अर्थतंत्र

मोदी सरकार में आर्थिक मंदी की आशंका सच साबित हो रही हैः चिदंबरम

5 जनवरी को आए जीडीपी अनुमान पर मोदी सरकार को घेरते हुए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि देश में निवेश की तस्वीर पूरी तरह से निराशाजनक है और अब कोई भी गलतबयानी वास्तविकता को नहीं छिपा सकती।

फोटोः IANS
फोटोः IANS पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम

कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने देश की अर्थव्यवस्था के प्रबंधन को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला और कहा कि निकट भविष्य में आर्थिक मंदी की बुरी आशंका सच साबित हो गई है और नौकरियों के सृजन में नाकामी सत्तारूढ़ बीजेपी की एक बड़ी असफलता है।

वित्त वर्ष 2017-18 के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) अनुमान जारी होने के एक दिन बाद पूर्व वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार ने बड़े-बड़े दावे किए थे, जो हवा में उड़ गए। उन्होंने कहा, "हाल में ही पैदा हुआ सामाजिक असंतोष आर्थिक मंदी की प्रत्यक्ष अभिव्यक्ति है, जिसे सरकार सुविधापूर्वक छिपा रही थी। अब वक्त आ गया है कि सरकार बड़े-बड़े दावे करने की बजाए, कुछ ठोस काम कर के दिखाए।" 5 जनवरी को जीडीपी अनुमान में वित्त वर्ष 2017-18 में वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है।

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि निवेश की तस्वीर पूरी तरह से निराशाजनक है और राजकोषीय घाटा बजट अनुमानों को पार कर रहा है, जोकि जीडीपी का 3.2 फीसदी रहने की संभावना थी। उन्होंने कहा, "अब कोई भी गलतबयानी और बयानबाजी वास्तविकता को नहीं छिपा सकती।"

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, "हमारा डर और चेतावनी सही साबित हुई है। जीडीपी की विकास दर वित्त वर्ष 2015-16, 2016-17 और 2017-18 (अनुमानित) में क्रमश: 8.0 फीसदी, 7.1 फीसदी और 6.5 फीसदी है। ये आंकड़े यह साबित करते हैं कि मंदी छाई हुई है। आर्थिक गतिविधियों और विकास दर में गिरावट का मतलब लाखों नौकरियों का नुकसान है। नई परियोजनाओं की घोषणा कम हुई है, नए निवेश काफी कम हैं, अनौपचारिक क्षेत्र अभी भी नोटबंदी के दुष्प्रभावों से उबर नहीं पाए हैं, नौकरी सृजन की हालत अत्यंत बुरी है, कृषि क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित है और गांवों में घोर निराशा है।" उन्होंने कहा कि एक निरपेक्ष आकलन से भारतीय अर्थव्यवस्था में गंभीर कमजोरियों का पता चलता है।

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