भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित द बघाट अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक पर सख्त प्रतिबंध लगाए हैं। इन प्रतिबंधों के तहत प्रति ग्राहक निकासी की सीमा ₹10,000 कर दी गई है। इसके पीछे वजह बताया गया है कि बैंक की मौजूदा नकदी स्थिति असंतोषजनक है। साथ ही बैंक के कामकाज और नियमों के पालन से जुड़ी गड़बड़ियां को समय रहते दूर नहीं किया जा सका।
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RBI ने निर्देश दिया है कि बैंक बिना लिखित पूर्व स्वीकृति के नए लोन न दे सके, न मौजूदा लोन नवीनीकृत कर सके, और न ही नई देनदारियां स्वीकार कर सके।
बैंक नई जमा राशि स्वीकार नहीं कर सकता।
लेकिन बैंक नियमित कार्यों जैसे वेतन, किराया, बिजली आदि अनिवार्य खर्च जारी रख सकता है।
यह निर्देश 8 अक्टूबर 2025 से प्रभावी हुए, और इनका प्रभाव 6 महीने तक रहेगा। बाद में समीक्षा की जाएगी।
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बैंक के निर्देशों के अनुसार, प्रत्येक जमाकर्ता अब मान्य खाते (बचत, चालू या अन्य खाते) में जमा कुल शेष राशि में से ₹10,000 तक ही निकाल सकेगा।
अगर ग्राहक का लोन बैंक में है, तो बैंक उसे जमा राशि से समायोजित कर सकता है जैसा नियमों में अनुमति है।
जमा राशि पर DICGC के अंतर्गत ₹5 लाख तक का बीमा दावा किया जा सकता है, बशर्ते ग्राहक पात्र हों।
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RBI ने स्पष्ट किया है कि ये निर्देश बैंकिंग लाइसेंस रद्द करने जैसा नहीं माना जाना चाहिए। बैंक अपने वित्तीय स्वास्थ्य सुधारने तक इन प्रतिबंधों के अधीन कार्य करता रहेगा।
RBI ने यह भी कहा कि वह बैंक की स्थिति पर निगरानी रखेगा और परिस्थिति के अनुरूप निर्देशों में संशोधन या अन्य कदम उठा सकता है।
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RBI का मानना है कि बैंक अपने कामकाज और नियमों के पालन से जुड़ी गड़बड़ियां को समय रहते ठीक नहीं कर पाया।
बैंक द्वारा जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए अपेक्षित कदम न उठाने को भी दोषी माना गया।
इस तरह की प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का मकसद नकदी संकट को नियंत्रित कर जमाकर्ताओं का भरोसा बनाए रखना है।
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