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राजस्थान न्यायिक सेवा में 5 मुस्लिम लड़कियां चयनित, जज बनी यूपी की 18 लड़कियों को भी मिली पोस्टिंग

विशेष बात यह है कि ये पांचो लड़कियां पूरी तरह से घरेलू हैं और पढ़ाई के दौरान पूरी तरह से सोशल मीडिया से दूर रहीं हैं। राजस्थान से एकमात्र मुस्लिम युवा मोहम्मद फैसल भी कम पढ़े लिखे परिवार से ही आते हैं।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
फोटो: आस मोहम्मद कैफ 

देश भर की मुस्लिम बेटियों में न्यायिक सेवा के प्रति रुझान लगातार बढ़ रहा है। 3 महीने पहले उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा में 18 मुस्लिम बेटियों के बाद अब राजस्थान न्यायिक सेवा में 5 मुस्लिम बेटियों का चयन हुआ है। यह संख्या कम दिखती है, लेकिन उत्तर प्रदेश की 610 सीटों की तुलना में राजस्थान में सिर्फ 197 सीटे थीं। खास बात यह है कि इन 197 सीटों में मोहम्मद फैसल नाम के एक ही मुस्लिम युवक का चयन हुआ है।

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फोटो: आस मोहम्मद कैफ

राजस्थान न्यायिक सेवा के गुरुवार को आए परिणामों में सानिया मनिहार, साजिदा,सना, हुमा खोहरी और शहनाज़ खान ने इस बार 'योर ऑनर' कहलाने का हक हासिल किया है। खास बात यह भी है कि इनमें से चार लड़कियां बेहद पिछड़ी पृष्ठभूमि से आती हैं। राजस्थान में महिलाओं की शिक्षा की दर काफी कम है और मुस्लिम लड़कियों की हालत तो बेहद ही पिछड़ी हुई है।

2017 में यहां की दो महिलाओं जहां आरा और अफरोज बेग़म के 'क़ाज़ी' बन जाने पर काफी हो हल्ला हुआ था। दोनों महिलाओं ने महाराष्ट्र से इस्लामिक शरिया कानून में अध्ययन के बाद काज़ी की डिग्री हासिल की थी।

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इस परिणाम में दो बड़ी बातें गौर करने वाली हैं। पहली ये कि परीक्षा में शुरूआती दस चयनित टॉपर प्रतिभागियों में 8 लड़कियां है और दूसरी बात ये कि इन आठ लड़कियों में मनिहार बिरादरी की दो लड़कियां चयनित हुई हैं।

बता दें कि राजस्थान में ऐसा पहली बार हुआ कि मनिहार बिरादरी की कोई लड़की जज बनी है। इसी तरह राजस्थान की सबसे पिछड़ी खोरी बिरादरी की हुमा भी जज बन गई है। जोधपुर की साजिदा और जयपुर की शहनाज़ खान ने भी काफी संघर्ष के बाद सफलता हासिल की है।

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जयपुर की अर्शी नूर के मुताबिक मुस्लिम लड़कियों का न्यायिक सेवा में जाने का रुझान लगातार बढ़ रहा है। सबसे खास बात यह है कि इसमें संघर्षशील और पिछड़े हुए परिवारों की लड़कियां काफी अच्छा कर रही है।

राजस्थान में 9 फीसद मुस्लिम आबादी है, जो उत्तर प्रदेश की 22 फीसद आबादी की तुलना में काफी कम है। यहां महिला साक्षरता दर मात्र 52 फीसद है, जबकि मुसलमानों में यह मात्र 44 फीसद है।

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हालांकि 2001 की तुलना में इस प्रदर्शन को अच्छा नहीं कहा जा सकता है। लेकिन इस बार लड़कियों के लिए इसमें काफी कुछ है। 30वी रैंक वाली सानिया मनिहार मूल रूप से झुंझुन की रहने वाली हैं, जबकि जोधपुर की साजिदा ने 37वीं रैंक हासिल की है। इनके अलावा सना हकीम ने 130, हुमा खोहरी ने 136 और शहनाज़ लोहार ने 143वीं रैंक हासिल की है।

उदयपुर के खांजीपीर इलाके के गौसिया कॉलोनी में रहने वाली शहनाज लोहार उदयपुर से जज बनने वाली एकमात्र मुस्लिम लड़की हैं। शहनाज ने पढ़ाई अपने अधिवक्ता पिता सलीम खान की देखरेख में की और यह उनका पहला प्रयास था। शहनाज कहती है कि उनकी सफलता का कोई खास फार्मूला नही है जब भी घर के काम से फुर्सत मिल जाती थी, वो पढ़ाई करने लग जाती थीं।

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विशेष बात यह है कि ये पांचो लड़कियां पूरी तरह से घरेलू हैं और पढ़ाई के दौरान पूरी तरह से सोशल मीडिया से दूर रहीं हैं। राजस्थान से एकमात्र मुस्लिम युवा मोहम्मद फैसल भी कम पढ़े लिखे परिवार से ही आते हैं।

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दूसरी तरफ जून में आए उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा के परिणाम में 38 मुस्लिम बच्चे चुने गए थे, जिनमें से 18 लड़कियां थी। फिलहाल इन सभी को तैनाती मिल गई। सहारनपुर की फरहा को मुजफ्फरनगर और मुजफ्फरनगर की हुमा को सहारनपुर भेजा गया है, जबकि खतौली को जीनत को भी सहारनपुर भेज दिया गया है। जसीम खान को बदायूं में जूनियर जज बनाया गया है। मेहर जहां को औरैया, उमेम शाहनवाज को बाराबंकी, बुशरा नूर को कानपुर, बुशरा खुर्शीद को मथुरा और मीना अख्तर को एटा भेजा गया है। उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा परीक्षा में 610 में से अभी तक 318 प्रतिभागियों को सूची जारी की गई है।

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राजस्थान में विधायक वाजिब अली के मुताबिक राजस्थान के मुस्लिमों के लिए यह निहायत ही अच्छी खबर हैं। विशेष रूप से लड़कियों में यहां शिक्षा का स्तर काफी कम है। लड़कियां बहुत जल्दी स्कूल से रोक ली जाती है। आगे पढ़ाई के लिए उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। राजस्थान न्यायिक सेवा का यह रिजल्ट निश्चित तौर पर दूसरी बेटियों को हौंसला देगा।

बता दें कि राजस्थान में हाल ही में न्यायिक सेवा के लिए न्यूनतम आयु 23 साल से घटाकर 21 साल की गई थी। यही कारण है कि यहां के टॉपर मयंक प्रताप देश के सबसे कम आयु के जज बन गए हैं।

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फोटो: सोशल मीडिया

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