अर्थतंत्र

सोमवार से आईआईपी डेटा, फेड मिनट्स और एफआईआई समेत ये अहम ट्रिगर्स तय करेंगे शेयर बाजार की दिशा

इस हफ्ते औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) के आंकड़े, अमेरिकी फेडरल रिजर्व (फेड) की बैठक के मिनट्स, रुपए की चाल और विदेशी निवेशकों (एफआईआई) की गतिविधियां शेयर बाजार के लिए अहम ट्रिगर्स रहेंगी।

फोटो: IANS
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भारतीय शेयर बाजार इस सप्ताह कमजोरी के साथ बंद हुआ। अब निवेशक कुछ अहम घरेलू और ग्लोबल संकेतों पर नजर रख रहे हैं, जिनसे आने वाले दिनों में बाजार की दिशा तय होने की उम्मीद है।

इस हफ्ते औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) के आंकड़े, अमेरिकी फेडरल रिजर्व (फेड) की बैठक के मिनट्स, रुपए की चाल और विदेशी निवेशकों (एफआईआई) की गतिविधियां शेयर बाजार के लिए अहम ट्रिगर्स रहेंगी।

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शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार गिरावट के साथ बंद हुआ। नए संकेतों की कमी के चलते निवेशकों ने मुनाफावसूली की। साथ ही वैश्विक स्तर पर मिले-जुले संकेतों और सतर्कतापूर्ण माहौल का असर भी बाजारों पर साफ दिखाई पड़ा।

बीएसई सेंसेक्स 367.25 अंक यानी 0.43 प्रतिशत गिरकर 85,041.45 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 99.80 अंकों यानी 0.38 प्रतिशत की गिरावट के साथ 26,042.30 पर क्लोज हुआ।

इस दौरान छोटे और मझोले शेयरों पर भी दबाव रहा। बीएसई मिडकैप इंडेक्स 0.18 प्रतिशत और स्मॉलकैप इंडेक्स 0.34 प्रतिशत गिरा।

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बाजार के जानकारों का मानना है कि निकट भविष्य में बाजार का रुख सुस्त बना रहेगा। उनका कहना है कि तरलता कम होने (नकदी की कमी) और अहम आर्थिक आंकड़ों के इंतजार के कारण बाजार अगले हफ्ते एक सीमित दायरे में ही रह सकता है।

एक्सपर्ट्स के अनुसार, अगर निफ्टी 26,000 से 25,800 के सपोर्ट लेवल के ऊपर बना रहता है, तो बाजार का माहौल सकारात्मक रह सकता है।

उन्होंने बताया कि ऊपर की तरफ निफ्टी के लिए 26,200 के पास रेजिस्टेंस है और उसके बाद 26,500 का स्तर है। जबकि नीचे की तरफ 26,000 और फिर 25,800 पर सपोर्ट है। अगर 25,800 के नीचे मजबूत गिरावट आती है, तो थोड़े समय के लिए बिकवाली बढ़ सकती है।

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आने वाले हफ्ते का एक बड़ा संकेत भारत का औद्योगिक उत्पादन डेटा होगा। नवंबर 2025 के लिए इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (आईआईपी) के आंकड़े 29 दिसंबर को जारी होने वाले हैं।

एक और अहम वैश्विक संकेत अमेरिका से आएगा। वहां फेडरल रिजर्व 31 दिसंबर को अपनी फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक के मिनट्स जारी करेगा।

दिसंबर की नीति बैठक में फेड ने ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती करके उन्हें 3.75 प्रतिशत कर दिया था। इससे उसकी नरम नीति जारी रहने का संकेत मिलता है।

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निवेशक इन मिनट्स से यह समझने की कोशिश करेंगे कि आगे ब्याज दरों का रास्ता क्या हो सकता है और फेड महंगाई व आर्थिक विकास को लेकर क्या सोचता है।

भारतीय रुपए की चाल भी निवेशकों के लिए अहम रहेगी। शुक्रवार को रुपया 19 पैसे कमजोर होकर डॉलर के मुकाबले 89.90 पर बंद हुआ।

चूंकि इस हफ्ते किसी बड़े घरेलू नीति के ऐलान की उम्मीद नहीं है, इसलिए बाजार में सतर्कता बनी रह सकती है।

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एक्सपर्टस का मानना है कि इस दौरान कुछ खास शेयरों में ही हलचल देखने को मिलेगी, जबकि पूरे बाजार के इंडेक्स सीमित दायरे में रह सकते हैं, क्योंकि निवेशक आर्थिक आंकड़ों, वैश्विक संकेतों और विदेशी निवेश के रुख को देखकर ही आगे के फैसले लेंगे।

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