अर्थतंत्र

अर्थजगतः 4 महीने में रिलायंस जियो के 1.6 करोड़ से ज्यादा सब्सक्राइबर्स घटे और गिरावट से उबरा शेयर बाजार

अरबपति एलन मस्क ने 'एक्स यूजर्स' के लिए भारत और वैश्विक स्तर पर टॉप-टायर सब्सक्रिप्शन सेवा की कीमतों में 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। कोलकाता में लगाई गई 15 साल की सेवा सीमा के कारण मार्च 2025 तक 64 प्रतिशत से ज्यादा पीली टैक्सियां सड़कों पर नहीं दिखेंगी।

4 महीने में रिलायंस जियो के 1.6 करोड़ से ज्यादा सब्सक्राइबर्स घटे और गिरावट से उबरा शेयर बाजार
4 महीने में रिलायंस जियो के 1.6 करोड़ से ज्यादा सब्सक्राइबर्स घटे और गिरावट से उबरा शेयर बाजार फोटोः IANS

4 महीने में रिलायंस जियो के 1.6 करोड़ से ज्यादा सब्सक्राइबर्स घटे

देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो के सब्सक्राइबर्स की संख्या चार महीनों में 1.65 करोड़ कम हो गई है। रिलायंस जियो के अक्टूबर में 37.6 लाख मोबाइल ग्राहक घट गए हैं। वहीं, सितंबर 2024 में 79 लाख, अगस्त 2024 में 40 लाख और जुलाई 2024 में 7.58 लाख से अधिक मोबाइल सब्सक्राइबर्स कम हुए थे। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के आंकड़ों के अनुसार, भारत की दूसरी सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी एयरटेल ने सितंबर में 14.3 लाख से अधिक ग्राहक खोने के बाद अक्टूबर में लगभग 24 लाख नए सब्सक्राइबर्स जोड़े हैं। एयरटेल के अगस्त 2024 में 24 लाख और जुलाई 2024 में 16 लाख सब्सक्राइबर्स घटे थे। वोडाफोन आइडिया के अक्टूबर में 19 लाख से अधिक मोबाइल ग्राहक कम हुए हैं, जबकि सितंबर में 15.5 लाख की गिरावट आई थी।

निजी दूरसंचार कंपनियों के ग्राहकों की संख्या में गिरावट का कारण कंपनियों द्वारा 2024 के मध्य में की गई टैरिफ वृद्धि को माना जा रहा है, जो कि जुलाई में लागू हुई थी। सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल के सब्सक्राइबर्स की संख्या में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है। अक्टूबर में बीएसएनएल ने पांच लाख सब्सक्राइबर्स जोड़े हैं। बीते चार महीने में बीएसएनएल ने 68 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स जोड़े हैं। अक्टूबर के आंकड़ों के अनुसार, रिलायंस जियो के पास 47.48 करोड़ सब्सक्राइबर्स हैं। वहीं, भारती एयरटेल के पास 28.7 करोड़, वोडाफोन आइडिया के पास 12.5 करोड़ और बीएसएनएल के पास 3.6 करोड़ ग्राहक हैं।

कुल बाजार हिस्सेदारी में रिलायंस जियो 39.99 प्रतिशत के साथ शीर्ष पर है, उसके बाद भारती एयरटेल 33.50 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर है। वोडाफोन आइडिया और बीएसएनएल के पास क्रमशः 18.30 प्रतिशत और 8.05 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी है। अक्टूबर के अंत में कुल वायरलेस ग्राहकों की संख्या 115 करोड़ थी, जिसमें 0.29 प्रतिशत की मामूली मासिक गिरावट दर्ज की गई थी। वायरलाइन ग्राहकों की संख्या सितंबर के अंत में 3.6 करोड़ से बढ़कर अक्टूबर के अंत में 3.7 करोड़ हो गई है। निजी कंपनियों के पास 31 अक्टूबर तक वायरलेस ग्राहकों का 91.78 प्रतिशत हिस्सा था, जबकि बीएसएनएल और एमटीएनएल की बाजार हिस्सेदारी केवल 8.22 प्रतिशत थी।

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गिरावट से संभला शेयर बाजार, सेंसेक्स 500 अंकों की तेजी के साथ बंद

पिछले पांच कारोबारी सत्रों में लगभग 5 प्रतिशत की गिरावट के बाद मजबूत वैश्विक संकेतों के बीच सोमवार को घरेलू बेंचमार्क सूचकांक हरे निशान में बंद हुए। निफ्टी के रियल्टी और पीएसयू बैंक सेक्टर में भारी खरीदारी देखने को मिली। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 498.58 अंक यानी 0.64 प्रतिशत की बढ़त के साथ 78,540.17 पर बंद हुआ और निफ्टी 165.95 अंक यानी 0.70 प्रतिशत की बढ़त के साथ 23,753.45 पर बंद हुआ। निफ्टी बैंक 558.40 अंक यानी 1.10 प्रतिशत की बढ़त के साथ 51,317.60 पर बंद हुआ। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 186.15 अंक यानी 0.33 प्रतिशत की बढ़त के साथ 57,092.9 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 26.50 अंक यानी 0.14 प्रतिशत की गिरावट के साथ 18,687.80 पर बंद हुआ।

हाल ही में हुई बिकवाली के बाद भारतीय शेयर बाजार में आशावाद दिखा। बाजार के जानकारों के अनुसार, अमेरिका में पर्सनल कंजप्शन एक्सपेंडीचर (पीसीई) की अपेक्षा से कम आंकड़े ने ब्याज दर-सेंसिटिव सेक्टर में निवेशकों की धारणा को मजबूत किया। व्यापक आधार पर खरीदारी देखी गई, जिसमें मेटल क्षेत्र को स्टील आयात करों में वृद्धि से विशेष रूप से लाभ हुआ। जानकारों ने बताया, "पॉजिटिव मार्केट सेंटीमेंट के बावजूद, नए कैटेलिस्ट की कमी और त्योहारी सीजन और छुट्टियों के प्रभाव के कारण शॉर्ट टर्म आउटलुक स्थिर रहने की उम्मीद है।"

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर 1,640 शेयर हरे निशान और 2,445 शेयर लाल निशान में बंद हुए, जबकि 133 शेयरों में कोई बदलाव नहीं हुआ। सेक्टोरल फ्रंट पर, ऑटो, मीडिया और हेल्थकेयर को छोड़कर सभी सेक्टर हरे निशान में बंद हुए। सेंसेक्स पैक में आईटीसी, टेक महिंद्रा, एचडीएफसी बैंक, इंडसइंड बैंक, टाइटन, एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक, अदाणी पोर्ट्स, टाटा स्टील और भारती एयरटेल टॉप गेनर्स थे। वहीं, जोमैटो, मारुति, नेस्ले इंडिया, एचसीएल टेक और बजाज फिनसर्व टॉप लूजर्स थे। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 20 दिसंबर को 3,597.82 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने उसी दिन 1,374.37 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। शुरुआती कारोबार में, सकारात्मक मिश्रित वैश्विक संकेतों के बीच भारतीय शेयर बाजार में 600 से अधिक अंकों का उछाल देखा गया था।

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मस्क ने 'एक्स यूजर्स' के लिए प्रीमियम प्लस सब्सक्रिप्शन की कीमतें बढ़ाई

टेक अरबपति एलन मस्क ने 'एक्स यूजर्स' के लिए भारत और वैश्विक स्तर पर टॉप-टायर सब्सक्रिप्शन सर्विस (प्रीमियम प्लस ) की कीमतों में 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। कीमतों में यह बढ़ोतरी मौजूदा और नए दोनों तरह के यूजर्स के लिए की गई है। अब भारत में प्रीमियम प्लस यूजर्स को 1,750 रुपये प्रति माह देने होंगे, पहले इसके लिए 1,300 रुपये देने होते थे। सर्विस की कीमत में 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। नई कीमतें 21 दिसंबर को लागू हो गई हैं। इसी तरह देश में सालाना प्रीमियम प्लस यूजर्स को 18,300 रुपये का भुगतान करना होगा, जो कि पहले 13,600 रुपये था।

2022 में टेक अरबपति द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (जिसे पहले ट्विटर कहा जाता था) के अधिग्रहण के बाद से यह अब तक सबसे बड़ी मूल्य वृद्धि है। भारत में बेसिक टियर सब्सक्रिप्शन रेट 243 रुपये और प्रीमियम टियर 650 रुपये को लेकर किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया है। अमेरिका में प्रीमियम प्लस सर्विस की लागत 16 डॉलर से बढ़कर 22 डॉलर प्रति माह हो गई है। वार्षिक सदस्यता लागत 168 डॉलर से बढ़कर 229 डॉलर हो गई है। कंपनी के अनुसार, प्रीमियम प्लस अब पूरी तरह से विज्ञापन-मुक्त है, जो ब्राउजिंग को बेहतरीन एक्सपीरियंस देता है।

कंपनी ने कहा, "प्रीमियम प्लस सब्सक्राइबर्स, प्रीमियम से ज्यादा बेहतर सर्विस का एक्सपीरियंस ले सकेंगे। प्लस यूजर्स कई नए फीचर्स जैसे रडार, ग्रोक एआई मॉडल पर हाई लिमिट का इस्तेमाल कर सकेंगे, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि प्लेटफॉर्म पर आपको सबसे बेहतर सर्विस मिल रही है। बढ़ी हुई कीमत हमें प्रीमियम प्लस को समय के साथ और बेहतर बनाने में अधिक निवेश करने की अनुमति देती है।" कंपनी ने कहा, "आपकी प्रीमियम प्लस सब्सक्रिप्शन फीस नई और ज्यादा इक्विटेबल सिस्टम को लेकर योगदान देने में अहम होगी, जहां क्रिएटर की अर्निंग उनके द्वारा एक्स पर लाई गई वैल्यू से जुड़ी होगी।"

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मार्च 2025 तक कोलकाता की 64 प्रतिशत पीली टैक्सियां सड़कों से हट जाएंगी

कोलकाता में चलने वाली प्रतिष्ठित पीली टैक्सी अब राज्य की सड़कों पर नहीं देखी जा सकेंगी। 64 प्रतिशत से ज्यादा टैक्सियों को राज्य परिवहन विभाग द्वारा लगाई गई 15 साल की सेवा सीमा के कारण मार्च 2025 तक सड़कों से हटाया जा रहा है। राज्य परिवहन विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार वर्तमान में राज्य में लगभग 7,000 रजिस्टर्ड पीली टैक्सियां हैं। उनमें से लगभग 4,500 को प्रदूषण मानदंडों के अनुसार सड़कों से हटाना होगा, जो 15 वर्ष या उससे अधिक पुराने वाहनों को सड़कों पर चलने से रोकते हैं। ये पीली टैक्सियां, सभी एंबेसडर, पहले हिंदुस्तान मोटर्स लिमिटेड द्वारा पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में कंपनी की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट, हिंद मोटर में बनाई जाती थी। कंपनी ने इस विशेष ब्रांड का निर्माण बंद कर दिया है, इसलिए उनके रिप्लेसमेंट की कोई संभावना नहीं है।

राज्य परिवहन के कुछ रिकॉर्ड बताते हैं कि संभवतः 1908 में कोलकाता की सड़कों पर पहली पीली टैक्सी चलनी शुरू हुई थी, जिसकी सेवा का लाभ उठाने के लिए प्रति मील 50 पैसे का शुल्क तय किया गया था। हालांकि, कलकत्ता टैक्सी एसोसिएशन ने 1962 में मानक कर मॉडल के रूप में एंबेसडर को अपनाया। सूरज ढलने के बाद भी रंग की स्पष्ट दृश्यता टैक्सियों के रंग के रूप में पीले रंग को चुनने का कारण था। पिछले कुछ वर्षों से पीली टैक्सियों की लोकप्रियता कम हो गई है, क्योंकि ऐप कैब की शुरुआत हुई है, जो बेहतर आरामदायक सवारी प्रदान करती हैं। हालांकि, पीली टैक्सियों से जुड़ी पुरानी यादों को देखते हुए राज्य परिवहन विभाग उस याद को जीवित रखने के लिए एक सूत्र पर काम करने की कोशिश कर रहा है।

राज्य परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने कहा, "एंबेसडर मॉडल को सड़कों पर वापस लाना सवाल से बाहर है क्योंकि इसे बनाने वाली कंपनी ने अब इस ब्रांड का उत्पादन बंद कर दिया है। हालांकि, पुरानी पीली टैक्सियों के परमिट रखने वाले मालिक पुराने परमिट के बदले नए वाणिज्यिक परिवहन परमिट प्राप्त कर सकेंगे।" उन्होंने आगे कहा, "इसके बाद कोई भी मालिक, चाहे वह कोई भी हो, जो भी अपने वाणिज्यिक वाहन के लिए पीला रंग करवाना चाहेगा, उसे राज्य परिवहन विभाग से विशेष अनुमति के साथ ऐसा करना होगा। हालांकि, ये सभी बातें अभी ड्रॉइंग-बोर्ड स्तर पर हैं और टैक्सी एसोसिएशन के साथ विचार-विमर्श की आवश्यकता है।"

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भारत में हर साल खुल रहे 30 मिलियन नए डीमैट खाते

एसबीआई रिसर्च ने सोमवार को कहा कि भारत में 2021 से हर साल कम से कम 30 मिलियन नए डीमैट खाते खुल रहे हैं और लगभग हर चार में से एक अब महिला निवेशक है। यह बचत के वित्तीयकरण के चैनल के रूप में पूंजी बाजार का उपयोग करने के बढ़ते प्रचलन को दर्शाता है। भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2024 में देश में कुल डीमैट खाते 150 मिलियन (जिनमें से 92 मिलियन एनएसई पर यूनिक इंवेस्टर्स हैं) को पार कर गए, जबकि वित्त वर्ष 2014 में यह संख्या मात्र 22 मिलियन थी।

एसबीआई के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ.सौम्या कांति घोष ने कहा, "इस साल नए डीमैट खातों की संख्या 40 मिलियन का आंकड़ा पार कर सकती है।" उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों को छोड़कर, वित्त वर्ष 2022 की तुलना में वित्त वर्ष 2025 में महिलाओं की भागीदारी राष्ट्रीय औसत से अधिक बढ़ी है। वित्त वर्ष 2025 में कुल डीमैट में महिलाओं की हिस्सेदारी के मामले में दिल्ली 29.8 प्रतिशत, महाराष्ट्र 27.7 प्रतिशत, तमिलनाडु 27.5 प्रतिशत के साथ शीर्ष पर है।

वहीं, पूरे राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा औसत 23.9 प्रतिशत पर है। वहीं, बिहार 15.4 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश 18.2 प्रतिशत और ओडिशा 19.4 प्रतिशत के साथ इन राज्यों में पंजीकृत निवेशक आधार में महिलाओं की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत से कम है। घटती औसत/मध्यिका आयु और 30 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों की बढ़ती हिस्सेदारी पिछले कुछ वर्षों में बाजारों में युवा निवेशकों की आमद को दर्शाती है, जो तकनीकी प्रगति, कम ट्रेडिंग लागत और सूचना तक बढ़ती पहुंच के कारण संभव हुई है।

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