देश के आठ प्रमुख संपत्ति बाजारों में चालू कैलेंडर साल की पहली छमाही (जनवरी-जून) के दौरान घरों की बिक्री में दो प्रतिशत की गिरावट आई है। हालांकि, संपत्ति परामर्श कंपनी नाइट फ्रैंक इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान कार्यालय स्थल पट्टे में 41 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
नाइट फ्रैंक ने बृहस्पतिवार को एक वेबिनार में जनवरी-जून, 2025 के लिए भारतीय रियल एस्टेट बाजार के अपने आंकड़े जारी किए।
आंकड़ों से पता चला है कि इस कैलेंडर वर्ष की पहली छमाही के दौरान आठ प्रमुख शहरों में घरों की बिक्री सालाना आधार पर दो प्रतिशत घटकर 1,70,201 इकाई रही।
इसके विपरीत, जनवरी-जून, 2025 के दौरान पट्टे पर कार्यालय स्थल की मांग 41 प्रतिशत बढ़कर 4.89 करोड़ वर्ग फुट हो गई।
पूरे 2024 के लिए सकल पट्टा गतिविधियां रिकॉर्ड 7.19 करोड़ वर्ग फुट रही थीं।
पहली छमाही के दौरान मजबूत प्रदर्शन को देखते हुए नाइट फ्रैंक को उम्मीद है कि पूरे साल में पट्टे पर कार्यालय स्थल की मांग आठ-नौ करोड़ वर्ग फुट के नए उच्चस्तर पर पहुंच जाएगी।
परामर्शक कंपनी ने बताया कि आवासीय क्षेत्र में आठ शहरों में भारित औसत मूल्य में दो प्रतिशत से 14 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई।
नाइट फ्रैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि सभी आवास बिक्री में से 49 प्रतिशत मकान एक करोड़ रुपये और उससे अधिक कीमत के थे, जबकि 51 प्रतिशत की कीमत एक करोड़ रुपये तक थी।
शहरों की बात करें तो मुंबई और अहमदाबाद में घरों की बिक्री जनवरी-जून के दौरान सालाना आधार पर क्रमशः 47,035 इकाई और 9,370 इकाई पर स्थिर रही।
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मूडीज रेटिंग्स ने बृहस्पतिवार को कहा कि एशिया प्रशांत क्षेत्र के कई देशों की तुलना में भारत पर अमेरिकी शुल्क कम रहने की संभावना है, जिससे अर्थव्यवस्था को और अधिक निवेश आकर्षित करने और वैश्विक विनिर्माण आधार बनने में मदद मिल सकती है।
एशिया प्रशांत क्षेत्र के परिदृय अपने दृष्टिकोण में मूडीज रेटिंग्स ने कहा कि कई निर्यात-निर्भर एशिया प्रशांत अर्थव्यवस्थाएं अप्रैल में बहुत अधिक अमेरिकी शुल्क से प्रभावित हुईं।
हालांकि, बातचीत से द्विपक्षीय आधार पर शुल्क और अन्य व्यापार बाधाओं में कुछ कमी आने की संभावना है, लेकिन नीति अनिश्चितता, निवेश निर्णयों को चुनौती दे रही है और व्यापार को बाधित कर रही है।
इसने कहा कि व्यापार नीति के बारे में अनिश्चितता और वैश्विक व्यापार के संभावित बदलाव ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में चक्रीय और संभवतः संरचनात्मक ऋण जोखिम बढ़ा दिए हैं।
मूडीज रेटिंग्स ने कहा कि चीन से बाहर निवेश और विनिर्माण के विविधीकरण से लाभान्वित होने वाली वियतनाम और कंबोडिया जैसी अर्थव्यवस्थायें अब उच्च अमेरिकी शुल्क का सामना कर रही हैं। ये अर्थव्यवस्थायें विशेष रूप से जोखिम में हैं।
मूडीज रेटिंग्स ने कहा, ‘‘"कंबोडिया और वियतनाम जैसे देशों के उलट भारत को निवेश और व्यापार प्रवाह में एक शुल्क आधारित बदलाव का लाभ मिल सकता है। एशिया प्रशांत क्षेत्र (एपीएसी) में कई देशों की तुलना में भारत पर कम शुल्क रह सकता है, जो अर्थव्यवस्था को आगे निवेश प्रवाह को आकर्षित करने और एक वैश्विक विनिर्माण आधार के रूप में विकसित होने में मदद कर सकता है।’’
मई में ब्रिटेन के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर और यूरोपीय संघ के साथ इसके लिए जारी प्रयास इस तरह के विकास का और समर्थन करेंगे। दो अप्रैल को, अमेरिका ने भारतीय उत्पादों 26 प्रतिशत का जवाबी शुल्क लगाया था, लेकिन बाद में इसे 90 दिन के लिए निलंबित कर दिया। हालांकि, अमेरिका द्वारा लगाया गया 10 प्रतिशत का मूल शुल्क लागू है। भारत अतिरिक्त 26 प्रतिशत शुल्क से पूरी छूट चाहता है।
वर्तमान में, भारत और अमेरिका के अधिकारी दोनों देशों के बीच प्रस्तावित अंतरिम व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। भारत अपने श्रम-गहन उत्पादों के लिए अधिक बाजार पहुंच की मांग कर रहा है, वहीं अमेरिका अपने कृषि उत्पादों के लिए शुल्क रियायत चाहता है।
अमेरिकी जवाबी शुल्क पर रोक नौ जुलाई को समाप्त हो रही है, ऐसे में व्यापारी समझौते के लिए बातचीत महत्वपूर्ण हो जाती है।
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स्थानीय शेयर बाजार में बृहस्पतिवार को लगातार दूसरे दिन भी गिरावट रही और बीएसई सेंसेक्स 170 अंक टूट गया। बाजार में कारोबार के दौरान तेजी थी लेकिन अंतिम घंटे में वित्तीय कंपनियों और धातु शेयरों में बिकवाली से यह गिरावट के साथ बंद हुआ।
तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 170.22 अंक यानी 0.20 प्रतिशत टूटकर 83,239.47 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 440.4 अंक तक चढ़ गया था।
पचास शेयरों पर आधारित एनएसई निफ्टी भी 48.10 अंक यानी 0.19 प्रतिशत की गिरावट के साथ 25,405.30 अंक पर बंद हुआ।
सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में कोटक महिंद्रा बैंक, बजाज फिनसर्व, बजाज फाइनेंस, अदाणी पोर्ट्स, ट्रेंट, भारतीय स्टेट बैंक, टाइटन और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज प्रमुख रूप से नुकसान में रहीं।
दूसरी तरफ लाभ में रहने वाले शेयरों में मारुति, इन्फोसिस, एनटीपीसी, एशियन पेंट्स, इटर्नल (पूर्व में जोमैटो) और हिंदुस्तान यूनिलीवर शामिल हैं।
रेलिगेयर ब्रोकिंग लि. के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) अजित मिश्रा ने कहा, ‘‘वायदा एवं विकल्प खंड में सौदों की साप्ताहिक समाप्ति के दिन बाजार में उतार-चढ़ाव रहा और यह मामूली गिरावट के साथ बंद हुआ...।’’
उन्होंने कहा कि क्षेत्रावार देखा जाए तो रुख मिला-जुला रहा। वाहन और औषधि क्षेत्र के शेयरों में बढ़त दर्ज की गई, जबकि धातु और रियल्टी सबसे ज्यादा नुकसान में रहे।
छोटी कंपनियों से जुड़ा बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 0.47 प्रतिशत चढ़ा, जबकि मझोली कंपनियों से जुड़े बीएसई मिडकैप में 0.06 प्रतिशत की गिरावट आई।
जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लि. के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि शुल्क छूट को लेकर 90 दिन की अवधि समाप्त होने वाली है। ऐसे में अमेरिका-भारत व्यापार समझौते से जुड़े घटनाक्रमों पर निवेशकों की निगाह बनी हुई है। अधिक मूल्यांकन के कारण हाल के दिनों में विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) सतर्क हो गए हैं।
एशियाई बाजारों में, दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की और चीन का शंघाई कम्पोजिट लाभ में रहे, जबकि हांगकांग का हैंगसेंग नुकसान रहा।
यूरोप के प्रमुख बाजारों में दोपहर के कारोबार में मिला-जुला रुख था। बुधवार को अमेरिका के ज्यादातर बाजार लाभ में रहे थे।
बृहस्पतिवार को जारी एक मासिक सर्वेक्षण के अनुसार, भारतीय सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर जून में 10 माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। सकारात्मक मांग और बिक्री में जारी सुधार के बीच अंतरराष्ट्रीय बिक्री और रोजगार सृजन में मजबूत विस्तार से सेवा क्षेत्र में वृद्धि हुई है।
मौसमी रूप से समायोजित एचएसबीसी इंडिया सर्विसेज पीएमआई व्यापार गतिविधियां सूचकांक मई के 58.8 से बढ़कर जून में 60.4 हो गया। इसका कारण नए कारोबारी ऑर्डर में तेजी है।
क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) की भाषा में, 50 से ऊपर का अंक विस्तार को दर्शाता है, जबकि 50 से नीचे का अंक संकुचन को बताता है।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 1.03 प्रतिशत टूटकर 68.40 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बुधवार को 1,561.62 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
बीएसई सेंसेक्स बुधवार को 287.60 अंक टूटा था जबकि एनएसई निफ्टी में 88.40 अंक की गिरावट आई थी।
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स्टॉकिस्ट की सतत लिवाली के कारण बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 450 रुपये बढ़कर 99,620 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी।
बुधवार को 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत 99,170 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुई थी।
99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 400 रुपये बढ़कर 99,000 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) हो गया। पिछले कारोबारी सत्र में यह 98,600 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।
चांदी की कीमत भी बृहस्पतिवार को 1,000 रुपये बढ़कर 1,05,800 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) हो गई। पिछले सत्र में चांदी 1,04,800 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी।
मेहता इक्विटीज के उपाध्यक्ष-जिंस राहुल कलंत्री ने कहा, ‘‘डॉलर इंडेक्स के 3.5 साल के नए निचले स्तर पर आने तथा अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल के दो महीने के निचले स्तर पर आने के बाद सोने और चांदी में तेजी जारी रही।’’
कलंत्री ने कहा, ‘‘इसके अलावा, नौ जुलाई को अमेरिकी व्यापार शुल्क की समयसीमा के बारे में चिंताओं ने भी इसे और सहारा दिया। अगर समय रहते व्यापार समझौते को अंतिम रूप नहीं दिया जाता है, तो उच्च शुल्क वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता को बढ़ावा दे सकते हैं, जो सर्राफा कीमतों के लिए मददगार होगा।’’
वैश्विक मोर्चे पर, हाजिर सोना 8.21 डॉलर या 0.24 प्रतिशत घटकर 3,348.89 डॉलर प्रति औंस रह गया।
एलकेपी सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष, शोध विश्लेषक (जिंस और मुद्रा) जतीन त्रिवेदी ने कहा, ‘‘निवेशकों को आज दिन में जारी होने वाले महत्वपूर्ण अमेरिकी वृहद आर्थिक आंकड़ों का इंतजार रहेगा, जिसमें गैर-कृषि पेरोल (एनएफपी) और बेरोजगारी के आंकड़े शामिल हैं, जो भविष्य में फेडरल रिजर्व के ब्याज दर को लेकर रुख और सर्राफा कीमतों को नई दिशा प्रदान कर सकते हैं।’’
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अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बृहस्पतिवार को रुपया शुरुआती नुकसान से उबर गया और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 31 पैसे की बढ़त के साथ 85.31 (अस्थायी) पर बंद हुआ।
घरेलू मुद्रा में मजबूती विदेशों में प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर के कमजोर रहने और अमेरिकी बॉन्ड पर प्रतिफल घटने की वजह से आई।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि अमेरिका से एडीपी गैर-कृषि रोजगार के उम्मीद से कमजोर आंकड़ों के कारण डॉलर में गिरावट आई।
उन्होंने कहा कि वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से भी स्थानीय मुद्रा को समर्थन मिला।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 85.69 पर खुला और कारोबार के दौरान 85.19 के उच्चतम स्तर और 85.70 के निचले स्तर तक जाने के बाद अंत में 85.31 (अस्थायी) पर बंद हुई, जो पिछले बंद भाव से 31 पैसे की बढ़त है।
बुधवार को रुपया तीन पैसे की गिरावट के साथ 85.62 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, “अमेरिकी डॉलर के कमजोर होने और अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में गिरावट के कारण शुक्रवार को भारतीय रुपये में तेजी आई। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने भी रुपये को मजबूती दी। हालांकि, स्थानीय शेयर बाजार में कमजोरी से रुपये का लाभ सीमित रहा।’’
इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.05 प्रतिशत चढ़कर 96.82 पर पहुंच गया।
वायदा कारोबार में वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 1.01 प्रतिशत बढ़कर 68.41 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था।
चौधरी ने कहा, “आगे चलकर, कारोबारी अमेरिका से गैर-कृषि पेरोल रिपोर्ट से संकेत ले सकते हैं। डॉलर/रुपये का हाजिर मूल्य 84.90 से 85.60 के बीच कारोबार करने की उम्मीद है।’’
इस बीच, घरेलू शेयर बाजार में सेंसेक्स 170.22 अंक गिरकर 83,239.47 अंक पर, जबकि निफ्टी 48.10 अंक घटकर 25,405.30 अंक पर बंद हुआ।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बुधवार को शुद्ध आधार पर 1,561.62 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
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