा तथा प्रवासी हितों को फिर से खतरा उत्पन्न हो जाएगा।’’

उन्होंने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में तीन प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। जलडमरूमध्य में अस्थिरता, जहां से वैश्विक तेल का पांचवां हिस्सा गुजरता है, कुछ समय के लिए कम हुई है।

हालांकि, श्रीवास्तव ने कहा कि यह युद्धविराम अस्थायी साबित हो सकता है, क्योंकि अमेरिका, इजराइल और ईरान के बीच अंतर्निहित मुद्दे अब भी अनसुलझे हैं।

भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि युद्धविराम वैश्विक व्यापार तथा आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए राहत लेकर आया है। खासकर पश्चिम एशिया में जो ऊर्जा और माल की आवाजाही के लिए एक प्रमुख माध्यम है।

सहाय ने कहा, ‘‘ यह विकास विशेष रूप से पश्चिम एशिया में इंजीनियरिंग सामान, खाद्य उत्पाद, वस्त्र और रसायनों के भारतीय निर्यातकों और कच्चे तेल और पेट्रो रसायन पर निर्भर आयातकों के लिए फायदेमंद है।’’

हालांकि, उन्होंने कहा कि व्यापार व निवेश प्रवाह के दीर्घकालिक लाभ प्राप्त करने के लिए सतत शांति और कूटनीतिक अनुपालन आवश्यक है।

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पश्चिम एशिया में अनिश्चितता से शेयर बाजार ने बड़ी बढ़त गंवाई, सेंसेक्स 158 अंक चढ़ा

ईरान और इजरायल के बीच युद्धविराम की खबरों के बीच मुनाफावसूली का सिलसिला चलने से स्थानीय शेयर बाजार ने मंगलवार को अपना अधिकांश शुरुआती लाभ गंवा दिया और अंत में सेंसेक्स 158 अंक की बढ़त के साथ बंद हुआ। निफ्टी में भी 72 अंक का लाभ रहा।

युद्धविराम की खबरों से पश्चिम एशिया में तनाव कम होने और कच्चे तेल की कीमतें घटने की उम्मीद में शुरुआती कारोबार में जबर्दस्त उछाल देखा गया। लिवाली के इस दौर में सेंसेक्स एक समय 1,121.37 अंक यानी 1.36 प्रतिशत उछलकर 83,018.16 अंक तक पहुंच गया था।

हालांकि, दोपहर तक युद्धविराम के उल्लंघन की खबरें आने से बाजार ने इस बड़ी बढ़त को काफी हद तक गंवा दिया। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 158.32 अंक यानी 0.19 प्रतिशत की बढ़त के साथ 82,055.11 अंक पर बंद हुआ।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के सूचकांक निफ्टी का भी कारोबार उतार-चढ़ाव से भरा रहा। एक समय निफ्टी 25,317.70 अंक तक पहुंच गया था लेकिन कारोबार के अंत में यह सिर्फ 72.45 अंक यानी 0.29 प्रतिशत तेजी के साथ 25,044.35 अंक पर बंद हुआ।

जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘घरेलू बाजार का शुरुआती लाभ, युद्धविराम की घोषणा और कच्चे तेल की कीमतों में तेज गिरावट से प्रेरित था। लेकिन पश्चिम एशिया में नए सिरे से भू-राजनीतिक तनाव पैदा होने से यह धारणा अल्पकालिक साबित हुई।’’

नायर ने कहा, ‘‘वायदा अनुबंधों की समाप्ति का दिन होने से भी बाजार में काफी उतार-चढ़ाव का माहौल रहा। हालांकि, बाजार ने एक दायरे में रहने की प्रवृत्ति से बाहर निकलने का प्रयास किया था लेकिन लगातार वैश्विक जोखिम इसे बाधित कर रहे हैं।’’

सेंसेक्स की कंपनियों में अदाणी पोर्ट्स, टाटा स्टील, कोटक महिंद्रा बैंक, अल्ट्राटेक सीमेंट, बजाज फिनसर्व और टाइटन के शेयर बढ़त के साथ बंद हुए।

इसके उलट पावर ग्रिड, ट्रेंट, एनटीपीसी, मारुति, एचसीएल टेक और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स के शेयरों में गिरावट का रुख रहा।

कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट आने से कच्चे तेल से संबंधित क्षेत्रों- पेट्रोलियम विपणन कंपनियों, विमानन, पेंट के शेयरों में खासी तेजी रही।

एचपीसीएल का शेयर 3.24 प्रतिशत चढ़ गया जबकि इंडियन ऑयल में 2.04 प्रतिशत एवं बीपीसीएल में 1.92 प्रतिशत की तेजी रही।

इसी तरह इंडिगो एयरलाइन का संचालन करने वाली इंटरग्लोब एविएशन का शेयर 2.55 प्रतिशत और स्पाइसजेट एयरलाइन का शेयर 2.15 प्रतिशत की बढ़त पर रहा।

नेरोलैक पेंट्स में 1.82 प्रतिशत, शालीमार पेंट्स में 1.80 प्रतिशत और एशियन पेंट्स में 0.48 प्रतिशत की तेजी रही।

रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) अजित मिश्रा ने कहा, ‘‘बाजार प्रतिभागियों के लिए यह घटना-प्रधान दिन रहा। मानक सूचकांकों ने पश्चिम एशिया तनाव से जुड़ी खबरों पर अत्यधिक सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों रुझान दिखाए, लेकिन अंत में हल्की बढ़त के साथ बंद हुए।’’

व्यापक बाजार में बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 0.71 प्रतिशत और मिडकैप 0.54 प्रतिशत की बढ़त के साथ बंद हुआ।

अदाणी समूह की सभी 10 सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर बढ़त के साथ बंद हुए जिनमें से अंबुजा सीमेंट का शेयर चार प्रतिशत चढ़ गया। समूह के अगले पांच वर्षों में 15-20 अरब डॉलर निवेश की योजना की घोषणा से इसकी कंपनियों को समर्थन मिला।

बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों में से 2,662 बढ़त लेने में सफल रहीं जबकि 1,339 कंपनियों में गिरावट रही और 143 अन्य के भाव अपरिवर्तित रहे।

एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया के कॉस्पी, जापान के निक्की, चीन के शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग के हैंग सेंग में खासी तेजी देखी गई।

यूरोपीय बाजार दोपहर के सत्र में बढ़त के साथ कारोबार कर रहे थे। अमेरिकी बाजार सोमवार को सकारात्मक रहे थे।

पश्चिम एशिया में तनाव घटने की उम्मीद में वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 3.20 प्रतिशत घटकर 69.13 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।

शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने सोमवार को 1,874.38 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की शुद्ध बिकवाली की थी। जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआीआई) ने 5,591.77 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे।

सोमवार को बीएसई सेंसक्स 511.38 अंक गिरकर 81,896.79 अंक पर और एनएसई निफ्टी 140.50 अंक के नुकसान के साथ 24,971.90 अंक पर रहा था।

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रुपया 75 पैसे की बड़ी बढ़त के साथ 86.03 प्रति डॉलर पर

पश्चिम एशिया में तनाव कम होने की उम्मीद के बाद वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में नरमी के बीच रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर से उबरकर मंगलवार को 75 पैसे की बड़ी बढ़त के साथ 86.03 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

विदेशी मुद्रा कारोबारियों का मानना है कि कमजोर डॉलर और घरेलू शेयर बाजारों में सकारात्मक रुख ने स्थानीय मुद्रा को और बल दिया।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ईरान और इजराइल के युद्धविराम के करीब होने की घोषणा के बाद बाजारों को नई उम्मीद मिली है। अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 3.19 प्रतिशत की गिरावट के साथ 69.20 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 86.07 पर खुला। दिन में 85.91 से 86.27 प्रति डॉलर के दायरे में कारोबार करने के बाद यह 86.03 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ जो पिछले बंद भाव से 75 पैसे की बढ़त है।

रुपया सोमवार को 23 पैसे टूटकर पांच महीने के निचले स्तर 86.78 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।

मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने बताया कि इजराइल और ईरान के बीच युद्धविराम की खबरों से वैश्विक जोखिम धारणा में सुधार के कारण रुपये में तेजी आई।

चौधरी ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में तेज गिरावट और सकारात्मक घरेलू बाजारों ने रुपये को समर्थन दिया, जबकि युद्धविराम की खबरों के बीच डॉलर सूचकांक में नरमी आई।

उन्होंने कहा, ‘‘ अमेरिकी डॉलर-भारतीय रुपये की जोड़ी के 85.60-86.40 के बीच कारोबार करने के आसार हैं। ’’

इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.48 प्रतिशत की गिरावट के साथ 97.94 पर रहा।

घरेलू शेयर बाजार में बीएसई सेंसेक्स 158.32 अंक की बढ़त के साथ 82,055.11 अंक पर और निफ्टी 72.45 अंक चढ़कर 25,044.35 अंक पर बंद हुआ।

शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) सोमवार को बिकवाल रहे थे और उन्होंने शुद्ध रूप से 1,874.38 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।

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ईरान-इजराइल के बीच युद्धविराम की उम्मीद से सोना 900 रुपये टूटा, चांदी भी कमजोर

ईरान और इजरायल के बीच युद्धविराम की उम्मीदों से वैश्विक बाजार में कीमती धातु की सुरक्षित पनाहगाह के रूप में अपील कम होने से मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में सोने की कीमत 900 रुपये गिरकर 98,900 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गई।

अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी। 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत पिछले कारोबारी सत्र में 99,800 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुई थी।

99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 800 रुपये टूटकर 98,300 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) रह गया। सोमवार को यह 99,100 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।

अबन्स फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) चिंतन मेहता ने कहा, ‘‘अमेरिका द्वारा ईरान और इजरायल के बीच पूर्ण युद्धविराम की पुष्टि के बाद सुरक्षित-निवेश के विकल्प के रूप में मांग में कमी आने से सोना दबाव में है। यह घोषणा ईरान द्वारा कतर में अमेरिकी सैन्य अड्डे पर हमला करने के कुछ समय बाद की गई, जिससे तनाव कुछ समय के लिए बढ़ गया, लेकिन फिर जल्दी ही शांत हो गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आगे तनाव बढ़ने की आशंका कम होने के साथ, निवेशक मुनाफावसूली कर रहे हैं और सोने से हाथ खींच रहे हैं।’’

मंगलवार को चांदी की कीमतें भी 1,000 रुपये घटकर 1,04,200 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) रह गईं। पिछले बाजार बंद में यह 1,05,200 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी।

इस बीच, विदेशी बाजारों में हाजिर सोना 46.05 डॉलर या 1.37 प्रतिशत गिरकर 3,323.05 डॉलर प्रति औंस रह गया।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (जिंस) सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘निवेशक फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पावेल की टिप्पणियों का इंतजार कर रहे हैं, जो मंगलवार और बुधवार को अमेरिकी कांग्रेस के समक्ष अपनी बात रखने वाले हैं। इससे भविष्य में ब्याज दरों में कटौती के बारे में संकेत मिल सकता है।’’

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पीएफ खातों से स्वतः निपटान माध्यम से अब पांच लाख रुपये तक निकाल सकेंगे सदस्य

श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने कर्मचारियों के भविष्य निधि (पीएफ) खातों से अग्रिम निकासी के दावों के स्वतः निपटान की सीमा एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने की मंगलवार को घोषणा की।

इस कदम से सेवानिवृत्ति कोष निकाय ईपीएफओ के सदस्य तीन दिन के भीतर पांच लाख रुपये तक की अपनी अग्रिम वापसी के दावों को प्राप्त करने में सक्षम होंगे।

फिलहाल स्वतःनिपटान माध्यम से तीन दिनो के भीतर एक लाख रुपये तक के दावों का निपटान हो सकता है।

मांडविया ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘ईपीएफओ ने अपने सदस्यों को खासकर तत्काल जरूरतों के समय में त्वरित कोष पहुंच देने के लिए अग्रिम दावों के स्वतः निपटान की सीमा को एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया है।’’

उन्होंने कहा कि इस सेवा के विस्तार से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के लाखों सदस्यों को लाभ होने की उम्मीद है।

सात करोड़ से अधिक सदस्यों वाले ईपीएफओ ने कोविड-19 महामारी के समय वित्तीय मुश्किलों का सामना कर रहे कर्मचारियों को त्वरित सहायता देने के मकसद से पहली बार ऑनलाइन स्वतः निपटान व्यवस्था शुरू की थी।

उसके बाद से इस सुविधा के तहत बीमारी, शिक्षा, विवाह और आवास उद्देश्यों के लिए अग्रिम दावों को भी लाया गया था।

इन दावों का निपटान किसी भी मानवीय भागीदारी के बगैर प्रणालीगत स्तर पर स्वचालित ढंग से किया जाता है, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित होती है।

मांडविया ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में ईपीएफओ ने स्वतः निपटान के जरिये रिकॉर्ड 2.34 करोड़ के अग्रिम दावों का निपटारा किया। यह वित्त वर्ष 2013-14 में निपटाए गए 89.52 लाख दावों की तुलना में 161 प्रतिशत अधिक है।

उन्होंने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में सभी अग्रिम दावों में से 59 प्रतिशत स्वतः निपटान व्यवस्था के जरिये निपटाए गए जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में यह आंकड़ा 31 प्रतिशत था।

चालू वित्त वर्ष के पहले ढाई माह में ईपीएफओ ​​76.52 लाख दावों का स्वतः निपटान कर चुका है।

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नीतिगत ब्याज दर में कटौती पर ट्रंप के रुख से पॉवेल असहमत

अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल ने मंगलवार को कहा कि नीतिगत ब्याज दर में कटौती के लिए केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था की वृद्धि का इंतजार करना जारी रखेगा।

पॉवेल का यह बयान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से ब्याज दर में तत्काल कटौती किए जाने की मांग के संदर्भ में आया है।

पॉवेल ने सदन की वित्तीय सेवा समिति के समक्ष रखने के लिए तैयार अपनी टिप्पणियों में कहा, "फिलहाल हमें अपने नीतिगत रुख में किसी भी समायोजन पर विचार करने से पहले अर्थव्यवस्था के संभावित मार्ग के बारे में अधिक जानने के लिए इंतजार करना होगा।"

पॉवेल को अमेरिकी संसद से जुड़ी सघन पूछताछ का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि राष्ट्रपति ट्रंप लगातार फेडरल रिजर्व से कर्ज की लागत को कम करने का आग्रह कर रहे हैं।

हालांकि पॉवेल को अक्सर केंद्रीय बैंक पर नजर रखने वाली संसदीय समितियों से सकारात्मक रुझान देखने को मिलता रहा है लेकिन ट्रंप के लगातार हमलों के कारण कांग्रेस में उनका समर्थन इस बार कुछ कम हो सकता है।

ट्रंप ने मंगलवार सुबह अपनी सोशल मीडिया साइट पर एक बार फिर नाराजगी जताते हुए कहा, "मुझे उम्मीद है कि कांग्रेस वास्तव में इस बहुत ही गूंगे, जिद्दी व्यक्ति को हटाएगी। हम आने वाले कई सालों तक उनकी अक्षमता का भुगतान करेंगे।"

पिछली बार पॉवेल फरवरी में कांग्रेस के समक्ष पेश हुए थे।

फेडरल रिजर्व की 19-सदस्यीय ब्याज दर-निर्धारण समिति यह तय करती है कि कर्ज लेने की लागत में कटौती या वृद्धि की जाए। समिति आमतौर पर मुद्रास्फीति से निपटने के लिए दरों में वृद्धि करती है जबकि अर्थव्यवस्था कमजोर होने पर उधार लेने और खर्च को बढ़ावा देने के लिए दरों में कटौती होती है।

अमेरिकी केंद्रीय बैंक की समिति ने पिछले सप्ताह सर्वसम्मति से अपनी प्रमुख दर को अपरिवर्तित रखने के लिए मतदान किया था। हालांकि फेडरल रिजर्व ने भविष्य में दर कटौती का पूर्वानुमान भी जारी किया था।

केंद्रीय बैंक ने पिछले साल के अंत में तीन बार नीतिगत दर में कटौती की थी। फिर भी तब से इसने दर में कटौती इस चिंता के चलते नहीं की है कि कई देशों से आयात पर ट्रंप द्वारा लगाए गए उच्च शुल्क से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है।

ट्रंप ने सभी आयातों पर 10 प्रतिशत शुल्क लगाने के साथ ही चीन से माल पर अतिरिक्त 30 प्रतिशत, इस्पात एवं एल्युमीनियम पर 50 प्रतिशत और वाहनों पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाया हुआ है।

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