भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कुछ आर्थिक नीतियों ने वैश्विक व्यापार प्रवृत्तियों को जहां ठप कर दिया है, वहीं वे अमेरिका के लिए भी आत्मघाती साबित हो रही हैं।
रंगराजन ने यहां ‘आईसीएफएआई फाउंडेशन फॉर हायर एजुकेशन’ के 15वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने ‘ब्रिक्स’ समूह का नाम लिए बगैर कहा कि अपेक्षाकृत अधिक स्वतंत्र व्यापार वाले अलग-अलग गुटों का उभरना अपरिहार्य है, लेकिन अंतिम लक्ष्य एक ऐसा विश्व होना चाहिए जिसमें व्यापार अधिक खुला हो।
उन्होंने कहा, ‘‘आज की दुनिया बदलाव के दौर से गुजर रही है। राष्ट्रपति ट्रंप की कुछ आर्थिक नीतियों के चलते वैश्विक व्यापार लगभग ठप हो गया है। उम्मीद है कि समझदारी से काम लिया जाएगा और अमेरिका के नीति निर्धारक यह समझेंगे कि वे जो नीतियां लागू करना चाहते हैं, वे आत्मघाती हैं। भारत इससे सबसे अधिक प्रभावित हुआ है।’’
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खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में मासिक आधार पर बढ़कर 2.07 प्रतिशत हो गई। मुख्य रूप से सब्जियों, मांस और मछली की कीमतों में वृद्धि के कारण महंगाई बढ़ी है। शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। इससे पिछले महीने जुलाई में यह 1.61 प्रतिशत थी।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में नौ महीनों तक लगातार गिरावट के बाद मुद्रास्फीति में यह वृद्धि हुई है। नवंबर 2024 से इसमें गिरावट आ रही थी।
हालांकि सालाना आधार पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति में कमी आई है। बीते वर्ष अगस्त में यह 3.65 प्रतिशत थी। इस दौरान खाद्य मुद्रास्फीति शून्य से नीचे यानी इसमें 0.69 प्रतिशत की गिरावट आई।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने कहा, ''सब्जियों, मांस और मछली, अंडे, तेल और वसा, व्यक्तिगत देखभाल और खाद्य उत्पादों के महंगा हुई है।''
सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ मुद्रास्फीति चार प्रतिशत पर बनाये रखने की जिम्मेदारी दी हुई है।
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अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती उम्मीदों के बीच शुक्रवार को वैश्विक बाजार में तेजी के अनुरूप स्थानीय शेयर बाजार चढ़कर बंद हुए। सेंसेक्स 356 अंक की बढ़त पर रहा जबकि निफ्टी में 108 अंक की तेजी रही।
विश्लेषकों ने कहा कि भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता के सफल समापन को लेकर नए सिरे से जगी उम्मीदों ने भी बाजारों में तेजी को बढ़ावा दिया।
सेंसेक्स के समूह में शामिल कंपनियों में से भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, बजाज फाइनेंस, बजाज फिनसर्व, एक्सिस बैंक, मारुति और टाटा मोटर्स के शेयरों में तेजी रही। दूसरी तरफ, इटर्नल, हिंदुस्तान यूनिलीवर, ट्रेंट और टाइटन के शेयरों में गिरावट का रुख रहा।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, "अमेरिका में ब्याज दर कटौती की उम्मीद में घरेलू बाजार तीन सप्ताह के ऊपरी स्तर पर बंद हुए। रूसी तेल खरीदने को लेकर भारत पर भारी शुल्क लगाने की अमेरिकी मांग को यूरोपीय संघ में नकार दिए जाने की संभावना ने भी धारणा बेहतर करने का काम किया।"
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अमेरिकी डॉलर सूचकांक में कमजोरी और घरेलू बाजारों के सकारात्मक रुख के बीच शुक्रवार को भारतीय रुपया अपने सर्वकालिक निचले स्तर से उबरकर सात पैसे की बढ़त के साथ 88.28 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि घरेलू मुद्रा एक सीमित दायरे में रहते हुए अपने सर्वकालिक निचले स्तर के आसपास ही रही। भारत के निर्यात पर अमेरिकी शुल्क से जुड़े दबावों और विदेशी पूंजी की लगातार निकासी से निवेशक धारणा प्रभावित हुई।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 88.39 प्रति डॉलर के भाव पर खुला और सत्र के दौरान 88.42 के निचले स्तर तक गिर गया। हालांकि कारोबार के अंत में यह थोड़ा सुधरकर अपने पिछले बंद भाव से सात पैसे की बढ़त के साथ 88.28 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
रुपया बृहस्पतिवार को 24 पैसे गिरकर 88.35 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ था। इसने डॉलर के मुकाबले 88.49 के अब तक के सबसे निचले स्तर को भी छुआ था।
मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक (मुद्रा एवं जिंस) अनुज चौधरी ने कहा, "हमें उम्मीद है कि अमेरिकी डॉलर में समग्र कमजोरी और अगले हफ्ते होने वाली फेडरल रिजर्व समिति की बैठक में दर कटौती की बढ़ती संभावनाओं के चलते वैश्विक बाजारों में जोखिम उठाने की क्षमता बढ़ने से रुपया थोड़े सकारात्मक रुख के साथ कारोबार करेगा।"
चौधरी ने कहा, "बाजार 2025 में ब्याज दरों में कुल 0.75 प्रतिशत कटौती की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि विदेशी संस्थागत निवेशकों की निकासी और भारत एवं अमेरिका के बीच व्यापार शुल्क के मुद्दों पर अनिश्चितता के कारण रुपये में तीव्र सुधार पर अंकुश लग सकता है।"
उन्होंने कहा कि डॉलर-रुपये का हाजिर भाव 88 से 88.50 के बीच रहने की उम्मीद है। इस बीच, छह मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.22 प्रतिशत बढ़कर 97.74 पर पहुंच गया।
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