बाजार नियामक सेबी ने अमेरिकी ‘ट्रेडिंग’ कंपनी जेन स्ट्रीट को प्रतिभूति बाजारों से प्रतिबंधित कर दिया है और कंपनी को 4,843.57 करोड़ रुपये के अवैध लाभ को वापस करने का निर्देश दिया हैं। कंपनी पर सूचकांक विकल्पों में भारी मुनाफा कमाने के लिए समाप्ति के दिनों में सूचकांक स्तर में कथित रूप से हेरफेर करने का आरोप है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जेएसआई इन्वेस्टमेंट्स, जेएसआई2 इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, जेन स्ट्रीट सिंगापुर प्राइवेट लिमिटेड और जेन स्ट्रीट ग्रुप (जेएस ग्रुप) की जेन स्ट्रीट एशिया ट्रेडिंग (ऑनलाइन कारोबार) को बाजार से प्रतिबंधित कर दिया गया है।
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सेबी द्वारा बृहस्पतिवार को पारित अंतरिम आदेश के अनुसार, जेएस समूह की संस्थाओं ने एनएसई के सभी उत्पाद श्रेणियों और खंडों में एक जनवरी 2023 से 31 मार्च 2025 तक एनएसई पर सूचकांक विकल्पों से 43,289 करोड़ रुपये से अधिक का मुनाफा कमाया।
इसके अलावा, संस्थाओं को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी धोखाधड़ी, हेरफेर या अनुचित व्यापार व्यवहार में शामिल होने या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी ऐसी गतिविधि में शामिल होने से बचने का निर्देश दिया गया, जो मानदंडों का उल्लंघन करती हो।
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सेबी ने यह भी उल्लेख किया कि जेएस ग्रुप ने फिर से समाप्ति दिवस के करीब सूचकांक और घटक बाजारों में बड़े हस्तक्षेप के प्रथम दृष्टया हेरफेरी ‘एक्सटेंडेड मार्किंग द क्लोज’ कारोबार तरीके को अपनाने का सहारा लिया, ताकि मई 2025 में अपने अवैध लाभ के लिए सूचकांक को प्रभावित और हेरफेर किया जा सके जबकि फरवरी में चेतावनी पत्र एवं एनएसई के समक्ष इसकी अपनी घोषणाएं थीं।
सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण जी. ने आदेश में कहा, ‘‘ फरवरी 2025 में एनएसई द्वारा उन्हें जारी किए गए स्पष्ट परामर्श की स्पष्ट अवहेलना करते हुए ऐसा गंभीर व्यवहार स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि अधिकतर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों और अन्य बाजार सहभागियों के विपरीत, जेएस ग्रुप उचित काम नहीं करता है जिस पर भरोसा किया जा सके या जिस पर भरोसा किया जाना चाहिए।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘ प्रथम दृष्टया ऐसे मजबूत मामले को देखते हुए जेएस समूह को पहले की तरह काम जारी रखने की अनुमति देने से असाधारण पैमाने पर निवेशकों की सुरक्षा को गंभीर खतरा हो सकता है। ऐसे में सेबी का कर्तव्य है कि वह सीधे हस्तक्षेप करे।’’
तदनुसार, सेबी ने जेएस ग्रुप को 4,843.57 करोड़ रुपये के अवैध लाभ को वापस करने का निर्देश दिया।
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