
साउथ सुपरस्टार रजनीकांत के प्रशंसकों के लिए आज का दिन दोहरी खुशी का है। आज रजनीकांत अपना 75 वां जन्मदिन मना रहे हैं और संयोगवश यह उनके सिनेमा जगत में उनके 50 साल पूरे होने का भी अवसर है। यह दिन अभिनेता के प्रशंसकों और फिल्म उद्योग, दोनों के लिए एक उत्सव में बदल गया है। इस अवसर पर उनकी विशेष फिल्मों को फिर से प्रदर्शित करने के साथ संगीत कार्यक्रम और पार्टियों का आयोजन कर उनके 50 वर्षों के सिनेमाई सफर का जश्न मनाया जा रहा है।
रजनीकांत का स्टाइल और उनके डायलॉग्स एक अलग ही पहचान देते हैं। उनके फैंस न सिर्फ देश में, बल्कि विदेश में भी हैं। लेकिन कभी वह बस कंडक्टर हुआ करते थे। उनकी बस में टिकट काटने की शैली और अंदाज इतने खास थे कि लोग उनकी बस में बैठने के लिए लाइन लगाते थे। यह कहानी उनके संघर्ष और मेहनत का एक छोटा सा हिस्सा है, जो बताती है कि किस तरह गरीबी और कठिनाइयों के बीच से उठकर कोई इंसान बड़े सपने पूरे कर सकता है।
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रजनीकांत का असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है। उनका जन्म 12 दिसंबर 1950 को बेंगलुरु के एक साधारण मराठी परिवार में हुआ था। चार साल की उम्र में उन्हें अपनी मां को खोने का दुख झेलना पड़ा। घर की आर्थिक हालत अच्छी न होने के कारण उन्हें बचपन में ही काम करना पड़ा।
युवावस्था में रजनीकांत ने कुली, कारपेंटर और बस कंडक्टर का काम किया। बेंगलुरु की बसों में उनका यह सफर बहुत खास था। बस में टिकट काटने का उनका अंदाज और लोगों से मिलकर बातचीत करने का तरीका ऐसा था कि वे जल्द ही यात्रियों के बीच लोकप्रिय हो गए। बस ड्राइवर और सहकर्मी भी उनकी तारीफ करते नहीं थकते थे। इसी दौरान उनके अंदर अभिनय की ओर झुकाव भी बढ़ा और उन्होंने थिएटर में नाटक करना शुरू किया।
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रजनीकांत की जिंदगी में एक बड़ा मोड़ तब आया जब उनके दोस्त राज बहादुर ने उन्हें मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला लेने के लिए प्रेरित किया। उस समय उनके लिए यह कदम आसान नहीं था क्योंकि उन्होंने घरवालों से आर्थिक मदद नहीं ली थी। दोस्तों के सहयोग से उन्होंने एक्टिंग कोर्स किया और तमिल भाषा पर भी पकड़ बनाई। इस दौरान उनके प्रदर्शन को देखकर प्रसिद्ध फिल्म डायरेक्टर के. बालाचंद्र ने उन्हें फिल्म 'अपूर्वा रागनगाल' में मौका दिया। हालांकि यह भूमिका छोटी और नेगेटिव थी, लेकिन यह रजनीकांत के करियर की शुरुआत थी।
शुरुआत में रजनीकांत को कई फिल्मों में विलेन के रोल मिले। लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अपनी विलेन इमेज तोड़ते हुए हीरो के रोल करना शुरू किया। फिल्म 'भुवन ओरु केल्वी कुरी' में उन्होंने हीरो की भूमिका निभाई और लोगों ने उनकी जोड़ी मुथुरमम के साथ बहुत पसंद की। करियर में आगे बढ़ते हुए और समय के साथ उनकी फिल्मों की गिनती 100 से भी ज्यादा हो गई। उनके करियर का बड़ा मोड़ फिल्म 'बाशा' थी, जिसने उन्हें सुपरस्टार बना दिया। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कई रिकॉर्ड तोड़े और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता दिलाई।
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रजनीकांत की फिल्में सिर्फ तमिल में ही नहीं बल्कि हिंदी, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और बांग्ला में भी बनी हैं। उनकी पहली हिंदी फिल्म 'अंधा कानून' और पहली बांग्ला फिल्म 'भाग्य देवता' थी। उनकी फिल्म 'मुथू' जापान में रिलीज हुई और 'चंद्रमुखी' तुर्की और जर्मनी में दिखाई गई। 'शिवाजी' फिल्म ने यूके और साउथ अफ्रीका में बॉक्स ऑफिस पर जगह बनाई।
रजनीकांत ने कई पुरस्कार भी हासिल किए। उन्हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान, दादा साहब फाल्के अवॉर्ड भी उन्हें मिला है। तमिलनाडु और महाराष्ट्र में भी उन्हें कई राज्य फिल्म पुरस्कारों से नवाजा गया है। इस दोहरी उपलब्धि का जश्न मनाने के लिए शुक्रवार को विश्व स्तर पर सिनेमाघरों में रजनीकांत की ब्लॉकबस्टर फिल्म 'पदयप्पा' 4के संस्करण में फिर से रिलीज हुई।
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